TRENDING TAGS :
InSar Technology : इस तकनीक के जरिए भूकंप समेत कई दैविक आपदाओं का लगाया जा सकेगा पूर्वानुमान
InSar Technology का देश का पहला वर्क शॉप प्रयागराज के एमएनएनआईटी संस्थान में सम्पन्न हुआ। बता दें इस InSar के मदद से भूकंप समेत कई दैविक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
InSar Technology : प्रयागराज का एमएनएनआईटी (MNNIT) संस्थान एक बार फिर देश को नई ऊंचाइयों को लाने के लिए चर्चा में बना हुआ है। इस बार एमएनएनआईटी संस्थान में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान में InSar थ्योरी का वर्कशॉप का समापन हुआ। इंसार एक ऐसी तकनीक है जिससे वैज्ञानिकों को यह पहले ही पता चल जाएगा कि कहीं भूकंप आना है या फिर लैंडस्लाइड या कोई भी दैविक आपदा आने वाली है या नही। इंसार जीपीएस सेटेलाइट के माध्यम से पृथ्वी को कई बार देखा जाता है। उस डाटा को विभिन्न विभिन्न समय के अंतराल में रिकॉर्ड किया जाता है उस पर वैज्ञानिक वर्क करते हैं और एक्सपेरिमेंट करते हैं। जिसके बाद वैज्ञानिक अध्ययन करते हैं और ये पता चलता है कि आखिर कोई आपदा आने वाली है या नहीं।
भूकंप का पूर्वानुमान लगा सकेगी यह टेक्नोलॉजी
सबसे ज्यादा इस टेक्नोलॉजी का असर भूकंप आने को लेकर पता चलता है कि अगर कहीं पर भी भूकंप आना होगा तो इस टेक्नोलॉजी के जरिए वैज्ञानिकों को पहले ही पता चल जाएगा। हालांकि अमेरिका, यूरोप में इसका अध्ययन काफी सालों पहले से ही चल ही रहा है लेकिन अब भारत में भी इसको प्रमुखता से लिया जा रहा है। इस टेक्नोलॉजी के जरिए विज्ञानिक आने वाली आपदा को जल्द से जल्द पर रख लेंगे जिससे जान माल का नुकसान कम हो इसके लिए काफी मदद मिल सकेगी इंसार टेक्नोलॉजी भूकंप के साथ-साथ अगर किसी पहाड़ी इलाकों में लैंडस्लाइड भी होता है या फिर कोई दैवीय आपदा भी आती है उसकी भी सूचना इस टेक्नोलॉजी के जरिए वैज्ञानिकों को मिल जाएगी।
MNNIT के प्रोफेसर का ये है कहना
प्रयागराज के एमएनएनआईटी के प्रोफ़ेसर रामजी द्विवेदी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) जी का भी ये मानना है कि सेटेलाइट मिशन है उसको बढ़ाया जाए साथ ही साथ स्पेस सेंटर को भी बढ़ाएं। हालांकि विदेशों में बहुत समय से चल रहा था लेकिन अब भारत में भी इसकी शुरुआत हो गई है।
प्रोफ़ेसर राम का कहना है कि विगत वर्षों में इंसार के प्रति वैज्ञानिकों का रुझान कम रहा है। लेकिन अब एक बार फिर इंसार के प्रति वैज्ञानिक जागरूक हो रहे हैं इसी वजह से देश की पहली वर्क शॉप प्रयागराज में रखी गई है। इस वर्कशॉप में फिलहाल 20 लोगों ने हिस्सा लिया जबकि 60 लोगों ने आवेदन दिया था जो विभिन्न विभिन्न दिलों से आए हुए हैं इसमें कुछ छात्र हैं तो कोई प्रोफेसर है।
इस कार्यक्रम में देश भर के ख्याति प्राप्त आचार्य और वैज्ञानिकों ने अपने अपने व्याख्यानों से प्रशिक्षण कार्यक्रम में आये हुए शोधकर्ताओं, आचार्यों एवं छात्रों को इस तकनीक से अवगत कराया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पीआरएल अहमदाबाद, एन ई सैक, इसरो, आई आई टी रोपर, एन. जी. आर. आई. हैदराबाद इत्यादि संस्थानों से 20 शोधकर्ताओं ने भाग लिया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रो वाई. एस. राव, आई आई टी बॉम्बे, डॉ चंद्रकांत ओझा, आई. आई. एस. ई. आर. मोहाली, डॉ रामजी द्विवेदी, डॉ प्रमोद सोनी एवं इंडस्ट्री लीडर ने व्याख्यान दिए। समापन कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक प्रो रमाशंकर वर्मा ने विभाग को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल आयोजन की बधाई दी। प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक डॉ रामजी द्विवेदी, सहायक आचार्य ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।