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IIT कानपुर के प्रोफेसरों की गिरफ्तारी पर रोक, कोर्ट ने रोकी विवेचना
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आई.एस.एम धनबाद राजीव शेखर सहित आईआईटी कानपुर नगर के तीन प्रोफेसरों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कल्याणपुर थाने में दर्ज प्राथमिकी के तहत विवेचना पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से चार हफ्ते में याचिका पर जवाब मांगा है।
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आई.एस.एम धनबाद राजीव शेखर सहित आईआईटी कानपुर नगर के तीन प्रोफेसरों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कल्याणपुर थाने में दर्ज प्राथमिकी के तहत विवेचना पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से चार हफ्ते में याचिका पर जवाब मांगा है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति बी.के नारायण तथा न्यायमूर्ति राजीव जोशी की खण्डपीठ ने चन्द्रशेखर उपाध्याय व अन्य प्रोफेसरों की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता ऐश्वर्य प्रताप सिंह ने बहस की। मालूम हो कि प्रोफेसर सुब्रमण्यम सरडेला ने प्रोफेसरों के विरूद्ध 2015 में अनु.जाति जनजाति आयोग को शिकायत की, कि उसकी नियुक्ति के दौरान चन्द्रशेखर उपाध्याय, राजीव शेखर, ईशान शर्मा व संजय मित्तल ने उसे नीचा दिखाने की कोशिश की और हंसी उड़ायी। आयोग के निर्देश पर जांच बैठाई गयी। जांच कमेटी ने घटना की प्राथमि दर्ज कराने की संस्तुति की। इस पर निदेशक को एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया गया।
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इस आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी और आईआईटी कानपुर को नये सिरे से जांच कराने का आदेश दिया। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स शिकायत की जांच कर रहे हैं। इसी बीच पुनः शिकायत कर आयोग से मांग की गयी कि पिछली जांच के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की जाय। आयोग के निर्देश पर 19 नवम्बर 1918 को सरडेला ने कल्याणपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी। जिसे पुनः याचिका में चुनौती देते हुए प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गयी है। याची का कहना है कि जब बोर्ड ऑफ डायरेक्टर शिकायत की जांच चल रही है और जिस पर कोर्ट की रोक लगी है, उस रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करना कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। याचिका में आयोग की अधिकारिता पर आपत्ति की गयी है।
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