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IT Raid in UP Leaders: यूपी में आईटी रेड का चला दौर, इस साल इन नेताओं के यहां हुई छापेमारी
IT Raid in UP: अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav News) के करीबियों और पिछले विधानसभा चुनावों में उनके कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करने वालों जैनेन्द्र यादव, राजीव राय और मनोज यादव के मऊ मैनपुरी और लखनऊ के अवासों में इन्कम टैक्स से छापेमारी की कार्रवाई की है।
IT Raid in UP Leaders: देश के पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के पहले आज यूपी के प्रमुख राजनीतिक दल समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के प्रवक्ता राजीव राय (Rajeev Rai) और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के करीबियों के यहां पड़े इन्कम टैक्स के छापे के बाद विपक्षी दलों ने सत्ताधारी दल के इशारे पर इस तरह की कार्रवाई किए जाने के आरोप लगाने शुरू कर दिए है। विपक्ष की तरफ से आरोप लगाए जा रहे हैं कि यह सब कार्रवाई चुनाव नजदीक होने के कारण ही की जा रही है।
दरअसल, आज सुबह सात बजे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के करीबियों और पिछले विधानसभा चुनावों में उनके कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करने वालों जैनेन्द्र यादव (jainendra yadav), राजीव राय और मनोज यादव के मऊ मैनपुरी और लखनऊ के अवासों में इन्कम टैक्स से छापेमारी की कार्रवाई की है। इसके बाद से यह कहा जा रहा है कि चुनाव को देखते हुए मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी को हताश करने के लिए ही इस तरह की कार्रवाई की गयी है।
पिछले साल अक्टूबर महीने में भी पूर्वाचंल के बाहुबली हरिशंकर तिवारी की एक कम्पनी के यहां सीबीआई ने दबिश डाली थी। इस दौरान उनके बेटे विनय शंकर तिवारी के नोएडा, लखनऊ और गोरखपुर के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई को राजनीतिक शत्रुता का परिणाम बताया गया था।
ऐसा नहीं है कि छापे की कार्रवाई केवल विपक्षी दल के नेताओं के यहां ही हुई हो, इसके पहले इसी साल जुलाई में वाराणसी जोनपुर में भाजपा नेता और नगरपलिका परिषद के पूर्व चेयरमैन एवं शराब व्यवसाई ओमप्रकाश जायसवाल के यहां भी इन्कम टैक्स के छापे पडे थें। इस साल जुलाई महीने में भाजपा नेता नितिन गुप्ता के यहां भी सीबीआई की करप्शन टीम ने उनके आगरा आवास पर छापा डाला। नितिन पूर्व में सपा नेता रह चुके हैं। रिवर फ्रंट घोटाले में उनकी फर्म को करोडों का ठेका मिला था।
अभी कुछ ही समय पहले यानी पिछले महीने ही ईडी की एक टीम ने शिवसेना नेता अर्जुन खोतकर के यहां आधी रात को छापा मारा गया। इस छापे के पीछे जालना शुगर मिल घोटाले की बात सामने आई थी। इसके पहले अगस्त महीने में भी शिवसेना सांसद अरूण गवली पाटिल के घर पर प्रवर्तन निदेशालय ने उनके छह ठिकानों पर छापेमारी कार्रवाई की थी।
जबकि अक्टूबर महीने में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के कई ठिकानों पर सीबीआई ने 100 करोड की हेराफेरी के मामले में छापेमारी कर जांच शुरू की है। इसके बाद राजनीतिक आरोपो प्रत्यारोपों का दौर तो षुरू हुआ पर सत्ताधारी दल यह बात कहकर आरोपोें से बच गया कि महाराष्ट्र में तो कहीं चुनाव नहीं हो रहे थें यह तो मंत्रालय की अपनी कार्रवाई थी। हालांकि इन छापों के पहले ही भाजपा नेता किरीट सौमेया ने अर्जन खोलकर पर सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर का आरोप लगाया था।