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Jalaun News: बदहाल सड़क बनी मौत का कारण, ऐसा है उरई से सिमरिया तक का रास्ता
Jalaun News: उरई से सिमरिया तक जाने वाली 15 किमी की सड़क की हालत काफी खस्ता है, जिसके कारण कई लोगों की मौत हो चुकी है।
जालौन: "कहते हैं कि देश की तरक्की का रास्ता गांव की गलियों से होकर गुजरता हैं, लेकिन अगर गांव तक वह गलियां ही ना पहुंचे" तो देश का विकास कैसे संभव होगा? जालौन के मुख्यालय उरई से सिमरिया तक जाने वाली 15 किलोमीटर की सड़क की दूरी को तय करने में लगभग 90 मिनट यानी डेढ़ घन्टे से ज्यादा का समय लग जाता है और अगर किसी व्यक्ति को इमरजेंसी सेवा की जरूरत पड़ जाए, तो उसका "राम नाम सत्य होना" तय है।
कई दशक बीत गए सरकारें आई और चली गई, नेता जी वोट मांगने तो आए, लेकिन झूठे वादे करके वहां से रफूचक्कर हो गए। कई दिग्गज नेताओं के आश्वासन के बाद भी यहां के बाशिंदों को सड़क के दर्शन प्राप्त नहीं हो सके। इस सड़क को अगर सबसे खराब सड़क कहा जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। हालात यह है कि महिलाओं के प्रसव भी अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में हो जाते हैं।
बता दें कि उरई से सिमरिया तक जाने वाली 15 किलोमीटर की यह सड़क ऐरी,रामपुरा, गुढ़ा, बंधौली व सिमरिया इन प्रमुख गांव को जोड़ती है। लगभग इन गांव की आबादी 10 से 12 हज़ार के बीच हैं। जब यहां के विकास की नब्ज को टटोलना चाहा तो हालात इसके विपरीत मिले। लोगों का दर्द इस कदर फूटा जिसे अपने शब्दों में बयां कर पाना काफी मुश्किल था। इस सड़क का सफर इतना दर्दनाक है कि आप किसी बड़ी बीमारी की चपेट में भी आ सकते हैं। इस सड़क पर दो पहियां व चार पहियां वाहन भी रेंगकर चलते हैं। बरसात के मौसम में तो यहां से निकलना टेढ़ी खीर साबित होता हैं। इसकी एक वजह यह भी हैं कि यहां कई बालू के घाट हैं। जिससे सड़को पर हज़ारो की संख्या में बड़े वाहनों का संचालन होता है, इस वजह से सड़क का सीना भी छलनी हो गया है। लोंगो से जब सड़क के हालात में बारे में उनकी जुबानी सुननी चाही तो उनका दर्द भी छलक पड़ा।
ग्रामीणों का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में इसे चुनावी मुद्दा भी बनाया था और यहां के वोटरों ने मतदान का बहिष्कार किया था, लेकिन 4 वर्ष बीतने के बाद भी सड़क नसीब नहीं हुई। हालात इतने खराब है कि अगर किसी को गांव से अस्पताल जाना हो तो सरकारी एम्बुलेंस भी यहां आने से डरती है और इसी वजह से कई लोगों की मौत भी हो चुकी हैं। यहां सबसे ज्यादा मुसीबत का सामना महिलाओं के प्रसव के समय करना पड़ता हैं। जब एम्बुलेंस ही नहीं आती तो निजी वाहन से उरई जिला अस्पताल तक पहुंचने से पहले ही रास्ते में महिलाओं की डिलीवरी हो जाती हैं। लोगों ने बताया कि पिछली विधानसभा में जब चुनाव का बहिष्कार किया था तो उसके बाद एक विधायक आए थे और वादा करके चले गए लेकिन आज तक सड़क के हालात नहीं बदले हैं। यहां हम लोग सिर्फ भगवान भरोसे जी रहें है। हमारे दर्द को न तो कोई सुनता हैं औऱ न किसी की फर्क पड़ता हैं।