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Sonbhadra: दहेज के लिए पत्नी की कर दी हत्या, 7 साल बाद आया फैसला, पति को 10 वर्ष की कैद
Sonbhadra News: दहेज के लिए पत्नी की हत्या करने मामले में 7 साल बाद फैसला आया। कोर्ट ने पति को 10 वर्ष की कैद की सजा सुनाई है।
Sonbhadra News: दहेज के लिए गला दबाकर हत्या करने के दोषी पति को घटना के सात साल बाद 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई गई है। अधिवक्ताओं की दलीलों, पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर सत्र न्यायाधीश अशोक कुमार यादव की अदालत (Sessions Judge Ashok Kumar Yadav Court) ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। मामले में दोषसिद्ध पाकर दोषी पति रामबली गुप्ता को 10 वर्ष की कैद के साथ 15 हजार रुपये अर्थदंड की सजा भी सुनाई गई है। अर्थदंड न देने की स्थिति में एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी पड़ेगी। इस मामले में आरोपी बनाई गई सास सुखवंती को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त करार दिया।
साल 2015 का ये है मामला
अभियोजन कथानक के मुताबिक राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र (Robertsganj Kotwali Area) के कमोजी गांव निवासी मुनीब गुप्ता पुत्र सहदेव गुप्ता ने सीजेएम न्यायालय में धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत गत चार अगस्त 2015 को एक प्रार्थना पत्र दिया था। उसमें अवगत कराया था कि उसने अपनी बेटी सीमा की शादी राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के रघुनाथपुर गांव निवासी रामबली गुप्ता पुत्र रामनरेश गुप्ता के साथ 6 मई 2010 को हिन्दू रीतिरिवाज से किया था। बेटी विदा होकर ससुराल गई तो वहां पर पति रामबली गुप्ता व ससुराल वाले एक लाख रुपये दहेज में व्यवसाय के लिए मांग करने लगे। इसके लिए बेटी को प्रताड़ित करने लगे। बेटी ने इसकी जानकारी दी तो काफी समझाया गया लेकिन कोई प्रभाव नहीं पड़ा। 22 जुलाई 2015 को बेटी ने अपनी बहन से प्रताड़ना एवं मारने-पीटने की जानकारी दी थी। बावजूद इसके 23 जुलाई 2015 को दिन में 11 बजे बेटी सीमा की गला दबाकर हत्या कर दिया।
दोषसिद्ध होने पर दोषी पति को 10 वर्ष की कैद
न्यायालय के आदेश पर राबर्ट्सगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना की गई। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने की बात कहते हुए पति रामबली गुप्ता व सास सुखवंती के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल कर दिया। प्रकरण की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्क सुने। गवाहों के बयान और पत्रावली का अवलोकन किया। इसके आधार पर दोषसिद्ध पाकर दोषी पति रामबली गुप्ता को 10 वर्ष की कैद और 15 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने की दशा में एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी पड़ेगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से मामले की पैरवी जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ज्ञानेंद्र शरण राय ने की।