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अजब गजब: दिहाड़ी मजदूरों को साथ ले ज्वाइन की कांग्रेस, 2 घंटे में पार्टी ने किया OUT
लखनऊ: बीते लोकसभा चुनावों से हाशिए पर जा चुकी कांग्रेस से जुड़ी अजब-हजब ख़बरें सामने आ रही हैं। ताजा मामले में राजधानी लखनऊ से है। जहां रविवार (16 अप्रैल) को शिवसेना के टिकट पर लखनऊ की कैंट विधानसभा चुनाव से चुनाव लड़ने वाले नेता कुंवर गौरव उपाध्याय ने कांग्रेस का दामन थामा।
इस मौके पर वह बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी ऑफिस पहुंचे और पार्टी की अनुशासन समिति के चेयरमैन सांसद डॉ संजय सिंह, पूर्व मंत्री रामकृष्ण द्विेदी और संगठन प्रभारी फजले मसूद की उपस्थिति में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। लेकिन राजनीतिक गलियारों में उस समय हलचल मच गई जब इनकी सदस्यता के मात्र 2 घंटे के अंदर ही पार्टी ने इनकी सदस्यता रद्द करते हुए इन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। पार्टी पदाधिकारियों ने रविवार शाम ही इन पर पार्टी के सिद्धांतों से इतर कृत्य करने का आरोप लगाते हुए तत्काल प्रभाव से बाहर कर दिया।
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शाम 5 बजे ज्वाइन की पार्टी, 7 बजते ही कर दिया बाहर
यूपी कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता संजय वाजपेयी ने बताया कि कुंवर गौरव उपाध्याय ने रविवार को शिवसेना का साथ छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था। इस बाबत शाम 5 बजकर 55 मिनट पर प्रेस रिलीज भी जारी कर दी गई थी। इसके बाद पार्टी के पदाधिकारियों को जानकारी हुई कि कुंवर गौरव उपाध्याय जिन लोगों को अपने साथ कार्यकर्ता बताकर पार्टी ऑफिस लाए थे। वो एक बड़े जनसमूह का खुद को समर्थन प्राप्त होने का दावा कर रहे थे।
मजदूरों को लाए समर्थक बताकर
दरअसल, उनमें से अधिकांश दिहाड़ी मजदूर निकले। पार्टी ऑफिस में कार्यक्रम निपटा कर गौरव उपाध्याय ने इन मजदूरों को मजदूरी देने का वादा किया था। लेकिन जब इन मजदूरों को इनकी मजदूरी नहीं मिली तो वे हंगामा करने लगे। इनमें से कुछ पार्टी ऑफिस भी पहुंच गए।
फजीहत से बचने के लिए पार्टी ने उठाया कदम
पार्टी सूत्रों की मानें तो मामले की जानकारी होते ही कांग्रेस पार्टी को फजीहत से बचाने के लिए गौरव उपाध्याय को पार्टी सिद्धांतों के विपरीत काम करने का आरोप लगाते हुए मात्र 2 घंटे में ही बाहर का रास्ता दिखाने का निर्णय ले लिया। प्रवक्ता संजय वाजपेयी ने इस बारे में 7 बजकर 41 मिनट पर प्रेस रिलीज जारी कर इसकी पुष्टि भी कर दी।
कांगेस का उद्धार अब इन नेताओं के हवाले
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों और यूपी विधानसभा के हाल के चुनावों में हाशिए पर जा चुकी कांग्रेस अब पार्टी आलाकमान के निर्देश पर संगठन को मजबूत करने का काम करने में जुट गई है। लेकिन रविवार को राजधानी में हुई इस अजब-गजब घटना ने पार्टी की खासी फजीहत करा दी है। राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस के कम होते जनाधार पर कटाक्ष करते हुए राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अब कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के नाम पर अगर ऐसे लोग पार्टी को ज्वाइन करेंगे तो कांग्रेस के मजबूत होने के आसार कम रहेंगे। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या कांग्रेस का उद्धार अब इन नेताओं के हवाले है। और क्या राजनीतिक हाशिए पर जा चुकी कांग्रेस को क्या इसी तरह की संजीवनी की आवश्यकता है?