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चीनी मिल घोटाला: योगी के आदेश पर माया सरकार में हुए 800 करोड़ के घोटाले की जांच शुरू

sujeetkumar
Published on: 11 April 2017 12:39 PM IST
चीनी मिल घोटाला: योगी के आदेश पर माया सरकार में हुए 800 करोड़ के घोटाले की जांच शुरू
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बुलंदशहर: मायावती के शासनकाल में बेची गई 21 चीनी मिलों की जांच के आदेश सीएम योगी आदित्यनाथ ने दे दिए हैं। चीनी मिलों की जांच अब बुलंदशहर तक भी पहुंच गई है। 2010-11 में बेची गई चीनी मिलों में बुलंदशहर की पन्नीजी शुगर मिल भी शामिल है। बता दें कि करीब 800 करोड़ की कीमत वाली 300 बीघे में फैली इस मिल को 2010-11 में महज 29 करोड़ रूपए में वेब ग्रुप को बेच दिया गया था। जिस समय इस बेचा गया था उस समय 9 करोड़ रूपए की चीनी शुगर मिले के अंदर मौजूद थी।

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7 साला पहले इस बेशकीमती कारखाने को कोड़ियो के भाव में देश के बड़े उद्योगपति पोंटी चड्ढा ने खरीदा था। तब से यह मामला फाइलों में दबा रहा और कारोबारी ने शुगर मिल को सरकारी विभागों में सांठगांठ कर कुछ समय बाद ही बंद कर दिया। हजारों किसान प्रभावित हुए साथ ही उनकी गन्ने की फसल प्रभावित हुई और सरकारी राजस्व को करोड़ों का नुकसान भी हुआ। दोबारा इस प्रकरण की जांच से किसान तो खुश हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारीचुप्पी साधे हुए हैं।

बता दें कि बुलंदशहर जिला मुख्यालय पर वेब शुगर मिल स्थित है। इस शुगर मिल को पहले पन्नीजी शुगर मिल के नाम से जाना जाता था। 300 बीघा में स्थित यह शुगर मिल शहर के बीचों-बीच स्थित है, और तीन तरफ से इसका फ्रंट बना हुआ हैं।

पहला स्थान है गन्ना उत्पादन में

यूपी में सबसे अधिक गन्ना उत्पादन करने में बुलंदशहर का उग्रणी स्थान हैं। 2011 तक इस मिल पर 50 हजार से अधिक किसान जो कि सिकंद्राबाद, बुलंदशहर, गुलावठी, खुर्जा, शिकारपुर आदि ब्लॉक क्षेत्र से सम्बंधित थे और अपना गन्ना पेराई के लिए इसी मिल पर लाते थे। गन्ना पेराई के बाद चीनी बनती थी और सस्ते दामों पर लोगों को उपलब्ध कराई जाती थी। एक हजार से अधिक लोगों को यह चीनी मिल रोजगार देती थी, जिसमें अधिकारी स्तर के लगभग 100 लोगों का मिल में ही आवास आवंटित था। कारखाने में 300 से 400 काम करते थे।

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नाटकीय अंदाज में बंद हुआ था वेब

वेब ग्रुप ने मिल खरीदने के बाद स्थानीय किसानों और प्रशासन से वादा किया था कि मिल को बदस्तूर चलाया जाएगा और किसानों का कोई भी नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।

2015 में प्रदूषण के मानकों को पूरा न करने का नाटकीय अंदाज बना मिल को बंद कर दिया गया। कर्मचारी डर और खौफ से इधर से उधर कर दिए गए। कुछ लोगों को बीआरएस देकर घर बैठा दिया गया। उसके बाद मिल का सामान धीरे-धीरे खुर्द-बुर्द किया जाने लगा।

आगे की स्लाइड में पढ़ें कितने में बिकी थी मिल ...

29 करोड़ में बिकी थी पन्नीजी शुगर मिल

सरकारी पन्नीजी शुगर मिल को सरकार ने मात्र 29 करोड़ में वेब ग्रुप के पोंटी चड्ढा को बेच दिया था। जिस समय इस मिल को बेचा गया था उस समय 9 करोड़ रूपए की चीनी मिल में मौजूद थी। यानि कि मिल की मशीनरी और चीनी के दाम के बराबर ही सरकारी खातों में राजस्व गया और जमीन फ्री में उद्योगपति को सौंप दी गई। आज का सर्किल रेट मिल की जमीन का 20 हजार से 25 हजार प्रति वर्ग गज का हैं। जिसकों लेकर पूर्व में किसानों ने बवाल किया, प्रदर्शन करें, अधिकारियों का घेराव किया। लेकिन अधिकारी शासन के दबाव में चुप्पी साधे गैर कानूनी काम कर उद्योगपति के हाथों बिकते रहे।

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बंद होने पर भी होता है काम

मिल के अंदर कोई ना कोई कार्य हमेशा चलता रहता हैं लेकिन आम आदमी को यहां आने-जाने की इजाजत नही हैं। यहां पर तैनात निजी सिक्योरीटी गार्ड का एक ही जबाव रहता हैं कि अंदर कोई नही हैं और कोई भी काम नहीं हो रहा हैं। जबकि हाल-फिलहाल में 2017 के विधानसभा के चुनाव में शिकायत होने पर मिल में छापा पड़ा था और मिल के अंदर साईकिल बनती पाई गई थी और प्रशासन ने परिसर को सीज किया था।

क्या किसान का भरोषा टूटेगा ...

नहीं हुई कोई कार्रवाई

माया के शासन में हुआ घोटाला अखिलेश सरकार में भी दबा रहा, जिससे लोगों ने दोनों सरकारों के मिली-भगत के आरोप लगाए और मिल खरीदने वाले कारोबारी को अखिलेश सरकार में भी अरबों रूपए के काम मिले। यदि योगी शासन काल में जांच के बाद भी दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो किसानों का भरोसा इस सरकार पर भी नहीं डिगेगा और किसान अपने आप को ठगा हुआ महसूस करेगें। यदि मिल चालू होती हैं तो ना केवल किसानों का भरोसा लोटैगा बल्कि किसान हित की सरकार का दावा सही होगा और किसानों को इसका लाभ भी मिलेगा।

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क्या कहते है अधिकारी

योगी शासन में जांच की खबर आते ही सम्बंधित अधिकारियों के पैरो तले जमीन खिसक गई। जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह ने बताया कि मिल के रिकॉर्ड निकलवाए जा रहे है। मिल की वास्तविक कीमत, स्थिति, बिक्री का कारण, किसानों का नुकसान, कर्मचारियों की स्थिति आदि की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी और घोटाला मिलने पर कार्रवाई की इजाजत शासन से मांगी जाएगी।



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