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यहां बीता ड्रिब्लिंग मास्टर का बचपन, बने भारत के लिए पदक लाने के काबिल

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Published on: 20 July 2016 10:07 AM GMT
यहां बीता ड्रिब्लिंग मास्टर का बचपन, बने भारत के लिए पदक लाने के काबिल
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पूर्व भारतीय हॉकी प्लेयर मोहम्मद शाहिद (इनसेट में) ने भारत को दिलाए गए पदक

वाराणसी: भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कैप्टन और ड्रिब्लिंग मास्टर कहे जाने वाले काशीवासी मोहम्मद शाहिद (56) की बुधवार को गुरुग्राम के मेंदांता हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई। मोहम्मद शाहिद की मौत की खबर सुनते ही भारतीय खेल जगत सहित उनके परिजनों में शोक की लहर दौड़ पड़ी।

बता दें, कि मोहम्मद शाहिद काफी लंबे समय से पीलिया और डेंगू की बीमारी की चपेट में आने के बाद से इलाज करा रहे थे। मोहम्मद शाहिद का पूर्व बीएचयू में भी इलाज चल रहा था, लेकिन हालत में सुधार न होने पर 29 जून 2016 को डॉक्टर्स ने उन्हें गुरुग्राम के लिए रेफर कर दिया था। जहां स्वास्थ्य में लगातार गिरावट होने के कारण बुधवार को गुरुग्राम के मेंदांता हॉस्पिटल में मोहम्मद शाहिद ने अंतिम सांस ली।

varanasi वाराणसी के अर्दली स्थित इसी मकान में रहते थे मोहम्मद शाहिद

दस भाई-बहनों में सबसे छोटे थे मोहम्मद शाहिद

-14 अप्रैल 1960 में वाराणसी में जन्‍मे मोहम्मद शाहिद ने 17 साल की उम्र में अंतरराष्‍ट्रीय हॉकी की दुनिया में कदम रखा।

-वे पहली बार 1979 में हुए जूनियर वर्ल्‍ड कप में फ्रांस के खिलाफ खेले।

-दस भाई-बहनों में सबसे छोटे मोहम्मद शाहिद का एक बेटा मोहम्मद सैफ और एक बड़ी बेटी हिना परवनी है।

-मोहम्मद शाहिद की एक बेटी का पहले ही देहांत हो चुका है।

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किडनी और लीवर की परेशानी से जूझ रहे थे शाहिद

नम आंखों से मोहम्मद शाहिद के बड़े भाई रेलवे के रिटायर कर्मी सदरूद्दीन ने बताया कि शाहिद एक महान खिलाड़ी थे और उनके उपर ही पूरा परिवार आश्रित था। शाहिद को साल भर से पीलिया की बीमारी थी। शाहिद काफी समय से किडनी और लीवर की परेशानी से जूझ रहे थे। जिसके इलाज में उन्होंने काफी लापरवाही बरती जिसके कारण शाहिद बीमारी बढ़ गई।

सदरूद्दीन ने बताया कि दो दिनों पहले जब उनकी शाहिद से बात हुई तो एक बार परिजनों को लगा की वो ठीक हो जाएंगे, लेकिन बुधवार शाहिद की मौत की सूचना मिली तो सभी शोकाकुल हो गए। हांलाकि उनके इलाज के लिए रेल मंत्रालय और भारत सरकार ने पूरे इलाज का खर्च उठाए जाने की बात भी कही थी, लेकिन अब वो किसी काम का नहीं क्योंकि अब वह इस दुनियां को विदा कर गए।

बचपन के शौक ने बनाया भारत के लिए पदक लाने के काबिल

-मोहम्मद शाहिद के दूसरे भाई रियाजुद्दीन बताते हैं कि बचपन से ही शाहिद को हॉकी खेलने का बड़ा शौक था।

-इसी शौक ने मोहम्मद शाहिद भारत के लिए न जाने कितने पदक लाने के लायक बनाया।

अर्जुन पुरस्कार और पद्म श्री अवार्ड से नवाजे गए शाहिद

-शाहिद ने अपना आखिरी मैच साल 1980 में मॉस्को ओलंपिक के रूप में खेला था।

-जिसमें शाहिद ने भारत के लिए गोल्ड मैडल हासिल कर परचम लहराया था।

-शाहिद तीन ओलंपिक, दो वर्ल्ड कप और दो एशियन गेम्स में भारतीय टीम के सदस्य रहे हैं।

-शाहिद ने 1985 से 1986 के बीच देश की नेशनल टीम की अगुआई भी की।

-1985 में मलेशिया के इपोह शहर में अजलान शाह कप में शाहिद टीम के कप्‍तान थे और भारत ने इसमें गोल्‍ड जीता था।

-भारत सरकार ने शाहिद को 1980-1981 में अर्जुन पुरस्कार से और साल 1986 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित भी किया।

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