मेरठ: उत्तर प्रदेश में सपा शासनकाल में लोगों की सुविधा के लिए खोले गये जन सुविधा केन्द्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अवैध उगाही का केन्द्र बनकर रह गए हैं। बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में करीब 22 हजार जन सुविधा केन्द्र शहर और ग्रामीण इलाकों में हैं। आलम यह है कि अधिकांश जन सुविधा केन्द्रों पर निर्धारित शुल्क से दुगुना शुल्क वसूला जा रहा है।
मसलन जहां निर्धारित शुल्क 20 रुपए हैं वहां 50 से 100 रुपये तक की वसूली की जा रही है। ऐसा नही है कि संबंधित जिला प्रशासन को जन सुविधा केन्द्रों पर अवैध उगाही की खबर नहीं है। कई बार जन सुविधा केन्द्रों की लूटखसोट का शिकार लोगों ने तहसील दिवस व अन्य मौकों पर प्रशासनिक अफसरों को बाकायदा लिखित में इस तरह की लूटखसोट के बारे में जानकारी देकर आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की, लेकिन प्रशासन पूरी तरह आंख मूंदकर बैठा है।
सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रशासन तक पहुंचने वाली इस तरह की शिकायतों की संख्या एक हजार से अधिक हैं, लेकिन इन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। जन सुविधा केन्द्रों पर अवैध उगाही शहर के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में अधिक है।
आधार कार्ड बनाने में हो रही वसूली
मेरठ की बात करें यहां करीब 500 से जनसुविधा केन्द्र हैं। इनमें 425 केन्द्र ग्रामीण तो 50 केन्द्र शहरी इलाके में खुले हुए हैं। जन सुविधा केन्द्र की अवैध उगाही का शिकार बन चुकी गंगानगर निवासी रीता कहती हैं कि मैं बक्सर गांव स्थित जन सुविधा केन्द्र में अपना और अपनी बेटी का आधार कार्ड बनवाने गई थी। यहंा केन्द्र संचालक ने प्रति आधार कार्ड दो सौ रुपये की वसूली की। जब मैंने संचालक से कहा कि आधार कार्ड तो सरकार द्वारा मुफ्त में बनवाया जा रहा है तो केन्द्र संचालक का जवाब था कि फिर सरकार से ही बनवा लो। यहंा तो दो सौ रुपये प्रति कार्ड ही बनेगा।
रीता के मुताबिक सरकार इन दिनों हर जगह आधार कार्ड जरूरी कर रही है। सो मजबूरी में 400 रुपये देकर अपना और अपनी बेटी का आधार कार्ड बनवाना पड़ा। लिसाड़ी गेट निवासी अशोक कुमार को आय प्रमाण पत्र की जरुरत थी। बकौल अशोक कुमार वे रेलवे रोड स्थित जन सुविधा केन्द्र गये तो वहां केन्द्र संचालक ने आय प्रमाण पत्र शुल्क 80 रुपये बताया। जब उन्होंने कहा कि आय प्रमाण पत्र बनवाने का निर्धारित शुल्क तो 20 रुपये है तो संचालक ने यह कहते हुए दरवाजा दिखा दिया कि 20 रुपये में जहां बनता हो वहां बनवा लो।
इसी तरह जली कोठी निवासी मो.अहसान से तेजगढ़ी के जन सुविधा केन्द्र पर आय और जाति प्रमाण पत्र बनवाने के नाम पर 100-100 रुपये की मांग की गयी। यह चंद उदाहरण जनसुविधा केन्द्रों पर की जा रही अवैध उगाही के सबूत हैं। शहर और देहात स्थित करीब-करीब सभी केन्द्र लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर अवैध उगाही में लिप्त हैं।
केंद्र संचालकों ने उगाही को मजबूरी बताया
उधर,जनसुविधा केन्द्रों के संचालकों से अवैध उगाही के बारे में पूछने पर उन्होंने अवैध उगाही को अपनी मजबूरी बताया। उनका कहना था कि अगर हम निर्धारित शुल्क पर काम करेंगे तो हमारा दीवाला निकल जाएगा। शहर के एक जनसुविधा केन्द्र संचालक ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि एक आवेदन पत्र के लिए कई प्रमाणपत्र स्कैन करने होते हैं। इंटरनेट व प्रिन्टर का खर्चा आता है क्योंकि आवेदनकर्ता को आवेदन की रसीद का प्रिंट भी देना पड़ता है।
फिर दुकान का मासिक किराया भी देना पड़ता है। कुल मिलाकर एक आवेदन पर करीब 15 रुपये का खर्चा आता है। इस तरह यदि हम सरकार द्वारा प्रति आवेदन निर्धारित शुल्क 20 रुपये लेंगे तो एक आवेदन पर मात्र तीन रुपये ही बचेंगे क्योंकि 20 रुपये में 17 रुपये सरकारी कोष में जमा होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के संचालकों का भी अवैध उगाही के संबंध में यही कहना था। संचालकों का कहना है कि कई बार जिला प्रशासन से लाभांश बढ़ाने की मांग की गई, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नही हुई। ऐसे में निर्धारित शुल्क से अधिक वसूलना हमारी मजबूरी बन चुकी है।
जांच के बाद दोषी केंद्रों पर होगी कार्रवाई
अपर जिलाधिकारी प्रशासन एसपी पटेल कहते हैं कि उन्हें इस तरह की कोई जानकारी नही है। अगर ऐसा है तो वह औचक जांच कर दोषी केन्द्रों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। केन्द्र संचालकों की मांग पर उनका कहना था कि संचालकों के साथ बैठक कर इस समस्या का समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा। सपा शासनकाल में खुले इन जनसुविधा केन्द्रों में शुरू में आय, जाति, मूल निवास प्रमाणपत्र और खतौनी की प्रतिलिपि देने की सुविधा दी गई थी। बाद में वृद्घा पेंशन आदि के आवेदन भी होने लगे। कई सुविधा केन्द्रों में तो आधार कार्ड बनवाने की भी सुविधा है।