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इंटरव्यू- वे आधुनिक होने के बाद भी रुढि़वादी: दीक्षित

raghvendra
Published on: 10 July 2023 4:38 AM GMT
इंटरव्यू- वे आधुनिक होने के बाद भी रुढि़वादी: दीक्षित
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लखनऊ: देश की सबसे बड़ी यूपी विधानसभा की पहचान अपने स्थापना काल से ही दूसरे राज्यों की विधानसभाओं से अलग रही है। इसका गौरवपूर्ण अतीत रहा है। इधर ढाई वर्षों से विधानसभा अध्यक्ष हदयनारायण दीक्षित की कार्यशैली, उनके संसदीय ज्ञान और उनकी लिखी कई पुस्तकों के कारण देश से बाहर भी इसकी अनूठी पहचान बनती जा रही है। हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष हदयनारायण दीक्षित कॉमनवेल्थ पालिर्यामेंट्री कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए विदेश दौरे पर गए थे। उन्होंने 24 से 29 सितम्बर तक युगांडा की राजधानी कंपाला में आयोजित छह दिवसीय 64वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन (सीपीसी) में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया जिसमें विश्वभर के 52 राष्ट्र शामिल हुए। उनके स्वदेश लौटने पर ‘अपना भारत’ के श्रीधर अग्निहोत्री ने उनसे लम्बी बातचीत की। पेश है बातचीत के कुछ प्रमुख अंश।

  • हाल ही में आप राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में हिस्सा लेकर स्वदेश लौटे हैं। वहां के अनुभव के बारे में बताइए।

यह सम्मेलन हर वर्ष होता है। सम्मेलन में विधानसभाओं के प्रमुख सचिवों के अलावा विधानसभाध्यक्षों को भी आमंत्रित किया जाता है। इसका आयोजन लंदन मुख्यालय के राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीसी) की ओर से किया गया, जिसमें 52 राष्ट्र शामिल है। मैं हाउस आफ कामन्स और हाउस आफ लाड्र्स भी गया। यह दुनिया का ‘मातृ सदन’ कहलाता है। खास बात यहां की संसद ने अपने इतिहास को बेहद कायदे से संजोया है। एक हजार वर्ष होने के बाद आज भी हाउस आफ कामन्स का स्वरूप नहीं बदला गया क्योंकि इसे वह अपनी धरोहर मानते हैं। कहने को भारतीय रुढि़वादी हैं पर हम धरोहरों को सहेजते नहीं जबकि वे आधुनिक कहलाते हैं फिर भी रुढि़वादी हैं।

सम्मेलन के पहले और बाद में सभी राष्ट्रों के सदस्यों को तीन राष्ट्रों में संसदीय पद्धति के अध्ययन भ्रमण के लिए जाने का अवसर मिलता है। उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधिमंडल प्री कॉन्फ्रेंस स्टडी टूर के लिए लंदन एवं नीदरलैंड गया था। हमने लंदन के उच्चायोग में भारतीय प्रवासियों से मुलाकात करने के साथ ही हाउस ऑफ कामन्स के सांसदों के साथ ही भारतीय मूल के संासदों से भी भेंट की और हाउस ऑफ कामन्स की कार्यप्रणाली का अध्ययन किया। वहां पर एक भारतीय मूल के सांसद ने रामकथा का आयोजन किया जहां पर भगवान राम पर मेरा उद्बोधन भी हुआ।

  • नीदरलैड में स्टडी टूर का कैसा अनुभव रहा?

नीदरलैंड के हेग शहर में अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय है, यहां भारत के भी जज हैं। इस न्यायालय की खास बात यह है कि इसकी स्थापना एन्ड्रयू कारनेगी ने की थी, जो अमेरिका का बड़ा स्टील का व्यापारी था। यह उसकी ही कल्पना थी कि यदि अन्तरराष्ट्रीय विवाद हो तो उसे कौन देखेगा। इसलिए उसने अपनी सारी सम्पत्ति इस भवन के निर्माण में लगा दी।

  • अपने अध्ययन के दौरान आपको नीदरलैंड में क्या खास बात दिखी?

