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जहां था कभी पुरुषों का दबदबा, वहां 'दम' दिखा रही हैं प्रिया
विश्व महिला दिवस पर आधी आबादी का दम दुनिया देख रही है। महिलाओं से जुड़ी एक से बढ़कर एक प्रेरक कहानियां सामने आ रही है।
आशुतोष सिंह
वाराणसी: विश्व महिला दिवस पर आधी आबादी का दम दुनिया देख रही है। महिलाओं से जुड़ी एक से बढ़कर एक प्रेरक कहानियां सामने आ रही है। ऐसी ही महिलाओं में से एक हैं बनारस की प्रिया राय। इस खास मौके पर भारतीय रेल में उन महिलाओं के बारे में आज हम बात करने जा रहे हैं जो पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर वह कठिन कार्य कर रही है जो कल तक सिर्फ पुरुष प्रधान समाज के लिए उचित समझा जाता था। पटरी पर ट्रेन दौड़ाना हो या फिर रेलवे का कोई टेक्निकल काम करना है इन महिलाओं के जिम्मे सारा कुछ भारतीय रेल ने भरोसे के साथ दे रखा है।
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लोको पायलट हैं प्रिया राय
बनारस की रहने वाली प्रिया राय 2014 से भारतीय रेल में बतौर लोको पायलट काम कर रही हैं। आज भी वह ट्रेन लेकर रवाना हुई है। इसके पहले वह उन सारे काम को करती दिखाई दी जो एक लोको पायलट पुरुष होते हुए करता है। पूरे इंजन को चेक करना और उसके बाद उसे सकुशल लेकर रवाना होना यह इनका रोज का काम है। इसके अलावा कई अन्य महिला कर्मचारी भी है जो भारतीय रेल के कामों को आगे बढ़ाकर देश और महिलाओं का मान बढ़ा रही हैं।
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महकमे को भी प्रिया पर नाज
अधिकारियों का भी कहना है कि महिलाओं की हर जरूरत को पूरा करते हुए उनका ध्यान रखना भारतीय रेल की जिम्मेदारी है। यही वजह है कि वह सुरक्षित और देखो नौकरी कर रही हैं। और अपने पैरों पर खड़े होकर समाज में महिला सशक्तीकरण का संदेश दे रही है। महिला दिवस पर बनारस की छोरी ने जब ट्रेन चलाने की मां संभाली तो पूरे ट्रेन में इसकी चर्चा रही। चर्चा इस बात की बनारस की छोरी छोरे से कम हैं क्या?
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