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Jhansi News: बुंदेलखण्ड का गौरव बनी जल सहेलियां, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

Jhansi News: जल सहेलियाँ जल संरक्षण के क्षेत्र में प्रयासरत हैं। जल सहेलियों के कार्यों से प्रेरित होकर देश भर में अब अन्य महिलाएं भी जल संरक्षण के लिए प्रयास कर रही हैं।

B.K Kushwaha
Published on: 4 March 2023 4:06 PM GMT
Water friends became the pride of Bundelkhand, President honored
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झांसी: बुंदेलखण्ड का गौरव बनी जल सहेलियां, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

Jhansi News: जल संरक्षण में महिलाओं के प्रयासों को केंद्र में रखते हुए पहली बार केन्द्र सरकार ने महिलाओं को सम्मानित किया है। ललितपुर, झाँसी व छतरपुर की जल सहेलियों को शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सम्मानित किया। ललितपुर की जलसहेली शारदा देवी और छतरपुर की गंगा देवी को राष्ट्रपति ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में स्वच्छ स्वजल शक्ति सम्मान दिया और झाँसी की गीता देवी को गजेन्द्र सिंह शेखावत ने वॉटर वारियर्स सम्मान दिया।

जल संरक्षण के लिए आगे आई महिलाएं

परमार्थ समाज सेवी संस्थान के सचिव संजय सिंह ने बताया कि जल सहेलियों से प्रेरित होकर ही देश में महिलाएं जल संरक्षण के लिए आगे आई हैं। जल सहेलियों की शुरुआत एक दशक पहले हुई थी और अब इसका असर दिखने लगा है।

आज देश के 7 जनपदों में 1100 से अधिक जल सहेलियाँ जल संरक्षण के क्षेत्र में प्रयासरत हैं। जल सहेलियों के कार्यों से प्रेरित होकर देश भर में अब अन्य महिलाएं भी जल संरक्षण के लिए प्रयास कर रही हैं। जल सहेलियों को सम्मान मिलने से महिलाएं प्रेरित होंगी और जल संरक्षण की मुहिम से जुड़ेंगी। बुंदेलखंड के समस्त गांवों में कम से कम एक जल सहेली जल संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय जरूर हो। संस्थान लम्बे समय से पानी पंचायत और जल सहेलियों के माध्यम से भी बुंदेलखण्ड में जल संरक्षण और संवर्धन की मुहिम चला रहा है। तालबेहट, ललितपुर के गांव विजयपुरा की शारदा ने अपने गांव में सूखी बरुआ नदी को पानीदार करने की मुहिम शुरू की और खाली बोरियों में रेत भर कर चेकडैम बना डाला।

जल संरक्षण से सूखे तालाब में आया पानी

शारदा कहती हैं कि घर में पुरुष ही निर्णय लेते थे, पर्दा भी था लेकिन सबके विरोध के बावजूद भी हम बाहर निकले और गाँव की तीन दर्जन से ज्यादा महिलाओं को अपने साथ जोड़ कर चेकडैम बना डाला। छतरपुर की बड़ामलेहरा ब्लॉक के चौधरीखेरा गाँव की गंगा देवी ने अपने गाँव में पानी लाने के लिए अंधविश्वास से लड़ते हुए सूखे तालाब को पानीदार किया। वह कहती हैं कि मान्यता थी कि जो भी तालाब में पानी लाने की कोशिश करेगा उसका वंश नष्ट हो जाएगा लेकिन हमने सोचा कि पानी न होने से बेहतर है कि मर ही जाए। हमने गाँव की दो दर्जन से ज्यादा औरतों को तैयार किया और जर्जर तालाब की खुदाई की। बारिश के बाद अब तालाब लबालब भरा है जिससे पूरे गाँव को पानी मिल रहा है।

झाँसी बबीना ब्लॉक के मानपुर गांव की रहने वाली गीता को भी सम्मान मिला है। जल सहेली गीता ने अपने गाँव के चंदेलकालीन तालाब के आउटलेट को ठीक करने का जिम्मा लिया और संस्था की मदद से आउटलेट ठीक किया ताकि पानी तालाब में रुकने लगे। अब इसी तालाब से उनके गाँव में सिंचाई होती है।

Shashi kant gautam

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