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पंजाब के बाद पूर्वांचल पर ISI की नजर, नशे के जाल में फंसाने की कोशिश

Admin
Published on: 13 April 2016 4:34 PM IST
पंजाब के बाद पूर्वांचल पर ISI की नजर, नशे के जाल में फंसाने की कोशिश
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गोरखपुर: मंगलवार को एसटीएफ की गोरखपुर फील्ड यूनिट ने गुलरिहा क्षेत्र में भटहट के पास से नशीले पदार्थ (हेरोइन) की खेप लेकर मंगलवार को गोरखपुर आ रहे दो लोगों को गिरफ्तार किया है। यह मामला ऊपर से भले ही ड्रग स्मगलिंग का लग रहा हो, लेकिन इसके पीछे पूर्वांचल को नशे के जाल में जकड़ने की साजिश है। दरअसल पंजाब के बाद कुख्यात पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई की काली नजर पूर्वांचल के नौजवानों पर है।

न मिले सेना को काबिल जवान

इस मामले की जांच में लगे सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के ऑफिसर ने newztrack को बताया कि ड्रग्स के कारोबार को पूर्वांचल में फैलाने की बड़ी साजिश है। आईएसआई का इरादा इन युवाओं के जरिए सेना और एसएसबी के रिक्रूटमेंट पर असर डालने का है। नशे की जाल में फंसने से सेना और एसएसबी को कायदे के और काबिल नौजवान नही मिल सकेंगे जिससे सेना कमजोर पड़ जाएगी। ऑफिसर ने बताया कि यही साजिश आईएसआई ने पहले पंजाब में रची, जिसके चलते अब वहां सेना में भारती के लिए, पहले की तरह काबिल नौजवान नहीं मिल पा रहे। अधिकारी ने यह बात पंजाब में तैनात एक सेना के अधिकारी के हवाले से बताई। बता दें कि गोरखपुर में जहाँ आर्मी के गोरखा रेजीमेंट का रिक्रूटमेंट सेंटर है वहीँ इंडो-नेपाल बॉर्डर की सुरक्षा ने तैनात एसएसबी का रीजनल ट्रेनिंग सेंटर भी सतही है।

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क्या है मामला

मंगलवार को सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी ने एसटीएफ की गोरखपुर फिल्ड यूनिट को ड्रग्स की बड़ी खेप गोरखपुर लाए जाने का इनपुट दिया था। इसके बाद एसटीएफ ने गुलरिहा थानाक्षेत्र के भटहट के पास से हेरोइन की खेप लेकर गोरखपुर आ रहे दो स्मगलर्स सुरेश कुशवाहा और विनोद कुमार दास को अरेस्ट कर लिया। उनके पास से 400-400 ग्राम के दो पैकेट में हेरोइन बरामद हुई। पूछताछ में इन दोनी ने बताया कि हेरोइन की खेप नेपाल से वाया बगहा बिहार होकर गोरखपुर लाई गई थी। वे इसे गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में एक व्यक्ति को सप्लाई करने वाले थे। पकडे गए स्मगलर्स ने बताया कि बगहा में आबू नाम के शख्स ने उन्हें हेरोइन की खेप देते हुए उस व्यक्ति का मोबाइल नंबर दिया था, जिसे गोरखपुर में खेप सौंपनी थी। गिरफ्तार एसटीएफ़ के डिप्टी एसपी विकास चन्द्र त्रिपाठी के अनुसार दोनों आरोपी इससे पहले भी कई बार नशीले पदार्थो की खेप बिहार से गोरखपुर पहुंचा चुके हैं। बदले में उन्हें कुछ हजार रुपये मिलते हैं। उनके अनुसार गोरखपुर से नशे का सामान दूसरे महानगरों में भेजा जाता है।

