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Workers returning from gulf countries: खाड़ी देशों ने बदले कामगारों के नियम, युवाओं की हो रही घर वापसी
Workers returning from gulf countries: बड़ी तादात में युवा खाड़ी के अलग अलग देशों में नौकरी की तलाश में गए। वहां उन्होंने पैसे कमाए और घर भेजे, ये सिलसिला चलता रहा।
Workers returning from gulf countries: एक समय था, जब युवा और खास कर लखनऊ के मुस्लिम युवा खाड़ी देशों में अपना भविष्य देखते थे। उनका सपना होता था कि वो खाड़ी देशों में जाकर अपना करियर बनाए। लेकिन अब स्थति बदल रही है देखिए खास रिपोर्ट..
ये जानने से पहले ये समझ लेते हैं, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपई ने युवकों के लिए खाड़ी देशों के रास्ते जब खोले, उस समय बड़ी तादात में युवा खाड़ी के अलग अलग देशों में नौकरी की तलाश में गए। वहां उन्होंने पैसे कमाए और घर भेजे, ये सिलसिला चलता रहा। खाड़ी देशों में ये ड्राइवर, कुक, केयर टेकर, नर्स, मजदूरी, चिकनकारी, मैकेनिक और कंपनी में जॉब करते। वहां से आमदनी का एक हिस्सा घर भेजते। परिवार के जीवन स्तर में बदलाव आता गया। खाड़ी देशों की करंसी और भारत की करंसी में काफी अंतर के चलते ये संभव हुआ। आज भी लखनऊ और आसपास के जिलों के सैकड़ों युवा इन देशों में हैं।
घर वापसी को तैयार
आसिफ कुछ दिन पहले ही रियाद से लखनऊ वापस लौटे हैं। आसिफ रियाद में एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करते थे। इंडिया के हिसाब से महीने के 65 हजार रु मिलते थे। वहां अधिक खर्च नहीं होता था। ऐसे में वो ज्यदातर पैसा घर भेज देते थे। अब वो वापस रियाद नहीं जाना चाहते।
आसिफ कहते हैं, सिर्फ वे ही नहीं उनके साथ के 100 से अधिक भारतीय वापस लौट आए हैं। अब वो वहां वापस नहीं जाना चाहते। उन्होंने बताया कि खाड़ी के लगभग सभी देशों में काम देने वालों ने ये नियम बना दिया है कि 3 साल से पहले प्रवासियों को घर जाने की छुट्टी नहीं मिलेगी। इसके साथ ही काम करने के 9 घंटे कर दिए गए हैं। पहले जहां ओवरटाइम मिलता था वो भी बंद हो गया है। जुम्मे की छुट्टी यदि न लें तो उसका पैसा मिलता था, वो भी नहीं मिल रहा। हम अपने सुख दुःख में शामिल नहीं हो सकते। मां, बाप, बीवी, बच्चे साथ नहीं होते। इससे अच्छा है हम अपने वतन में अपनों के पास रहे। आसिफ बताते हैं कि वो यहाँ अपनी कंपनी शुरू करेंगे। इस काम में उनके साथ वापस आए कई और साथ भी जुड़ेंगे।
दुबई के 8 स्टार होटल में चीफ कुक के हेल्पर थे सादिक
