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Jhansi: तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कृषि सम्मेलन में बोले मंत्री, आधी आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर

Jhansi News Today: तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कृषि सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर नरेंद सिंह तोमर ने कहा देश की आधी से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर है।

B.K Kushwaha
Report B.K KushwahaPublished By Shreya
Published on: 6 May 2022 8:08 PM IST
Jhansi: तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कृषि सम्मेलन प्रारंभ, कृषि मंत्री बोले- आधी से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर
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अंतरराष्ट्रीय कृषि सम्मेलन (फोटो- न्यूजट्रैक)

Jhansi News: बुंदेलखंड क्षेत्र में कृषि को लेकर अपार संभावनाएं हैं। विगत 7 वर्षों में इस क्षेत्र में कार्य करने वाले भारत सरकार के कृषि शोध एवं शैक्षणिक संस्थानों, कृषि वैज्ञानिकों, कृषि शिक्षकों, कृषकों एवं छात्रों ने इस क्षेत्र को नया आयाम दिया है। वैज्ञानिकों के नवाचार एवं छात्रों की गतिविधियों से इस क्षेत्र को लाभ मिला है। लेकिन लक्ष्य अभी दूर है, सतत सामूहिक प्रयास से कृषि आयाम यहां की आर्थिक स्थिति बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

उक्त विचार भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण, केंद्रीय मंत्री, नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान के ऑडीटोरियम में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कृषि सम्मेलन (International Agriculture Conference) के उद्घाटन के अवसर पर व्यक्त किए।


देश की आधी से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर

केंद्रीय कृषि मंत्री ऑनलाइन माध्यम से उद्घाटन समारोह में जुड़े। उन्होंने कहा कि "कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी- चुनौती एवं सम्भावनायें" विषय पर आयोजित इस सम्मेलन से निश्चित ही कुछ ऐसे सुझाव निकल कर आएंगे जिससे भारत सरकार कृषि सतत विकास के लिए नीतिगत निर्णय ले सकेगी। उन्होंने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि यह इस प्रकार का पहला ऐसा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है जिसे झांसी के सभी संस्थानों के साथ ही कई देश के महत्वपूर्ण संस्थान संयुक्त रूप से आयोजित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि देश की आधी से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर है। ऐसे में कृषि क्षेत्र में ज्ञान और प्रतिभा का बेहतर उपयोग कर, गंभीरता से चर्चा कर, कृषि को लाभ का उपक्रम बनाया जा सकता है।


कृषि संस्थान छात्रों की मदद से गांव को गोद लेकर करें कार्य

इसके लिए भारत सरकार डिजिटल एग्रीकल्चर, माइक्रो इरिगेशन, मृदा स्वास्थ कार्ड, सीड सिलेक्शन, एग्रो मार्केट, प्रोडक्शन सेंटर के साथ ही अन्य तकनीकों के प्रयोग के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से 20 हज़ार करोड़ रुपए किसानों को वितरित किए गए है, जिससे देश के लगभग 86% छोटे किसान सक्षम हो देश के विकास में सहयोग प्रदान कर सकेंगे।

उन्होंने कहा कि देशभर के विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाने हेतु 6865 करोड रुपए के कार्य किए जा रहे हैं। भारत सरकार ने डेढ़ लाख करोड रुपए किसी क्षेत्र में संरचना को खड़ा करने के लिए उपलब्ध कर आए हैं। परंपरागत कृषि को व्यावसायिक कृषि में बदलने के लिए नई शिक्षा नीति में भी प्रावधान किए गए हैं जिससे छात्र पाठ्यक्रम की पढ़ाई के साथ ही व्यवहारिक ज्ञान भी प्राप्त करें। कृषि संस्थान छात्रों की मदद से गांव को गोद लेकर कार्य करें, जिससे कृषि को उन्नत क्षेत्र बनाकर जीडीपी में वृद्धि की जा सके।

पीएम की पहल पर 80 करोड़ लोगों को प्रदान किया है अन्न

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अरविंद कुमार ने कहा कि सरकार के नीतिगत प्रयास के फलस्वरूप खाद्यान्न उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर बना है एवं कई फसलों का निर्यात कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कि पहल पर 80 करोड़ लोगों को अन्न प्रदान किया गया है जो विश्व में अपने आप में एक अनोखा उदाहरण है।

उत्पादन को बढ़ाकर रोजगार की समस्या होगी दूर

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुकेश पांडे ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को 3 ट्रिलियन से 5 ट्रिलियन बनाने में कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। अनुसंधान, नवाचार, अविष्कार, प्रभावी एवं कुशल नीति आदि के माध्यम से उत्पादन को बढ़ाकर रोजगार की समस्या को दूर किया जा सकता है साथ ही प्रधानमंत्री की संकल्पना- आत्मनिर्भर भारत, वोकल फार लोकल, स्किल इंडिया, जीरो बजट फार्मिंग को साकार किया जा सकता है।

कृषि क्षेत्र में आ रहे नए ट्रेंड्स को जानने का मिलेगा मौका

भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ अरमेश चंद्रा ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में युवा शोधार्थियों को वरिष्ठ एवं प्रिंसिपल वैज्ञानिकों के साथ संचार करने एवं उनकी कार्यप्रणाली को जानने का अवसर प्राप्त होगा जिससे निश्चित ही कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने में सक्षम बन सकेंगे। केंद्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ आर एन अरुणाचलम ने कहा कि यह ऐसा पहला विशिष्ट सम्मेलन है जिसमें एक दर्जन से अधिक संस्थाएं संयुक्त रूप से इसका आयोजन कर रही हैं। इससे वर्तमान में कृषि क्षेत्र में आ रहे नए ट्रेंड्स को जानने का मौका मिलेगा। साथ ही क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर नीतिगत निर्णय लेने में भी सहायता रहेगी।

स्वागत भाषण आयोजन सचिव डॉ शकील अहमद खान एवं आभार आयोजन सह सचिव डॉ आरएस तोमर ने दिया। संचालन रवि प्रकाश सैनी ने किया। इस अवसर पवन कुमार, एके पाण्डेय, सुशील कुमार सिंह, एसएस सिंह एवं वीके सिंह द्वारा सम्पादित पुस्तक "सस्टेनेबल एग्रीकल्चर सिस्टम एंड टेक्नोलॉजी" का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय कि प्रतिनिधि डॉ ऋषि सक्सेना ने कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु व्यवस्था कार्य किया।

कई संस्थाओं ने लिया भाग

नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) द्वारा प्रायोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, केंद्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय पर्यावरण विज्ञान अकादमी नई दिल्ली, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, केंद्रीय आयुर्वेद शोध संस्थान, इंडियन सोसायटी ऑफ एग्रोफोरेस्ट्री, उत्तर प्रदेश कृषि शोध समिति लखनऊ, रेंज मैनेजमेंट सोसायटी ऑफ इंडिया झांसी, राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना नई दिल्ली, द सोसाइटी ऑफ साइंस ऑफ क्लाइमेट चेंज एंड सस्टेनेबल एनवायरमेंट दिल्ली, सोसायटी फॉर प्लांट एंड एग्रीकल्चर साइंसेज पुणे और जन परिवार संस्थान ग्वालियर ने संयुक्त रूप से किया।

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