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रिश्तों का आइना! एक सात जन्मों का 'बंधन', दूसरा जीवन का 'कर्तव्य' लेकिन बीच में फंस गया 'पुरुष'

Husband Wife Relationship: सात जन्मों का माने जाना वाला बंधन अब कुछ लोगों का सात साल तो दूर सात महीने भी नहीं चल पाता है। पारिवारिक कोर्ट में बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आ रहे।

Snigdha Singh
Published on: 11 May 2023 5:23 PM GMT
रिश्तों का आइना! एक सात जन्मों का बंधन, दूसरा जीवन का कर्तव्य लेकिन बीच में फंस गया पुरुष
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प्रतीकात्मक फोटो- न्यूजट्रैक

Relationship: मैडम मैं अपने पति के साथ नहीं रह सकती। पति कहीं बाहर घुमाने और कुछ खिलाने नहीं ले जाते हैं। शादी के पांच साल हो गए। दो बच्चे भी हैं लेकिन कभी चाट पकौड़ी तक खिलाने नहीं ले जाते है। मैं सिर्फ घर में काम करने और बच्चे संभालने के लिए ही नहीं हूं। बच्चे भी बाहर जाने की जिद करते हैं। अगर उनको मेरे साथ रहना है तो वह अपनी मां को वृद्धाश्रम छोड़े और हर महीने में दस दिन बाहर के किसी बड़े होटल व रेस्तरां में डिनर कराना पड़ेगा। अक्सर ऐसी बातें फिल्म या टीवी सीरियल में ही सुनने को मिलती है, लेकिन यहां ये लाइन असल जिंदगी की बोली गई लाइन है। जहां एक पत्नी अपने पति से रिश्ता रखने के लिए ये शर्त रखी है। कुछ ऐसे ही मामले इन दिनों महिला थाना हजरतगंज में आ रहे हैं। ऐसे मामलों की अगर हम आंकड़े में बात करें तो जनवरी 2022 से अब तक महिला थाना हजरतगंज में पारिवारिक विवादों से संबंधित 2334 प्रार्थना पत्र आए, जिसमें 1193 विवादों का निस्तारण किया गया। जबकि बचे मामलों में मीडिएशन कर काउसिंलिंग की जा रही है।

महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी प्रताड़ित हो रहे

महिला थानाध्यक्ष दुर्गावती के अनुसार ऐसे मामलों की वजह ये है कि लड़कियों की जल्दी शादी तो हो गई। लेकिन जब जिम्मेदारी और पारिवारिक रोक-टोक होती है तो झगड़ा शुरू होता है। उनमें समझ की भी कमी होती है। वह स्वतंत्र रहना चाहती है, जिसकी वजह से पति से लड़ाई होती है और अब के समय में सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी प्रताड़ित हो रहे है। आर्थिक स्थितियां समझते हुए भी पत्नियों की मांग लंबी रहती है। मांग नहीं पूरी होने से झगड़े शुरू होते है जो धीरे-धीरे बड़ा रूप ले लेता है। महिलाएं शिक्षित और स्वावलंबी होंगी तो झगड़े नहीं होंगे।

कुछ इस तरह के मामले

लखनऊ चौक निवासी एक महिला बुधवार को महिला थाना हजरतगंज में पति के खिलाफ एक शिकायती पत्र लेकर आई। महिला ने थाना प्रभारी से कहा, मेरे पति मेरे लिए घर नहीं ले रहे हैं। अपनी मां को भी साथ रख रहे हैं। ऐसे में हम आजादी से रहने में दिक्कत हो रही है। बाहर घुमाने भी नहीं ले जाते। अगर मेरे साथ रहना है तो मेरे नाम पर एक बड़ा घर और गाड़ी खरीदनी पड़ेगी। इसके अलावा अपने परिवार वालों से अलग होना होगा।

कानपुर किदवई थाना क्षेत्र निवासी एक पति ने पत्नी की शिकायत करते हुए कहा कि उसकी मां के साथ नहीं रहना चाहती है। ऐसे में अकेली बूढ़ी मां को कहां छोड़ दे। लेकिन पत्नी कुछ भी सुनने को नहीं तैयार है। शादी के दो साल हो गए। रिश्ता बरकरार रखने के लिए पत्नी ने शर्त रखी है कि दूसरा घर ले या तो मां को छोड़ दे। दोनों की काउंसलिंग की जा रहा है।

हजरतगंज थाना क्षेत्र का एक मामले सामने आया। इसमें पति ने अपनी पत्नी पर मारपीट का आरोप लगाते हुए पुलिस से मदद की गुहार लगाई। पति का कहना है कि शादी के 10-12 साल बाद अब पत्नी छोटी छोटी बातों में झगड़ा करती है। इतना ही नहीं बल्कि कभी कभी घर से बाहर रहने को भी बोल देती है। मैडम आप हमारी मदद करिए। हम पत्नी के व्यवहार से तंग होकर तलाक लेना चाहते हैं।

काउंसलर्स की अहम भूमिका

कानपुर परिवार परामर्श की काउंसलर बिंदू सिंह का कहना है कि हर रविवार कम से कम 80-90 मामलों को सुनवाई होती है। इनमें दंपति को बुलाकर समझौता करने का प्रयास किया जाता है। 90 फीसदी मामले ऐसे होते है, जो आपस में समझौता कर लेते हैं। कुछ संबन्धों में सशर्त समझौता होता है। लेकिन 4-5 तारीखों में काउंसलिंग कर उनको समझाया जाता है। इनमें शहर के समाजसेवी और वरिष्ठ सदस्य काउंसलर की भूमिका में होते हैं।

Snigdha Singh

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