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वेबिनार में किसानी से जुड़ी समस्याओं पर हुआ मंथन

छोटे किसानों के लिए इलेक्ट्रिमेट सोर्स आफ पावर-आवश्यकता एवं परिप्रक्ष्य नामक विषय पर बेविनार आयोजित किया गया।

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Newstrack NetworkPublished By Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 4 July 2021 1:44 PM GMT
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किसान की फाइल तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

लखनऊ: इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया)-उत्तर प्रदेश केन्द्र ने रविवार को एक वेबिनार 'छोटे किसानों के लिए इलेक्ट्रिमेट सोर्स आफ पावर-आवश्यकता एवं परिप्रक्ष्य नामक विषय पर आयोजित किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व की-नोट वक्ता डॉ. एसपी सिंह प्रधान वैज्ञानिक (कृषि यंत्र व शक्ति), कृषि अभियांत्रिकी संभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली थे। डॉ. सिंह अपने प्रेरक बातों से भारतीय कृषि में निविष्ट शक्ति जैसे मानव, खेती में पशु, ट्रैक्टर, पावर टिलर, कम्बाइन हार्वेस्टर, डीजल इंजन व विद्युत मोटर का स्थिर व मोबाइल के विभिन्न कृषि क्रियाओं में महत्व पर प्रकाश डाले। उन्होंने कहा, देश में कुल जोत क्षेत्र में वर्ष 1990-1991 से 2014-15 के दौरान (-) 0.08416 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।

कृषिकर्मी व खेती में पशु की उपलब्धता में भी गिरावट पाई गई। कृषिकर्मी में महिलाओं की संख्या अधिक होने का भी अनुमान है। इस स्थिति में जेण्डर फ्रैंडली प्राइम मुवर जो विभिन्न स्थिर व मोबाइल कृषि क्रियाओं में उपयोगी हो की आवश्यकता पर बल दिया। वर्ष 2020-21 में कुल अनुमानित उपलब्ध कृषि शक्ति 385.6 मिलियन किलोवाट का 74.42 प्रतिशत में केनिकल स्रोत से मिल रहा है और उपलब्ध कृषि शक्ति 2.76 किलोवाट प्रति हेक्टेअर आंकी गई है। देश में कृषि कर्मियों व खेती में पशुओं की संख्या में आ रही गिरावट से इस बात की ओर बल दिया कि देश में छोटे पावर (चालक पीछे चले) स्रोत की अतिआवश्यकता है जिससे इस प्रकार के कैचमेंट में किसान आसानी से कम खर्च में और बहुत कम ड्रजरी को महसूस करके अपना काम कर सकें।

इसी क्रम में एक मिनी व छोटे प्राइम मुवर का विकास कार्य खेती के कार्यों में मानव श्रम को कम करना और इनकी उत्पादकता को बढ़ाना तथा ड्रजरी को बहुत कम करना है। इस प्राइम मुवर को साल में 680 घंटा चलाने से लगभग 804 किग्रा. कार्बन डाइ आक्साइड (253 लीटर डीजल) की बचत होने का अनुमान है। छोटे प्राइम मुवर से 5 लीटर डीजल प्रति हेक्टेअर की बचत हो सकती है और यह पावर टिलर से 5-10 गुना किफायती साबित हो सकता है।

कार्यक्रम के शुरुआत में इंजी. आरके त्रिवेदी, चेयरमैन, इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) -उत्तर प्रदेश केन्द्र ने मुख्य अतिथि व की-नोट वक्ता डॉ. एसपी सिंह तथा प्रतिभागियों का स्वागत किया। इंजी. वीबी सिंह, परिषद सदस्य व चेयरमैन, सिविल इंजीनियरिंग बोर्ड, इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) ने भी स्वागत किए और इस वेबिनार पर अपना रिमार्क दिए। डॉ. जसवन्त सिंह, फेलो, इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) व कन्वेनर ने वेबिनार के टापिक से परिचय कराए। मीटिंग के समाप्ति में इंजी. प्रभात किरण चौरसिया, आनरेरी सेक्रेटरी, इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) -उत्तर प्रदेश केन्द्र ने मुख्य अतिथि व की-नोट वक्ता, चेयरमैन, परिषद सदस्य, पूर्व-चेयरमैन, डा. भरत राज़ सिह, वेबिनार कन्वेनर व प्रतिभागियों को धन्यवाद दिए।

Raghvendra Prasad Mishra

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