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सद्गुरु जग्गी महाराज के इस बयान पर भड़के धर्मगुरु, कुंभ में गरमाएगा मामला
आज तक मां यशोदा की तरह निस्वार्थ ममता बिखरने वाली मां का कहीं भी वर्णन नहीं है। मां यशोदा के ममत्व के प्रमाण हर जगह है
मथुरा : मथुरा में एक बार फिर साधु-संत व धर्माचार्यो में आक्रोश बढ़ने लगा है। इस बार आक्रोश की वजह बने हैं ईशा फाउंडेशन के वासुदेव जग्गी महाराज। वासुदेव जग्गी के बेतुके बयान के बाद ब्रजवासियों,कृष्ण प्रेमियों व संतों में आक्रोश बढ़ गया है। इस सम्बंध में संतों ने एकजुट होकर बयान की कड़े शब्दों में निंदा की है और इसे आधा अधूरा ज्ञान की संज्ञा दी है ।
वृंदावन और मथुरा में प्रवेश पर रोक
इस संबंध में काशी विद्वत परिषद के पश्चिम भारत प्रभारी कार्ष्णि नागेंद्र महाराज ने कहा कि वायुदेव जग्गी का यह बयान की- यशोदा कृष्ण की पालक माँ थी। वह लड़के से प्यार करती थी लेकिन वह बहुत तेजी से बढ़ी और यह प्यार प्रेमी के प्यार में बदल गया। वह भी गोपियों में से एक बन गई। वृंदावन और मथुरा में प्रवेश करने से पहले लोगों ने उस पर कितने समय के लिए प्रतिबंध लगाया?
मां के प्रेम पर लांछन निंदनीय
मां यशोदा ने कृष्ण को पाला था और सगी जन्म देने वाली मां से बढ़कर किया था । आज तक मां यशोदा की तरह निस्वार्थ ममता बिखरने वाली मां का कहीं भी वर्णन नहीं है। मां यशोदा के ममत्व के प्रमाण हर जगह है लेकिन सदगुरू के बयान जो नितान्त मनगढ़ंत व शर्मनाक है । शास्त्रों में कहीं उल्लेख नहीं है।
भ्रमित कर रहें गुरु
माँ यशोदा को जब कृष्ण ने सदगति दी है, जो अपने तपोबल से कान्हा की मां बनी थी वो मां प्रेमिका कैसे हो सकती है । यह शास्त्र विरुद्ध होने के साथ अमर्यादित भी है। इतने बड़े संत और इस पदवी पर बैठकर इस तरह के बयान देते हैं तो शर्मनाक है और लोक में गलत संदेश जाने वाला है। कार्ष्णि नागेंद्र महाराज ने कहा कि इस मुद्दे पर हरिद्वार कुम्भ में भी चर्चा होगी ।
मां यशोदा का प्रेम गोपियों से अलग था
भागवत वक्ता देवकीनंदन महाराज ने भी इस बयान की निंदा करते हुए अपनी कथा के दौरान कहा कि यशोदा को अन्य गोपियों की तरह कृष्ण से प्रेम हो गया वाला बेतुका बयान सुनकर कष्ट हुआ । गोपियों के प्रेम व मां यशोदा के प्रेम में बहुत अंतर है । जो प्रेम गोपियों का था उस तरह से मां प्रेम नहीं कर सकती और जो प्रेम मां यशोदा करती थी वह प्रेम गोपियां नहीं कर सकती थी ।
उन्होंने कहा कि शास्त्रों के अध्ययन न करने की वजह से , 4 शब्द अंग्रेजी के बोलने से , चार विदेशी भक्तों के इकट्ठा कर लेने से यह भाव आता है कि हम जो कह देंगे वही सत्य है । यह दुर्भाग्य है यह हमारे धर्म संस्कृति का अपमान होता है । बहुत जरूरी है कि ऐसा बोलने से पहले किसी विद्वान के पास जाए, और वेद-पुराणों का सही अध्ययन करे, फिर उसके बाद ऐसी कोई बात बोले और तर्क , रखें तो सही रहेगा।
देवकीनंदन महाराज ने एक प्रसंग के माध्यम से बताया कि जब कृष्ण से 100 वर्ष बाद मां यशोदा कुरुक्षेत्र में मिलने गयी तो माखन की मटकी लेकर गयी थी ।मां की ममता के साथ मे गोपिका के रूप में नहीं ।
रिपोर्टर- नीतिन गौतम