नीदरलैंड की खास बात यह है कि वहां के लोगों ने जलप्रबंधन पर बहुत अच्छा काम किया है। वहां पर इस तरह की व्यवस्था है कि कभी कोई घर डूब नहीं सकता। वह इसलिए कि जब समुद्र उफनाए तो उसका जल नहरों के माध्यम से चलता रहे। घरों को नुकसान न होने पाए। मुझे अध्ययन के दौरान इस बात पर बड़ा आश्चर्य हुआ कि वहां पुलिस कहीं नहीं दिखाई पड़ी जो इस देश की विशेषता है। यह भी पाया कि नीदरलैंड दुनिया का सबसे बड़ा पनीर उत्पादक है। यहां हेग के गांधी सेंटर में हिन्दी में लिखित पुस्तक के इंग्लिश संस्करण (द वे इंडिया थिंक्स) का लोकार्पण किया गया। यह पुस्तक मूल रूप से हिन्दी में सोचने की भारतीय दृष्टि नाम से भी लिखी गयी है। इस पुस्तक का प्रकाशन नीदरलैंड के एक्यूमैन पब्लिशर ने किया है। यहां हमने ऋग्वेद, उपनिषद एवं अन्य वैदिक ग्रंथों के बारे में बताया कि भारतीय चिंतन की समग्र दृष्टि है। इस पुस्तक के माध्यम से भारतीय सोच के बारे में देश और दुनिया को बताने का एक सार्थक प्रयास किया गया है। हमें यहां इस बात को लेकर बेहद आश्चर्य हुआ कि पुस्तक के विमोचन के समय इतनी अधिक संख्या में लोगों ने भारतीय संस्कृति, सभ्यता व ऋग्वैदिककालीन विषयों को जानने व समझने के लिए रुचि का प्रदर्शन किया। टूर के दौरान मैंने डच हाउस आफ रिप्रेजेंटेटिव के सांसद और डच हाउस आफ रिप्रेजेंटेटिव की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष से भी भेंट की।

  • स्टडी टूर के लिए जब प्रतिनिधिमंडल नीदरलैंड पहुंचा तो वहां आपका अनुभव कैसा रहा?

साउथ हालैंड की संसद में जाय किंग्स कमिश्नर से नीदरलैंड के हेग में भेंट करने के बाद मैंने उन्हें उत्तर प्रदेश आने का न्योता दिया। किंग्स कमिश्नर ने नीदरलैंड के कृषि एवं डेयरी आधारित अर्थव्यवस्था की चर्चा की। हमने किंग्स कमिश्नर से भारतीय दर्शन पर भी चर्चा की एवं अपनी पुस्तक गीता के अंग्रेजी संस्करण की एक प्रति उन्हें भेंट की। इसके अलावा डच सांसद श्रीमती पी डिज्कास्ट्रा से भेंट की और उन्हें भारतीय संसद एवं उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया एवं संचालन के बारे में बताया। इसके अलावा उन्हें भारत के संविधान के अंतर्गत राज्य एवं केंद्र के संबंधों के विषय में भी बताया। इस दौरान डच एवं भारतीय संसदीय समितियों की कार्यवाही पर चर्चा हुई ।

  • युगाण्डा में भी आप स्टडी टूर के लिए गए थे। वहां आपने क्या खास बात पाई?

पार्लियामेंटी सिस्टम बेहतर करने पर चर्चा हुई। यहां पर ग्रुपों में कई देशों को बांटा गया और चर्चा हुई कि गांवो के लोगों का शहरों की तरफ पलायन बढ़ रहा है। इसमें प्रमुख वक्ता के तौर पर हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस बारे में किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की। अपने भाषण में शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास को लेकर भारत के सार्थक प्रयासों को अन्तरराष्ट्रीय मंच पर रखा। हमने 64वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में तेजी से हो रहे शहरीकरण और ग्रामीण क्षेत्रों से निरंतर पलायन से निपटने के मुद्दे पर बताया कि जब भी बैठक हो, इस मामले को जरूर उठाया जाए।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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