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अन्तर्राष्ट्रीय फुटबाल खिलाड़ी की डेंगू से हुई मौत, तिरंगे में निकाली गई शवयात्रा
वाराणसी: अन्तर्राष्ट्रीय फ़ुटबाल खिलाडी पूनम चौहान की डेंगू से मौत हो गई। वह पिछले एक सप्ताह से बीमार थी। पूनम को अंतिम विदाई देने के लिए वाराणसी के शिवपुर स्थित विवेक सिंह मिनी स्टेडियम में उनके पार्थिक शरीर को रखा गया। यहां खिलाडियों समेत सभी ने अपनी श्रद्धांजलि दी। दो मिनट का मौन रखकर मृत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया गया।
आगे की स्लाइड में पढ़ें क्या है पूरा मामला?....
-फ़ुटबाल की होनहार खिलाडी पूनम पिछले हफ्ते से बीमार थीं।
-सोमवार को तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।
-खराब तबीयत की जानकारी मिलते ही वहां कई अधिकारी और खिलाड़ी मदद के लिए पहुंचे थे।
-सभी ने आश्वस्त किया था की पूनम की जान बचाने के लिए जितने खून की जरूरत है।
-वह देने के लिए तैयार हैं लेकिन सारे इंतजाम कम पड़ गए।
-मंगलवार रात पूनम की मौत हो गई।
-पूनम ने कई अंतराष्ट्रीय फ़ुटबाल प्रतियोगिताओ में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
भाई बहनों में थी सबसे बड़ी
-वाराणसी के शिवपुर के चुप्पेपुर में पूनम का परिवार रहता है।
-28 साल की पूनम अविवाहित थी और पांच भाई बहनो में सबसे बड़ी थी।
-पूनम के पिता मुन्नालाल फ़ुटबाल खिलाडी रहे है।
-पिता मुन्नालाल का शिवपुर बाजार में स्टेशनरी की दूकान है।
-इसपर पूनम भी फुर्सत के समय में पिता की मदद किया करती थी।
-पूनम की बहन संध्या चौहान यूपी फ़ुटबाल टीम की कप्तान है।
-छोटी बहन पूजा चौहान अंतराष्ट्रीय फ़ुटबाल की जूनियर खिलाडी है।
-भाई कृष्णा चौहान राष्ट्रीय सब जूनियर कैम्प में है।
-एक भाई प्रशांत चौहान स्पोर्ट्स हास्टल लखनऊ में हॉकी का खिलाडी है।
आगे की स्लाइड में पढ़ें पूनम ने कब जीता था गोल्ड मेडल...
-पूनम वाराणसी के संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम में अंशकालिक प्रशिक्षक थी।
-अभी मंगलवार को ही पूनम को दो महीने के मानदेय का चेक मिलना था।
-पूनम ने 2010 में ढाका में साऊथ एशियन गेम्स में टीम का हिस्सा थी। इसमें गोल्ड मेडल जीता था।
-नई दिल्ली में 2007 एशियन फेडरेशन कप टीम की भी सदस्य थी।
एशियन चैम्पियनशिप में किया था भारत को प्रतिनिधित्व
-2007 मलेशिया में हुए एशियन चैम्पियनशिप में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
-सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप उत्तर प्रदेश 2002, 2003, 2004, 2005, 2008, 2009, 2010, 2016 में भी अपने टीम के लिए खेला था।
-पूनम ने 2002 और 2003 में जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप के लिए खेला था।
-पूनम कोचिंग के लिए "सी" और "डी"लाइसेंस कोर्स करने वाली उत्तर प्रदेश की पहली महिला फ़ुटबाल कोच बनी थी ।
आगे की स्लाइड में पढें क्या कहते हैं कोच?...
-मंगलवार को अचानक उनके प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगे।
-इसके बाद डॉक्टर पूनम को नहीं बचा सके, उनकी मौत हो गई।
-पूनम चौहान उत्तर प्रदेश की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला फुटबॉलर थीं।
-वो साउथ एशियन खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम की सदस्य थीं।
-पूनम फिलहाल सिगरा स्टेडियम में फुटबॉल की ट्रेनर थी।
-बीमारी से पहले राज्य की फुटबॉल चैंपियनशिप की तैयारी में लगी हुई थीं।
आगे की स्लाइड में पढ़ें क्या कहते हैं पूनम के पिता?...
-उसकी तबीयत अचानक खराब हुई तो उसे हॉस्पिटल ले जाया गया।
-पूनम को बचाने के लिए काफी प्रयास किया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका।
-पूनम की असमाजिक निधन से सभी स्तब्ध है।
-वाराणसी के शिवपुर स्थित विवेक सिंह स्टेडियम में पूनम के पार्थिक शरीर को रखा गया।
-यहां खिलाडियों समेत सभी ने अपनी श्रद्धांजलि दी।
-दो मिनट का मौन रखकर मृत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया गया।