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Noida: नोएडा के दोनों टावर को गिराने के लिए इंप्लॉजन तकनीक का किया जाएगा प्रयोग, तीन महीने में मलबा होगा साफ

Noida: नोएडा के दोनों सुपरटेक टावर को गिराने के लिए इंप्लॉजन तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। इस तकनीक से कंट्रोल्ड ब्लास्ट होता है। वहीं, ध्वस्तीकरण के बाद जो मलबा साइट पर होगा उसे साफ करने में तीन महीने का समय लगेगा।

Sarita Jain
Published on: 21 July 2022 10:44 PM IST (Updated on: 21 July 2022 10:46 PM IST)
Noida News
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सुपरटेक टावर। 

Noida: नोएडा के दोनों टावर को गिराने के लिए इंप्लॉजन तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। इस तकनीक से कंट्रोल्ड ब्लास्ट होता है। कंपनी ने इससे पहले केरल के मराडु में भी इसी तकनीक का प्रयोग किया था। इसके अलावा जोहान्सबर्ग में इमारत को ध्वस्त किया था। इसमें सरिया टूटेंगी नहीं बल्कि उनका मुंह ऊपर से खुल जाएगा और डिबरीस उन्हीं के अंदर रहेंगी। करीब 35 हजार मीट्रिक टन मलबा निकलेगा। सरिया निकालने का काम एक महीने तक चलेगा। इसके बाद बेसमेंट को भरने में आधा मलबा लगेगा। इसे ऊपर से मिट्टी से कवर भी किया जाएगा। ताकि यहां ग्रीनरी की जा सके। और शेष मलबा सीएंडडी वेस्ट प्लांट भेज दिया जाएगा। या कुछ ऐसे प्वाइंट चिन्हित किए गए जहां सड़क का लेवल नीचें है वहां प्रयोग किया जाएगा। इस सरिए को बेचकर 13 करोड़ रुपए वसूल किए जाएंगे।

अलग से लगाया जाएगा प्लांट

प्राधिकरण ने बताया कि यहा सेक्टर-80 में लगा सीएंडडी वेस्ट प्लांट (C&D West Plant) की क्षमता महज 300 मेट्रिक टन की है। यहां पहले ही काफी दबाव है। ऐसे में इस मलबे को निस्तारण के लिए अलग से प्लांट लगाने पर विचार किया जा रहा है। जिसे सेक्टर-80 में ही लगाया जाएगा। इस मलबे से तैयार टाइल्स और अन्य सामान वेस्ट कंपनी अपने प्रयोग या बेच भी सकती है।

स्ट्रक्चर ऑडिट को लेकर फैसला नहीं

प्राधिकरण के निर्देश के बाद भी अभी ये तय नहीं हो सका है कि सुपरटेक के दोनों टावरों के आसपास टावरों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराया जाए या नहीं। सुपरटेक (supertech) को ये आडिट कराना है। प्राधिकरण ने स्पष्ट बोला है कि यदि जरा भी शंका हो तो इसका ऑडिट कराया जाए और रिपोर्ट सीबीआरआई को भेजी जाए।

तीन महीने में मलबा होगा साफ

ध्वस्तीकरण के बाद जो मलबा साइट पर होगा उसे साफ करने में तीन महीने का समय लगेगा। एक महीने बाद बंद ट्रकों के जरिए मलबा सीएंडडी वेस्ट प्लांट ले जाया जाएगा। ये कार्य एडिफिस कंपनी को करना है इसमे भी एनजीटी के नियमों को ध्यान रखना होगा।



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Deepak Kumar

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