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Lucknow News: जगद्गुरु राघवाचार्य जी ने किया संस्कृतिपर्व के विश्वगुरु अंक का लोकार्पण

Lucknow News: श्रुति, स्मृति, उपनिषद, वेदांत, श्रीमदबाल्मीकीय रामायण और श्रीमद्भागवत के मर्मज्ञ एवं प्रख्यात कथा व्यास जगद्गुरु स्वामी राघवाचार्य जी ने संस्कृतिपर्व के विश्वगुरु अंक का लोकार्पण किया।

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Published on: 13 Dec 2022 9:32 AM GMT
Jagadguru Raghavacharya inaugurated the Vishwaguru issue of Sanskriti Parv
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लखनऊ: जगद्गुरु राघवाचार्य जी ने किया संस्कृतिपर्व के विश्वगुरु अंक का लोकार्पण

Lucknow News: श्रुति, स्मृति, उपनिषद, वेदांत, श्रीमदबाल्मीकीय रामायण और श्रीमद्भागवत के मर्मज्ञ एवं प्रख्यात कथा व्यास जगद्गुरु स्वामी राघवाचार्य जी ने संस्कृतिपर्व के विश्वगुरु अंक का लोकार्पण किया। यहां निरालानगर स्थित माधव सभागार में चल रही भागवत कथा की पीठ से हुए इस लोकार्पण से संस्कृतिपर्व परिवार अत्यंत गौरवान्वित है। संस्कृति पर्व के संपादक संजय तिवारी ने कहा कि यह हमारे लिए गौरव का क्षण है कि ऐसे महामनीषी ऋषितुल्य विभूति के करकमलों से इस अंक का लोकार्पण सम्पन्न हुआ है।

सनातन संस्कृति के लिए समर्पित कथापीठों में जगद्गुरु स्वामी राघवाचार्य जी की इस पीठ की विशिष्ट महिमा है। यहां स्वामी जी के संक्षिप्त परिचय के रूप में यह उल्लेख्य है कि श्रीमज्जगद्गुरुरामानुजाचार्य श्रीस्वामी राघवाचार्यजी महाराज, श्रीअयोध्यास्थकोसलेशसदनपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु श्रीस्वामी वासुदेवाचार्य महाभाग के चरणानुगत कृपापात्र, का प्रागट्य फाल्गुन शुक्ल पंचमी, विक्रमी संवत 2033को एक सरयूपारीण ब्राह्मणकुल में श्री अयोध्या में हुआ। बाल्यकाल मेँ ही आपने वेदादि शास्त्रों, व्याकरण का विधिवत अभ्यास किया। तदनन्तर गुरुवर्य श्रीविन्ध्येश्वरीपप्रसाद के सानिध्य में स्वामीजी वेदाध्ययन एवं पूर्वमीमांसा में निष्णात हुए। डॉ.शिवप्रसाद द्विवेदी से श्रीभाष्यादि वेदांत ग्रंथों का रसग्रहण प्राप्त किया।

स्वामी जी काशीस्थ सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से स्वर्णपदक से सम्मानित हुए

श्रीमहास्वामी गोपालाचार्यजी महाभाग की सन्निधि में स्वामीजी में भगवदराधन एवं कालक्षेप (प्रवचन) की विलक्षण शैली उत्स्फूर्त हुई। स्वामी जी काशीस्थ सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से वेदांत परीक्षा में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्णपदक से सम्मानित हुए। तदनन्तर प्रो. श्रीराजदेवमिश्र के मार्गदर्शन में श्री स्वामीजी ने विद्यावारिधि (पी. एच. डी. ) की पदवी प्राप्त की। आपकी योग्यता, अप्रतिम वैदुष्य ,सनातनधर्म निष्ठा एवं श्रीसम्प्रदायभक्ति से प्रभावित होकर सन् 2010 के हरिद्वार कुम्भ मेँ अखिल भारतीय श्री वैष्णव सम्मेलन के समय अनेक धर्माचार्यों, मंहतों एवं पीठाधीश्वरों की उपस्थिति में 8 अप्रैल 2010 के पवित्रतम दिन श्री स्वामीजी को श्रीमज्जगद्गुरू रामानुजाचार्य के गरिमामय पद पर प्रतिष्ठित किया गया। सन 2017 में काशी विद्वत परिषद द्वारा प्रशस्तिपत्र प्रदान कर स्वामीजी का सम्मान किया गया।

संप्रति श्री स्वामीजी अयोध्यास्थित श्रीधाममठ (श्री रामवर्णाश्रम, रामकोट, अयोध्या) सर्वराकार महंतपद पर प्रतिष्ठित होकर रामायण-महाभारतादि ग्रन्थों सुबोधगम्य, प्रवाहप्रभावयुक्त प्रवचनों द्वारा भारतीय वैदिकार्ष संस्कृति एवं वर्णाश्रम मर्यादा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। संप्रति श्री स्वामीजी जिन संस्थाओं के सर्वराकार महंत पद पर प्रतिष्ठित हैं उनमें श्रीधाममठ रामवर्णाश्रम, रामकोट, अयोध्या, श्रीरामललासदन मंदिर, अयोध्या,श्रीहनुमान मंदिर, रामकोट, अयोध्या और श्रीराम-जानकी मंदिर, रामापुर घाट, कौडिया बाजार, गोंडा, (उ. प्र.) जैसी संस्थाएं शामिल हैं। अन्य संस्थाएं, जोकि श्री स्वामीजी के सफल मार्गदर्शन मेँ संचलित हैं उनमें श्रीरामानुज वेदविद्यालय शिक्षण क्षेत्र मे कार्यरत है। इसमें बटुक -बालकों को वेदविदयाध्ययन की सुविधा प्राप्त है। श्रीनंदनी गोशाला गोसंवर्धन के कार्य मे रत है। अन्नसेवा, अतिथि सेवा द्वारा भक्तों के निशुल्क भोजन की व्यवस्था की जाती है।

श्रीवैष्णवसमुदाय के सौभाग्य से श्री स्वामीजी साकेतधामस्थ श्रीरामललासदन देवस्थान दिव्यदेश के पुनर्निर्माण कार्य को सम्पन्न कर संचलित कर रहे हैं।यहाँ पर श्रीसम्प्रदायानुरूप पांचारात्रागमपद्धति से भगवत्सेवा की व्यवस्था है। आधुनिक सनातन भारत की कथापीठों में स्वामी जी की उपस्थिति अत्यंत विशिष्ट है।

Shashi kant gautam

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