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UP Election 2022: पहली बार यूपी में युवा नेताओं के हाथ होगी चुनाव की कमान

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 इस बार कई मायनों में खास होगा। यूपी के पांच सबसे बड़े दल जिनमें से चार के सेनापति की उम्र 50 साल से कम है

Rahul Singh Rajpoot
Report Rahul Singh RajpootPublished By Deepak Raj
Published on: 14 Aug 2021 11:52 PM IST (Updated on: 15 Aug 2021 8:08 PM IST)
Symbolic picture taken from social media
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प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 इस बार कई मायनों में खास होगा। यूपी के पांच सबसे बड़े दल जिनमें से चार के सेनापति की उम्र 50 साल से कम है, इन्हीं नेताओं के इर्द गिर्द यूपी की सत्ता घूमती दिखाई दे रही है। इनमें भारतीय जनता पार्टी से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (49 साल) समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (48 साल) कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा (49 साल) और आरएलडी के अध्यक्ष जयंत चौधरी (42 साल) के हैं। इसमें अगर मायावती को छोड़ दिया जाए तो यूपी के सेनापति इस बार अंडर 50 यानी 50 साल से कम उम्र के हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)

वैसे तो भारतीय जनता पार्टी किसी भी चुनाव में केंद्रीय नेताओं से लेकर दूसरे राज्यों के नेताओं की पूरी फौज मैदान में उतारती है, पहले फायर ब्रांड नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में 2022 का चुनाव लड़ा जाना है। योगी के हाथों में यूपी की कमान है लिहाजा सबसे ज्यादा जिम्मेदारी उन्हीं की है कि कैसे 2017 वाली जीत 2022 में दोहराएं। 2017 में बीजेपी को 300 से ज्यादा सीट हासिल हुई थी बीजेपी का समाजवादी पार्टी से सीधा मुकाबला होने वाला है। इस तरह यूपी में बीजेपी के सेनापति योगी आदित्यनाथ है और उनकी उम्र 49 साल है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव


प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)

समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को 'काम बोलता है' पर एक बार फिर सत्ता में वापसी की उम्मीद है। अखिलेश यादव भले ही 2017, 2019 में करारी शिकस्त झेल चुके हों लेकिन 2022 में उन्होंने ये स्लोगन दे दिया है '22 में बाइसिकल', इसका मतलब उन्हें पूरी उम्मीद है कि सरकार विरोधी लहर और उनके द्वारा किया गया काम अब जनता को दिख रहा है। जिससे वह 2022 में 400 सीटें जीतने का भी दावा कर रहे हैं।

हालांकि 2017 का चुनाव अखिलेश के नेतृत्व में लड़ा गया लेकिन पार्टी सिर्फ 47 सीट जीतकर विपक्षी दल तक सीमित हो गयी। 2019 में भी मायावती से हाथ मिलाने के बाद भी पार्टी को निराशा का सामना करना पड़ा। अखिलेश यादव 48 साल के हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से एक साल छोटे हैं। 2022 में इन दोनों नेताओं के बीच सीधा मुकाबला होना तय है। अब देखना होगा कि 2022 में अखिलेश पार्टी को सेनापति के रूप में कहां ले जा पाते हैं।

प्रियंका गांधी वाड्रा


प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)

2022 में सबसे ज्यादा कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के सियासी अस्तित्व की लड़ाई है। कांग्रेस 32 साल से यूपी में गद्दी की तलाश में है, 32 साल से सत्ता का वनवास झेल रही कांग्रेस की कमान अब प्रियंका गांधी के हाथों में है और वही 2022 की जंग में सेनापति हैं। पार्टी के लोग उनमें प्रियंका में इंदिरा गांधी की छवि भी देखते हैं। प्रियंका गांधी के सामने दो बड़े चेहरे हैं जो लगभग उनकी हम उम्र के भी हैं।

एक सीएम योगी आदित्यनाथ दूसरे सपा प्रमुख अखिलेश यादव। प्रियंका गांधी की लड़ाई सीधे इन दो दिग्गजों से है, इसीलिए जहां वह संगठन को मजबूत करने के लिए मेहनत कर रही हैं तो प्रदेश की कमान अजय कुमार लल्लू को सौंपी हुई हैं, जो खुद भी 42 साल के हैं। इसलिए कांग्रेस के इन दोनों दिग्गजों को अब 2022 में पार्टी को फर्श से अर्श तक पहुंचाना है जोकि इतना आसान नहीं दिखाई देता है।

जयंत चौधरी


प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)

अब बात राष्ट्रीय लोकदल की, हाल ही में चौधरी अजीत सिंह के निधन के बाद पार्टी की जिम्मेदारी उनके बेटे जयंत चौधरी पास है। 2017 के चुनाव में पार्टी को सिर्फ एक सीट मिली थी। हालांकि इस बार पार्टी के नेताओं का मानना है कि पश्चिमी यूपी समेत अन्य जगह वो किला फतेह करेंगे। जयंत चौधरी सपा के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरेंगे। उन्हें और उनकी पार्टी को उम्मीद है किसान आंदोलन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फायदा होगा। ऐसे में पार्टी का प्रदर्शन उनका और पार्टी दोनों का भविष्य तय करेगा।

चंद्रशेखर रावण


प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)

भीम आर्मी के संस्थापक और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद भी 2022 की जंग में अपनी ताकत दिखाएंगे। चंद्रशेखर दलितों के बड़े नेता के तौर पर उभरे हैं और वह मायावती के वोट बैंक पर चोट पहुंचा सकते हैं। चंद्रशेखर की पार्टी पश्चिमी यूपी में काफी सक्रिय है और वह दलितों की लड़ाई पूरे देश में लड़ रहे हैं। चर्चा है कि वह सपा के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं।



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Deepak Raj

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