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Jalaun News: 'खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी' इसी नारे के साथ धूमधाम से रैली निकालकर लक्ष्मीबाई का मनाया जन्मदिन

Jalaun News: 19 नवंबर को रानी लक्ष्मीबाई का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। हर साल इस दिन झांसी की रानी की वीरता को सलाम किया जाता है और अंग्रेजों के खिलाफ उनकी बहादुरी की गाथा को याद किया जाता है।

Afsar Haq
Report Afsar Haq
Published on: 19 Nov 2024 4:05 PM IST
Rani Lakshmibai Ki Jayanti: इस कविता के जरिए जानें रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानी
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Rani Lakshmibai (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Jalaun News: जालौन में बुंदेलखंड की वीरांगना व झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। रैली निकालकर उनकी वीरगाथाओं को याद किया गया। रैली में रानी लक्ष्मीबाई के वेश में घोड़े पर बैठी छात्रा रानी लक्ष्मीबाई की झांकी भी आकर्षण का केंद्र रही। जगह-जगह जुलूस पर पुष्प वर्षा भी की गई। वक्ताओं ने रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह बुंदेलखंड की वीरांगना थीं।

बुंदेलखंड की पहचान झांसी की रानी से है। जालौन में 19 नवंबर को रानी लक्ष्मीबाई का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। हर साल इस दिन झांसी की रानी की वीरता को सलाम किया जाता है और अंग्रेजों के खिलाफ उनकी बहादुरी की गाथा को याद किया जाता है। उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि ब्रिटिश सरकार ने झांसी को अपने अधिकार में लेने की कोशिश की और झांसी के किले पर हमला कर दिया। लक्ष्मी बाई घोड़े पर सवार थीं और उनकी पीठ पर उनका बेटा था और वो अंग्रेजों का सीना चीरती हुई अपना रास्ता बना रही थीं।

19 नवंबर 1828 को बनारस में जन्मी लक्ष्मी बाई का बचपन का नाम मणिकर्णिका था। उन्हें प्यार से मनु कहकर बुलाया जाता था। उनके पिता मोरोपंत तांबे और मां भागीरथी सप्रे थीं। मनु जब चार साल की थीं, तब उनकी मां का देहांत हो गया था। उनके पिता बिठूर जिले के पेशवा बाजीराव द्वितीय के लिए काम करते थे। उन्होंने ही लक्ष्मी बाई का पालन-पोषण किया। इस दौरान उन्होंने घुड़सवारी, तीरंदाजी, आत्मरक्षा और निशानेबाजी की ट्रेनिंग ली। 14 साल की उम्र में 1842 में मनु की शादी झांसी के शासक गंगाधर राव नेवलेकर से कर दी गई।

शादी के बाद उनका नाम लक्ष्मी बाई हो गया। उन दिनों शादी के बाद लड़कियों के नाम बदल दिए जाते थे। शादी के बाद लक्ष्मी बाई ने एक बेटे को जन्म दिया जिसकी महज चार महीने में ही मौत हो गई इस दौरान जगह-जगह उनकी याद में रैलियां निकाली गईं और उनके जन्मदिन के अवसर पर उनके बलिदान को याद किया गया। इस दौरान कई स्कूलों और सामाजिक संगठनों के लोग मौजूद रहे।



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Ragini Sinha

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