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बुन्देलखंड में जल संकटः बोले राजेन्द्र सिंह, फसलें सूखी, पानी के लिए तड़प रहे किसान
उन्होंने कहा बुंदेलखंड भारत का वह इलाका है जिसने जल प्रबंधन के क्षेत्र में पूरे दुनिया में अपना गौरवशाली इतिहास बनाया हैं, लेकिन हाल के दिनों में इस इलाके की पहचान जल संकटग्रस्त क्षेत्र के तौर पर हो गई है।
झांसी: बुंदेलखंड जल संकटग्रस्त हो रहा है, फसलें सूख रही हैं आज बुंदेलखंड में देखा कि जल संकट के कारण कुएं सूख गए हैं। जिसके कारण किसानी के लिए किसानों को पानी नहीं मिल रहा है। बुंदेलखंड के किसान सूखामुक्त क्षेत्र की मांग कर रहे हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बुंदेलखंड जैसा प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न इलाका आज जल संकटग्रस्त हो रहा है। गांव के लोग जल संकट के कारण उत्पन्न हालातों से गांव छोड़ने के लिए विवश हो रहे हैं। यह बात जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुये कही।
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उन्होंने कहा बुंदेलखंड भारत का वह इलाका है
उन्होंने कहा बुंदेलखंड भारत का वह इलाका है जिसने जल प्रबंधन के क्षेत्र में पूरे दुनिया में अपना गौरवशाली इतिहास बनाया हैं, लेकिन हाल के दिनों में इस इलाके की पहचान जल संकटग्रस्त क्षेत्र के तौर पर हो गई है। बुंदेलखंड की धरती का पेट खाली हो गया है, भूगर्भ जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है इस इलाके को पानीदार बनाने के लिए धरती के खाली पेट को भरना होगा। जिसके लिए तालाबों और नदियों को पुनर्जीवित करना होगा। बुंदेलखंड के लोगों की आंखों में आज भी पानी है बस इनको जल संरक्षण के काम में लगनें की आवश्यकता है।
jhansi (PC: social media)
झाँसी के बबीना ब्लॉक में कनेरा नदी का भ्रमण किया अच्छा काम हो रहा है
आज हमने झाँसी के बबीना ब्लॉक में कनेरा नदी का भ्रमण किया अच्छा काम हो रहा है, इसके यहां पर जिला प्रशासन को धन्यवाद, बस कुछ तकनीकी मापदंडों के ध्यान देने की जरूरत है। चैकडेम आदि के निर्माण में ठीक ढंग से डिजाइन नहीं की जा रही है, जिसके कारण भविष्य में संरचनाओं के क्षतिग्रस्त होने की संभावना रहेगी।
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पूरे बुंदेलखंड में व्यापक जल साक्षरता की जरूरत है, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर बुंदेलखंड में एक जल साक्षरता केंद्र की स्थापना करनी चाहिए ताकि यहां के लोग अधिक से अधिक जल के प्रति साक्षर हो सके। बुंदेलखंड को बचाने के लिए यहां के परंपरागत संसाधनों संरक्षण की आवश्यकता है। इस अवसर पर जल जन जोडो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. संजय सिंह, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के डॉ. सीपी पैन्यूली, डॉ. मोहम्मद नईम उपस्थित रहे।
रिपोर्ट- बी.के.कुशवाहा
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