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ऐसी भी क्या जल्दबाजी थी 'हुजूर', ओवर एज युवाओं को भी बना दिया सिपाही!

सिपाही भर्ती का रिजल्ट 18 फरवरी को जारी किया गया था। परिणाम आने के कुछ ही दिन बाद पहली गड़बड़ी सामने आई। जब होमगार्ड के कोटे से 21 साल से कम आयु वाले 165 अभ्यर्थियों को सिपाही बनने का मौका दे दिया गया। इस कोटा के लिए कम से कम तीन साल होमगार्ड की सेवा करना अनिवार्य था।

Aditya Mishra
Published on: 17 March 2019 10:10 AM GMT
ऐसी भी क्या जल्दबाजी थी हुजूर, ओवर एज युवाओं को भी बना दिया सिपाही!
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फ़ाइल फोटो

लखनऊ: सिपाही भर्ती को लेकर यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड सवालों के घेरे में आ गया है। ऐसा हम नहीं कह रहे है। बल्कि मीडिया रिपोर्ट्स ये बात कह रही है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भर्ती बोर्ड ने मानकों के विपरीत निर्धारित मानकों के उलट अधिक उम्र के युवाओं को भी सिपाही बनने का मौका दे दिया। इतना ही नहीं इस मामले के सामने आने के बाद से अब भर्ती बोर्ड की किरकिरी हो रही है। लोग अब बोर्ड के अधिकारियों से ये सवाल पूछ रहे है कि रिजल्ट जारी करने इतनी जल्दबाजी क्या थी?

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ये है पूरा मामला

यूपी में सिपाही के 41,520 पदों के लिए 14 जनवरी 2018 को वैकेंसीज निकाली गई थी। भर्ती में शामिल होने के इच्छुक कैंडिडेट्स के लिए कुछ शर्ते रखी गई थी। इसमें जो मुख्य शर्त थी वो ये थी कि कैंडिडेट की उम्र 18 वर्ष से 22 वर्ष तक होनी चाहिए थी। यानी की कैंडिडेट की जन्मतिथि 1 जुलाई 2000 से पूर्व की और 2 जुलाई 1996 के बाद की होनी चाहिए।

महिलाओं के लिए उम्र सीमा 25 वर्ष थी। महिलाओं की जन्मतिथि 2 जुलाई 1993 से पूर्व की नहीं होनी चाहिए थी। इसके अतिरिक्त होमगार्ड कोटे और भूतपूर्व सैनिकों के लिए आयु वर्ग में छूट दी गई थी, लेकिन अनारक्षित श्रेणी में ऐसे अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया जिनकी उम्र निर्धारित मानकों से अधिक थी।

यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड की वेबसाइट पर जारी रिजल्ट से तो ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। भर्ती नियमावली को दरकिनार कर मनमाने तरीके से भर्ती किए जाने का यह अपने आप में अलग तरह का मामला है। इस बाबत भर्ती बोर्ड के चेयरमैन राजकुमार विश्वकर्मा का कहना है कि इसकी जांच कराई जाएगी। उसके बाद ही अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया जाएगा।

विश्वकर्मा का कहना है कि नियुक्ति पत्र देने से पहले भी जिलों में दस्तावेजों की जांच होती है। अभ्यर्थियों का दस्तावेज जांच के बाद संबंधित जिलों को ही भेजा जाता है। ऐसे में अगर नियम के खिलाफ कोई भी तथ्य पाए जाते हैं तो जिला स्तर पर संबंधित अभ्यर्थी को नियुक्ति पत्र नहीं दिया जाएगा और उसका चयन स्वत: ही निरस्त हो जाएगा।

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ऐसे पकड में आई गड़बड़ी

सिपाही भर्ती का रिजल्ट 18 फरवरी को जारी किया गया था। परिणाम आने के कुछ ही दिन बाद पहली गड़बड़ी सामने आई। जब होमगार्ड के कोटे से 21 साल से कम आयु वाले 165 अभ्यर्थियों को सिपाही बनने का मौका दे दिया गया। इस कोटा के लिए कम से कम तीन साल होमगार्ड की सेवा करना अनिवार्य था।

इन सभी अभ्यर्थियों की आयु 21 वर्ष से कम थी, इसलिए इनका चयन भर्ती बोर्ड ने निरस्त कर दिया। इसके अलावा होमगार्ड कोटे से भर्ती हुए 232 अन्य अभ्यर्थियों को दस्तावेजों के सत्यापन और शारीरिक मानक परीक्षण (डीवी पीएसटी) के लिए मंगलवार को दोबारा बुलाया गया। मंगलवार को सभी अभ्यर्थी नहीं आए। अब इन्हें बुधवार को दोबारा सभी दस्तावेजों के साथ बुलाया गया है।

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भर्ती बोर्ड पर उठे ये सवाल

कैंडिडेट्स को भर्ती में शामिल होने के लिए चार चरणों से होकर गुजरना होता है। सबसे पहले उसे फॉर्म भरने के बाद लिखित परीक्षा देनी होती है। परीक्षा पास करने के उपरांत उसके दस्तावेजों सत्यापन होता है। इसके बाद उसे शारीरिक मानक परीक्षा और शारीरिक दक्षता परीक्षा (दौड़) में भाग लेना होता है। उसके बाद ही उसका फाइनल परिणाम जारी किया जाता है। ज्यादातर कैंडिडेट्स पहले दूसरे और तीसरे चरण में ही भर्ती प्रकिया से बाहर हो जाते है।

ऐसे में सवाल उठता है कि फॉर्म भरने के बाद पहले ही ऐसे अभ्यर्थियों की छंटनी होनी चाहिए थी, जिनकी आयु नियमों के तहत नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अभिलेखों का सत्यापन करने वाले डीवी पीएसटी बोर्ड को इस गलती को पकड़ना चाहिए था लेकिन वहां भी किसी की नजर ऐसे कैंडिडेट्स पर नहीं गई।

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Aditya Mishra

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