कभी भूकंप तो कभी आंदोलन का फायदा उठा बढ़ी स्मगलिंग

बीते साल नेपाल में आए भूकंप और हाल फिलहाल में मधेसियों के आंदोलन के बाद से खुले इंडो नेपाल बॉर्डर का फायदा स्मग्लर्स आसानी से उठा रहे हैं। बीते साल फैली इस अशांति के बाद से इस इंटरनेशनल बॉर्डर पर ड्रग्स और ह्यूमन ट्रैफिकिंग बढ़ चुकी है। यही नहीं इस अशांति का फायदा उठाकर कई आतंकियों के भी इंडिया में आने की आशंका जताई जा चुकी है। मंगलवार को पकड़ी गई हेरोइन की खेप नेपाल से गोरखपुर के आसपास के जिलों में खपाई जानी थी। एसएसबी ने बीते साल 5 नवम्बर को डेढ़ किलो चरस के साथ नेपाली युवक को पकड़ा था। चरस की कीमत 15 लाख रुपए बताई गई। इसके बाद दूसरे ही दिन यानि 6 नवम्बर को ठूठीबारी एसएसबी कमांडेंट ने पिलर नंबर 10 के पास साइकिल से एक व्यक्ति को चार किलो चरस के साथ पकड़ा। कीमत 40 लाख बताई गई। फिर 10 नवंबर को झुलनीपुर बार्डर के पास दो युवकों को चार किलो चरस के साथ पकड़ा। इस दौरान दो हजार लीटर से ज्यादा नेपाल से लाई जा रही शराब भी बीते नवम्बर में ही पकड़ी गई। इन घटनाओं के बाद से गोरखपुर और आसपास के जिलों में ड्रग्स लगभग दर्जन भर से ज्यादा खेप पकड़ी जा चुकी है।

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इन इलाकों में बढ़ रहा है नशे का कारोबार

इंडो-नेपाल बॉर्डर से सटे इलाकों में नशे का कारोबार अपने पाँव पसरता जा रह है। पुलिस, ख़ुफ़िया एजेंसियों और एसएसबी ने जो जिन इलाकों को आईडेंटीफाई किया है, उनमें

- सोनौली कोतवाली इलाके में समतिहा, सुड़ी घाट, बरवा भोज, हरदीडाली, सेख फरेंदा, सोनौली, रजिया घाट, फरेंदी तिवारी।

- नौतनवा इलाके में रतनपुर, सेमरातर से परसा होते हुए सोनौली चोर्रा, पिपरहवा, चंडी थान, सुंडी घाट, बैरियहवा घाट।

- ठूठीबारी इलाके में मर्चहवा मार्ग, राजबारी-टड़हवा मार्ग, पडि़या ताल, लक्ष्मीपुर खुर्द, डिगही बेलवा होते हुए लालपुर से खेसरहा फार्म।

- निचलौल इलाके में सितलापुर, बहुआर, कनभिसवा, झुलनीपुर, पथलहवा। बरगदवा इलाके में अशोकवा, चिमनटोलवा, रगरगंज मार्ग से नेपाल के बसुनपुरा, खैरहवा दूबे, बरगदवा, खैरहवा, परसा, भगवानपुर।

- परसामलिक इलाके में सेखुवानी, बघेला।

इंडो-नेपाल बॉर्डर 1751 Kms की खुली सीमा

भारत और नेपाल की 1,751 किमी। खुला बॉर्डर है, जिसका पूरा फायदा एंटी-नेशनल एलीमेंट्स उठाते हैं। इस खुले बॉर्डर जिसमें उत्तराखण्ड में 275 किमी, उत्तर प्रदेश में 551 किमी, बिहार में 726 किमी, पश्चिम बंगाल में 100 किमी और सिक्किम में 99 किमी का खुला बॉर्डर है। इललीगल और एंटी नेशनल एक्टिविटी के के लिए आतंकवादियों और क्रिमिनल्स इस खुले बॉर्डर का भरपूर इस्तेमाल करते हैं और इस इंटेलिजेंस और सिक्यूरिटी एजेंसीज के लिए बड़ा चैलेंज है।



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