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UP Election 2022: फिर यूपी चुनाव बनेगा कोरोना का सुपर स्प्रेडर, IIT कानपुर के विशेषज्ञों ने चेताया

UP Election 2022: आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर IIT कानपुर के विशेषज्ञों ने कहा, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव कोरोना का सुपर स्प्रेडर साबित हो सकता है

Krishna Chaudhary
Written By Krishna ChaudharyPublished By Bishwajeet Kumar
Published on: 20 Jan 2022 9:55 PM IST (Updated on: 20 Jan 2022 9:56 PM IST)
UP Election 2022
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UP Election 2022

UP Election 2022: कोरोना के तीसरे लहर की आहट के बीच आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में चुनाव तैयारियां जोरों पर है। ऐसे में लोगों के जेहन में कोरोना के दूसरे लहर के दौरान यूपी में उपजे उन भयावह हालातों की याद एक बार फिर ताजा हो गई, जब गंगा नदी में सैकड़ों लाशें बगैर अंतिम संस्कार के बहती रहीं। गंगा किनारे दफ्न सैकड़ों लाशों ने प्रदेश के गांवों की त्रासदी को बयां किया था। ऐसे में प्रदेश एकबार उसी मुहाने पर आकर खड़ा हो गया है जहां वो दूसरे वेव के दौरान था।

दरअसल दूसरे वेव के दौरान संपन्न हुए पंचायत चुनाव ने कोरोना को प्रदेश के अंदरूनी इलाकों तक पहुंचा दिया। जहां बगैर अच्छी स्वास्थ्य सुविधा के गरीब आबादी निवास करती है। नतीजतन प्रदेश ने मौत का ऐसा तांडव देखा जो इससे पहले कभी नहीं देखा गया था। पंचायत चुनाव के बाद बड़ी संख्या में चुनाव कर्मी, मतदाता और प्रत्याशी कोरोना के चपेट में आए।

वहीं IIT कानपुर के विशेषज्ञों ने कोरोना को लेकर बड़ी आशंका जाहिर करते हुए कहा कि फरवरी में प्रतिदिन कोरोना के 45 हजार मामले आएंगे। ऐसे में इसका चुनाव पर असर पड़ना लाजिमी है। यूपी में कुल सात चरण में मतदान होना है, जिनमे 5 चरण फरवरी माह में ही संपन्न होंगे।

तकरीबन 24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में अब भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग है, जिन्हें या तो एक भी डोज वैक्सीन की नहीं लगी या तो केवल एक डोज ही लगी है। ऐसे लोग कोरोना के आसान शिकार माने जाते है। दूसरी तरफ कोरोना के कारण राज्य के अर्बन इलाकों में वोटर टर्नआउट पर काफी नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। सामान्य दिनों में भी जब लखनऊ, नोएडा और गाजियाबाद जैसे शहरों में मतदान प्रतिशत 50 प्रतिशत के आसपास रहा, तब कोविड माहौल में उम्दा मतदान प्रतिशत की उम्मीद बेमानी होगी। हालांकि चुनाव आयोग ने 80 से ऊपर आयु वर्ग के लोगों के लिए घर पर ही मतदान की व्यवस्था की है। लेकिन कोविड गाइडलाइन के अनुसार 60 से 80 आयुवर्ग के लोगों को भी घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी गई है। ऐसे में शहरों की ये आबादी शायद ही घर से बाहर वोट डालने के लिए निकले।

वहीं दूसरी तरफ कोरोना के दूसरे भीषण लहर के बाद भी प्रदेश की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं लचर स्थिति में है। ऐसी सूरत में इस बात का अंदेशा है कि यह विधानसभा चुनाव कहीं पंचायत चुनाव की पुनरावृति न बन जाए।



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Bishwajeet Kumar

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