सादिक दुबई के एक 8 स्टार होटल में चीफ कुक के हेल्पर हैं। दो महीने पहले घर वापस आए हैं। उनका कहना है कि 12 सालों में लखनऊ काफी बदल गया है। कई बड़े इंटरनेशल ब्रांड लखनऊ आ चुके हैं। मेट्रो चल गई। कई माल्स बन गए। होटल्स खुल गए। नौकरी के जितने मौके यहाँ हैं। वो काफी हैं। सादिक ने बताया वो जल्द आलमबाग में रेस्ट्रोरेन्ट ओपेन करने जा रहे हैं। जहां अरेबिक फूड्स मिलेंगे। उनका कहना है अब लखनऊ वाले देर रात तक आउटिंग करते हैं, होटल्स और रेस्तरा में खाना खाते हैं। 12 साल पहले ऐसा नहीं था, अब सैलरी भी अच्छी मिलती है। बिजनेस की अपार संभावना हैं फिर क्यों हम गैर मुल्क जाएं।
सादिक की तरह ही तौसिफ भी जद्दा में काम करते हैं। रमजान में 5 साल बाद वतन वापसी हुई। लखनऊ को देख उनको काफी ख़ुशी हुई। वो अब यहाँ ही रहने का मन बना चुके हैं। उनका कहना है कि वो यहाँ अपनी वर्कशॉप खोलने वाले हैं। इसके साथ ही लक्जरी सेकेंड हैण्ड कारों का भी काम शुरू कर रहे हैं। तौसिफ कहते हैं पिछले 1 महीने में मैंने देख लिया कि शहर में लक्जरी सेकेंड हैण्ड कारों का अच्छा बाजार है। इससे पैसा बनाया जा सकता है। जितना पैसा हम अपनों से दूर रह के कमा रहे, उतना पैसा अगर यहीं मिलने लगेगा तो क्यों ही वापस जाना। सादिक कहते हैं कोरोना की पहली और दुसरे लहर के बीच उनके साथ के कई युवकों ने वतन वापसी की थी और सरकार से उनको काफी मदद मिली जिसके बाद वो वापस नहीं गए।
पूरा जीवन कुवैत सिटी में बिता दिया काविश खान ने
काविश खान ने अपना पूरा जीवन कुवैत सिटी में बिता दिया वो कहते हैं, पहले होता ये था कि कुवैत सिटी में मै जितना एक साल में कमाता था उतना अपने वतन में कमाने जाता तो 3 से 4 साल लग जाते। लेकिन अब ऐसा नहीं सरकार भी काफी मदद करती है। देश भी तरक्की कर रहा है। 22 साल की उम्र में गया था, दो साल बाद वापस आया तो निकाह हो गया फिर गया तो लगभग 4 साल बाद वापस आया। दो बेटियों का निकाह हुआ मैं शामिल नहीं हो सका। पहले मां का इंतकाल हुआ फिर अब्बा भी चल बचे मैं लौट नहीं सका। अब 55 साल का हो गया हु, अंतिम समय में यही था कि वतन की मिट्टी में दफ़न होने से पहले कुछ समय अपनों के साथ बीता सकूँ। नाती नातिन से लाड कर सकूँ।
मुस्तफा ओमान से लौटे हैं। लेकिन अब वो वापस नहीं जाना चाहते। उनके साथ गांव के करीब 20 और लड़के आएं हैं। जिन्होंने उद्ग्योग आधार बनवा लिया है। उनको सरकारी योजनाओं का फायदा मिल रहा है। अब मुस्तफा भी वापस नहीं जाएंगे। मुस्तफा ने एक बात और बताई कि ऐसा नहीं की कोई जा नहीं रहा अभी भी जाते हैं लोग। लेकिन वापसी करने वालों की संख्या ज्यादा है।
क्यों वापसी कर रहे
इन सभी से बात कर के जो बात समझ आती है, वो ये है कि खाड़ी देशों ने कामगारों के लिए नियम में काफी बदलाव किए। वहीँ उन देशों में भी अब महंगाई काफी अधिक है। काम के घंटे बढ़ गए हैं। उसके मुताबिक आमदनी नहीं है। जिसके लिए ये बाहर थे। वहीँ अब देश में रोजगार के कई मौके पैदा हुए हैं। सरकार की कई योजनायें हैं। जिसमें अपना रोजगार करने के लिए कम व्याज दर पर लोन मिल रहा है। सबसे बड़ी बात कि अब खाड़ी देशों की कमाई और यहाँ की कमाई में अधिक अंतर नहीं बचा है।