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नोएडा में अवैध निर्माणों की भरमार, अफसर मूकदर्शक

raghvendra
Published on: 3 Aug 2018 10:22 AM GMT
नोएडा में अवैध निर्माणों की भरमार, अफसर मूकदर्शक
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दीपांकर जैन

नोएडा: जनसंख्या घनत्व के हिसाब से वर्ष 2031 में नोएडा किसी बड़े महानगर सरीखा जैसा तो हो जाएगा, लेकिन यहां की ऊंची-ऊंची इमारतों में रहने वाले बाशिंदों की सुरक्षा राम भरोसे ही होगी। हाल में जिस तरह नोएडा में दो बिल्डिंगें भरभरा कर गिरी हैं, वे आने वाले दिनों की स्थिति का संकेत हैं। वजह ये है कि बिल्डरों व कालोनाइजरों को लाभ पहुंचाने के लिए एफएआर में बढ़ोतरी की गई मगर यह नहीं देखा गया कि यहां कि जमीनी हालत इतनी आबादी को झेलने लायक है भी या नहीं।

2021 के मास्टर प्लान के तहत नोएडा को दो हिस्सों में बांटा गया है। इसके तहत 500 व्यक्ति प्रति हेक्टेयर (पीपीएच) और 500 पीपीएच से नीचे के सेक्टर शामिल हैं। अफसरों ने इस प्लान को नजरअंदाज करते हुए 500 पीपीएच से नीचे वाले सेक्टरों में ही कई बिल्डरों को एक हजार पीपीएच की अनुमति दे दी है। यही नहीं, 500 पीपीएच वाले सेक्टरों में भी 1650 पीपीएच की अनुमति दी जा रही है।

मास्टर प्लान 2031 में अनुमान लगाया गया है कि तब तक यहां की आबादी २५ लाख हो जाएगी। उस हिसाब से नगरीय क्रियाओं के लिए 15 हजार 276 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध होगी। मास्टर प्लान में आबादी का क्षेत्र 5334 हेक्टेयर से बढ़ाकर 5653 हेक्टेयर किया गया है और औद्योगिक क्षेत्र को कम किया गया है। कागजी आंकड़े छोड़ दें तो जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

यहां की आबादी अभी ही 16 लाख हो चुकी है, जबकि मास्टर प्लान 2021 तक आबादी का आंकलन 12 लाख किया गया था। यह आंकलन 2010 में ही गलत साबित हो गया क्योंकि वर्ष 2010 में ही आबादी 12 लाख तक पहुंच गई। हुआ ये कि कालोनाइजरों ने लाल डोरे की जमीनों पर जमकर अवैध निर्माण शुरू किए। गांवों को हाइराइज बिल्डिंग में तब्दील कर दिया गया।

नदियों के संगम से घिरा है नोएडा क्षेत्र

नोएडा उत्तर में दिल्ली व गाजियाबाद के नगरीय क्षेत्र से, पश्चिम में यमुना नदी क्षेत्र, पूर्व में हिंडन नदी और दक्षिण में यमुना हिंडन नदी के संगम क्षेत्र से घिरा है। नोएडा के अधिसूचित क्षेत्र में कुल भूमि 20 हजार 316 हेक्टेयर है।

नोएडा के दिल्ली के पास होने, नोएडा टोल ब्रिज, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे, आगरा एक्सप्रेस-वे, मुम्बई-दिल्ली फ्रेट कॉरीडोर और नोएडा, ग्रेटर नोएडा व आसपास के शहरों का विकास तेजी से होने के कारण नोएडा में आवासीय सुविधाओं की मांग तेजी से बढ़ी है।

क्या है वर्तमान स्थिति

हरौला, बहरामपुर, बरौला, सलारपुर, वाजिदपुर, नंगला नगली, नंगलाचरण दास, पुश्ता, ममूरा, बहलोलपुर, नयाबांस, सदरपुर ऐसे गांव हैं जहां कालोनाइजरों ने कब्जा जमा रखा है। अधिकांश जमीन प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहण के बाद दी गई पांच प्रतिशत विकसित जमीन है। सभी जगह नियमों को ताक पर रखकर रिहायशी इमारतें खड़ी कर दी गयी हैं।

अवैध निर्माण की बुनियाद पर टिकी शहर की आबादी

यहां 1232.82 हेक्टेयर जमीन गांव की है जो लाल डोरे में आती है। इस जमीन पर प्राधिकरण के नियम नहीं लागू होते। इसी का फायदा यहां के कालोनाइजर उठा रहे हैं। इसमें अधिकांश वे लोग हैं जिनकी प्राधिकरण में अच्छी साठगांठ है। नोएडा के गांवों में ये कालोनाइजर कालोनी व हाइराइज बिल्डिंग बनाने में जुटे हुए हैं। अकेले नोएडा के 81 गांवों में धड़ल्ले से अवैध निर्माण किया जा रहा है। यहां निर्माण के दौरान नक्शा भी बनाया जाता है, ये पास भी होता है। रजिस्ट्री भी होती है, लेकिन इन इमारतों की मजबूती की जांच परख करने की जिम्मेदारी न तो प्राधिकरण के अधिकारियों के पास है और न ही प्रशासनिक अधिकारियों के पास।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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