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बुंदेलखंड की बदहाली: कम जिम्मेदार नहीं हैं ये अधूरे सिंचाई प्रोजेक्ट

Sanjay Bhatnagar
Published on: 13 May 2016 8:26 AM GMT
बुंदेलखंड की बदहाली: कम जिम्मेदार नहीं हैं ये अधूरे सिंचाई प्रोजेक्ट
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Raj Kumar Raj Kumar

लखनऊ: बुंदेलखंड में पानी की जानलेवा किल्लत के लिए मौसम के साथ साथ सरकारी लापरवाही भी जिम्मेदार है। इलाके में जारी कई सिंचाई परियोजनाएं तो तीस पैंतीस साल से अधूरी पड़ी हैं। इन प्रोजेक्ट्स की लागत हर साल बढ़ती जाती है, और काम लटकता जाता है। जिसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, यहां के लोगों को।

37 वर्षों से अधूरा

-झांसी का नवीन लहचूरा डैम प्रोजेक्ट पिछले 37 वर्षों से अधूरा पड़ा है।

-धसान नदी पर 1906 से 1910 के बीच 542.20 मीटर लम्बा लहचूरा बांध बना था।

-बांध पुराना होने के चलते 1979 में इसकी जगह नवीन लहचूरा डैम प्रोजेक्ट बना।

-9 फरवरी 1979 को इसकी अनुमानित लागत 704.14 लाख आंकी गयी।

अधूरा है लहचूरा डैम अधूरा है लहचूरा डैम

-एक साल बाद यह बढ़ कर 852.70 लाख हो गई।

-मगर 21 साल बाद भी बांध नहीं बन पाया।

-2001 में इसकी लागत बढ़कर 9804.94 लाख हो गई।

-फिर 11 साल और गुजर गए। मार्च 2012 में इसकी लागत फिर आंकी गई।

-अब इसकी लागत 328.82 करोड़ मंजूर की गई है।

-इस प्रोजेक्ट पर अब तक 285.95 करोड़ रुपए खर्च किये जा चुके हैं, लेकिन प्रोजेक्ट अधूरा है।

-इस बांध से हमीरपुर तक सिंचाई का काम हो सकता है।

बढ़ रही है प्रोजेक्ट्स की लागत बढ़ रही है प्रोजेक्ट्स की लागत

17 करोड़ से 71करोड़

-चित्रकूट की कर्वी तहसील में रायसिन गांव के पास रायसिन बांध प्रोजेक्ट का काम जारी है।

-वर्ष 2001 में इसकी लागत 17.24 करोड़ मंजूर की गई थी।

-अब इसकी लागत बढ़कर 76.36 करोड़ हो गई है।

-इस पर 71.36 करोड़ खर्च हो चुके हैं

-लेकिन सिर्फ 80 फीसद काम हो सका है।

-बुंदेलखंड पैकेज में 22.80 करोड़ की मंजूरी और मिली है।

-इससे 2290 हेक्टेयर इलाके की सिंचाई की जा सकेगी।

धसान नदी के पानी का उपयोग नहीं हुआ धसान नदी के पानी का उपयोग नहीं हुआ

लटका है पहाड़ी बांध

-यह बांध झांसी की तहसील मऊरानीपुर में धसान नदी पर बनाया जा रहा है।

-इस परियोजना के पूरा होने की तारीख 28 मार्च 2013 थी।

-लेकिन अब तक सिर्फ 40 फीसद काम ही हो सका है।

-अब इसका समय बढ़ा कर 2018-19 कर दिया गया है।

-इसकी लागत बढ़ कर 354.20 करोड़ हो गई है।

-इससे धसान नहर सिस्टम को सिंचाई के लिए जरूरी पानी मिल सकेगा।

पैसे नहीं, तो काम नहीं

-लोअर रोहिणी डैम प्रोजेक्ट की लागत 148.44 करोड थी।

-लागत बढ़ कर 174.26 करोड़ हुई।

-मार्च 2014 तक 157.80 करोड़ खर्च भी किए गए।

-पर दिसम्बर 2015 तक धन न मिलने से काम ठप हो गया।

सूखे की मार से बदहाल हैं बुंदेलखंड के लोग सूखे की मार से बदहाल हैं बुंदेलखंड के लोग

ये भी अधूरे

-क्योलरी बांध परियोजना पर 7 साल में 7.78 करोड़ खर्च, अधूरी।

-अर्जुन सहायक परियोजना अधूरी। 741.38 करोड़ में 680.86 करोड़ खर्च। सिर्फ 60 फीसद काम हुआ।

-उटारी बांध प्रोजेक्ट अधूरा। लागत बढ़ कर 200.61 करोड़ रूपये हुई।

-जमरार बांध परियोजना अधूरी। लागत​ 167.15 करोड़ से बढ़कर 246.06 करोड़ हुई।

-पहुंज बांध पर काम की लागत 63.52 करोड़ से बढ़कर 73.96 करोड़ हुई।

-महोबा के कबरई में रतौली बांध वियर परियोजना की लागत 5.57 करोड़ थी।11.57 करोड़ खर्च लेकिन अधूरी।

मीलों चल कर लाना होता है थोड़ा सा पानी मीलों चल कर लाना होता है थोड़ा सा पानी

सूखे की मार

-बुंदेलखंड में जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट और हमीरपुर शामिल हैं।

-करीब तीन दशकों से कम बारिश के चलते पूरा इलाका बदहाल है।

-सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव के प्रयासों से कई प्रोजेक्ट्स का काम तेज हुआ, लेकिन रिजल्ट नहीं मिले।

-प्रमुख सचिव सिंचाई, दीपक सिंघल से इन प्रोजेक्ट्स पर जानकारी लेने की कोशिश की गई, मगर संपर्क नहीं हो पाया।

Sanjay Bhatnagar

Sanjay Bhatnagar

Writer is a bi-lingual journalist with experience of about three decades in print media before switching over to digital media. He is a political commentator and covered many political events in India and abroad.

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