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सोनभद्र में गरमाई सियासत: खनन में हस्तक्षेप पड़ा भारी, छह माह भी नहीं रह पाए टीके शिबु

Sonbhadra Latest News: अपने हस्ताक्षर से ग्राम पंचायत सचिवों और एडीओ पंचायतों की तैनाती कर चर्चा में आए टीके शिबु लगातार किसी न किसी मामले को लेकर चर्चा में बने रहे।

Kaushlendra Pandey
Published on: 31 March 2022 2:57 PM GMT
Sonbhadra IAS Officer Tike Shibu
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सोनभद्र के जिला अधिकारी (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया) 

Sonbhadra Latest News: सोनभद्र में गत 23 अक्टूबर को 37वें जिलाधिकारी के रूप में तैनाती पाने वाले टीके शिबु (IAS Officer Tike Shibu) छह माह भी जिले में नहीं रह पाए। एक तरफ बालू-पत्थर खनन को लेकर कार्रवाई में दिखाई गई तेजी तो दूसरी तरफ उनकी सख्ती के निर्देश के बाद भी अंधेरा गहराते ही बगैर परमिट और ओवरलोड ट्रकों का हाइवे पर दिखता रेला आखिरकार उनके लिए मुसीबत बन ही गया।

अपनी तैनाती के कुछ समय बाद ही अपने हस्ताक्षर से ग्राम पंचायत सचिवों और एडीओ पंचायतों की तैनाती कर चर्चा में आए टीके शिबु लगातार किसी न किसी मामले को लेकर चर्चा में बने रहे। बालू खनन साइडों पर सत्तापक्ष के प्रभावशाली लोगों के कथित संरक्षण के बावजूद की गई बड़ी कार्रवाई ने जहां उन्हें खासी चर्चा दिलाई। वहीं चुनाव के समय भी उनकी कार्यशैली चर्चा का विषय बनी रही। हालांकि खान विभाग की तरफ से कुछ खनन साइटों पर सख्ती तो कुछ पर मेहरबानी डीएम की सख्ती पर सवाल उठाती रही। अवैध खनन-परिवहन को लेकर उनकी हालिया सख्ती भी खासी चर्चा में बनी हुई थी। बता दें कि 2012 बैच के आइएएस टीके शिबू को 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हुए तबादलों के दौरान सोनभद्र में 23 अक्टूबर को तैनाती दी गई थी। श्रावस्ती से यहां के लिए उनका तबादला किया गया था। बता दें कि सोनभद्र का खनन उद्योग एक ऐसा उद्योग है, जिस पर सख्ती दिखाने वाले या किसी पर सख्ती, किसी पर मेहरबानी दिखाने वाले अधिकारियों को यहां से रूखसत होना पड़ता है। इससे पहले जहां डीएम सुहास एलवाई को अपनी सख्ती के लिए चलता होना पड़ा था। वहीं दिनेश सिंह सहित तीन से चार ऐसे जिलाधिकारी रहे, जिनको नेताओं से न बनने के कारण सोनभद्र से हटना पड़ा था।

सपा ने उठाए सवाल, अवैध खनन पर सख्ती को बताया तबादले का कारण

डीएम के तबादले के बाद सियासी वार भी छोड़े जाने लगे हैं। एक तरफ जहां सत्तापक्ष के लोग इसे सीएम योगी की जीरो टालरेंस नीति बता रहे हैं। वहीं सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक अविनाश कुशवाहा का कहना है कि डीएम को अवैध खनन रोकना महंगा पड़ा है। उन्होंने सरकार में खनन माफिया-सफेदपोश गठजोड़, फेविकोल से भी मजबूत होने का आरोप लगाते हुए कहा कि डीएम ने अवैध खनन ओर अवैध परिवहन रोकने के लिए टीम लगाई हुई थी। रसूखदार खनन माफियाओं को, अवैध गिट्टी-बालू बगैर परमिट के पास कराते हैं, डीएम की सख्ती रास नहीं आई। ऐसे लोगों को सत्तापक्ष के संरक्षण का आरोप लगाते हुए कहा कि सूरज ढलते ही टोल प्लाजा लोढ़ी से मारकुंडी तक बालू-गिट्टी लदे वाहनों और बिना नंबर वाले वाहनों का मेला लग जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस खेल में आरटीओ के साथ खान विभाग के बड़े अधिकारी का रिश्तेदार भी शामिल है।

Admin 2

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