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मुकुन्द के डंक से मुसीबत में आई अखिलेश सरकार, कभी हिलाया था माया को

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Published on: 8 Oct 2016 2:16 PM IST
मुकुन्द के डंक से मुसीबत में आई अखिलेश सरकार, कभी हिलाया था माया को
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लखनऊः जेल में अख़लाक़ हत्याकाण्ड के आरोपी रवि सिसौदिया उर्फ़ रविन की संदिग्ध मौत के बाद भीम सिंह मुकुन्द खलनायक की शक्ल में सामने आ रहे हैं। विवादो से पुराना रिश्ता रखने वाले जेलर भीम सिंह मुकुन्द एनआरएचएम घोटाले के आरोप में जेल में बंद डॉ वाई एस सचान की जेल में हुई संदिग्ध मौत के वक़्त लखनऊ में जेलर थे। इस घोटाले ने मायावती सरकार की चूलें हिला दी थी। अब डासना में मुकुन्द के डंक से अखिलेश सरकार मुसीबत में है।

एक बार फिर शुरू हुई शियासत

बिसहाडा कांड एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। वजह है डासना जेल में बंद अख़लाक़ हत्याकांड के आरोपी रविन की संदिग्ध मौत जिस के बाद एक बार फिर शियासत शुरू हो गई है। इसकी वजह से अखिलेश सरकार मुसीबत में हैं। काफी मशक़्क़त के बाद ज़िला प्रशासन दो दिन से जारी धरना प्रदर्शन ख़त्म कराने में सफल हो पाई है। इस बवाल के बाद भीम सिंह मुकुन्द खलनायक के तौर पर नज़र आ रहे हैं।

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भीम सिंह पर लगा था भ्रष्टाचार का आरोप

दरअसल जेलर भीम सिंह मुकुन्द का विवादों से पुराना नाता रहा है। फ़िरोज़ाबाद में तैनाती के दौरान मुकुन्द पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इसके बाद उन्हें हटा दिया गया था लेकिन आधा दर्जन सिफारिशी चिट्ठियों ने भीम सिंह को राजधानी लखनऊ में तैनाती दिला दी। 22 जून 2012 को लखनऊ जेल में बंद एनआरएचएम घोटाले के आरोपी डॉ वाइएस सचान की हुई संदिग्ध परिस्थियों में मौत के बाद भीम सिंह को लखनऊ से हटाकर मैनपुरी भेज दिया गया।

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फिर मुख्यालय से किया गया अटैच

सत्ता में अपनी पैठ रखने वाले भीम सिंह को अखिलेश सरकार के सत्त्ता में आने के बाद मैनपुरी से हटा कर मुख्यालय से अटैच कर दिया गया लेकिन ऊंची पहुंच और रसूख के दम पर भीम सिंह कई ज़िलों से होते हुए डासना जेल जा पहुंचे। जहां रवि की संदिग्ध परिस्थितयों में मौत हो गई है जिस के बाद से हंगामा बरपा है। अब सरकार ने भीम सिंह को डासना से हटा कर मुख्यालय से अटैच कर दिया है लेकिन सवाल यही की आखिर विवादों से यारी रखने वाले भीम सिंह को किसकी सिफारिश पर तैनाती मिलती रही है।



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