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न्यायपालिका की आजादी से ही लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता है सुरक्षित

Rishi
Published on: 9 Sept 2017 7:23 PM IST
न्यायपालिका की आजादी से ही लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता है सुरक्षित
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लखनऊ : सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जे चेलमेश्वर ने शनिवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के आडिटोरियम में दो दिवसीय राज्य स्तरीय न्यायिक अधिकारीगण सम्मेलन 2017 का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन में प्रदेश के प्रत्येक जिले से करीब बारह सौ उच्च न्यायिक सेवा संवर्ग के न्यायिक अधिकारी भाग ले रहें हैं। इस अवसर पर स्वतंत्र न्यायपालिका का महत्व बताते हुए जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि बिना स्वतंत्र न्यायपालिका के व्यक्तिगत आजादी को सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है।

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उन्होनें न्यायपालिका पर मुकदमों का बोझ कम करने के लिए जजों की संख्या बढ़ाने पर भी बल दिया। जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि आम आदमी का वास्ता बहुधा अधीनस्थ न्यायपालिका से पड़ता है और इसलिए जरूरी हो जाता है कि न्यायपालिका लोगों में अपने प्रति विश्वास को बरकरार रखे। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अशोक भूषण व जस्सिट आर के अग्रवाल ने भी तमाम प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उनसे मुकदमों की संख्या को जल्द से जल्द खत्म करने का आवाहन किया। अतिथियेां का स्वागत करते हुए इलाहाबाद हाई केार्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोंसले ने अधीनस्थ न्यायधीशों से अपेक्षा की कि प्रदेश में मुकदमों का अंबार अगले पांच सालों में साफ कर दिया जाये।

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उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन का तात्पर्य निचली अदालतों के जजों का विभिन्न विषयों पर ज्ञानार्जन करना है। कार्यक्रम का शुभारम्भ वंदेमातरम गायन से हुआ। कार्यक्रम के मध्य में सुप्रीम कोर्ट के तीनेां जजों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में इलाहाबाद हाई कोर्ट व इसकी लखनउ बेंच के न्यायमूर्तिगण, महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह, अवध बार के अध्यक्ष एलपी मिश्रा व महासचिव आरसी तिवारी, विधि परामर्शी उमेश कुमार सहित कई अन्य न्यायिक अधिकारीगण उपस्थित थे।

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कार्यक्रम के अंत में बोलते हुए जस्टिस तरूण अग्रवाल ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह एक प्रयास है कि किस प्रकार से अपने न्यायिक अफसरों को लोगों की अपेक्षाओं पर खड़ा किया जाये। कार्यक्रम के शुभारम्भ के बाद प्रदेश से आये विभिन्न प्रतिभागियेां के साथ सत्र प्रारम्भ हेा गया । शनिवार केा तीन सत्र संपन्न हुए।

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सीपीसी की धारा 89 के तहत हो मेडिएशन

कांफ्रेंस के दौरान प्रदेश भर की अदालतों में पेन्डिंग मुक़दमों को लेकर चिंता व्यक्त की गई। डिस्कशन के दौरान अदालतों पर बढे बोझ को कम करने के लिए लंबित मुक़दमो का निस्तारण मेडिएशन के ज़रिये कराने पर सहमति बनी है। लम्बे वाद विवाद के बाद चेक बाउन्स, बटवारे का विवाद, पारिवारिक विवाद, शादी सम्बन्धी विवाद और गली कूचों के विवाद को प्राथमिकता में लेकर मेडिएशन के ज़रिये निपटारा कराने को कहा गया है। इन मुक़दमों में सीपीसी की धारा 89 में इस तरह का प्रावधान किया गया है।

सीपीसी की धारा 89 में फंसेगा पेंच

स्टेट लेविल ज्यूडिशियल आफीसर्स कांफ्रेंस 2017 में भले ही सीपीसी की धारा 89 में दिए गए अधिकार के अधिकाधिक प्रयोग भले ही सहमति बन गई हो। लेकिन इस धारा के इस्तेमाल में सब से बड़ी बाध्यता यह है कि जब तक दोनों पक्ष रज़ामंदी नहीं दे देते हैं तब तक मुक़दमे का निपटारा हो पाना संभव नहीं होगा। ऐसे में दोनों के पक्षों के वकीलों का बड़ा रोल होगा। अब इन्ही मुद्दों रविवार की सुबह 10 बजे से फिर न्यायधीश मंथन करेंगे।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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