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कुंभ: संगम के तट पर जलोटा ने भजन से बांधा समा
सभी ने भक्तिभाव में मग्न होकर मधुर भजनों का आनन्द लिया। भजन सुनकर ऐसा लग रहा था मानों संगम में डुबकी लगाने से शरीर का स्नान हुआ और भजनों को श्रवण कर आत्मा का स्नान हो गया। भजनों का श्रवण कर दुनिया के अनेक देशों के लोग भाव विभोर हो उठे।
'आशीष पांडे'
कुंभ नगर: परमार्थ निकेतन शिविर, अरैल सेक्टर 18, प्रयागराज में सांयकालीन संगम आरती के पश्चात ’’एक शाम संगम के नाम-भजन संध्या का आयोजन किया गया। विश्व विख्यात भजन एवं गजल गायक अनूप जलोटा ने भजनों के माध्यम से संगम के तट पर संगम का संदेश दिया।
परमार्थ निकेतन शिविर से भजनों के माध्यम से विश्व स्तर पर स्वच्छता, समरसता और सद्भाव का संदेश प्रसारित किया गया। ''एक शाम संगम के नाम'' कार्यक्रम का उद्घाटन परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज, ब्राजील से आये प्रेम बाबा, मोहन, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती, अनूप जलोटा एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
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स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि आज संगम के तट पर स्वच्छता, समरसता और सद्भाव का महासंगम दिखायी पड़ रहा है। संगम से उठी संगीत की लहरें हमें वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश दे रही है। संगीत की लहरें संगम की लहरों के साथ मिलकर मिलन की संस्कृति का; एकत्व का और हम सब एक हैं, एक परिवार के सदस्य है का गान सुना रही हैं। स्वामी महाराज ने कहा कि संगीत दिलों को बदलता है और संगम भी सभी दिलों को मिलाता है और संगम कोई भेद नहीं करता। वास्तव में कुम्भ मिलन और आस्था का पर्व है।
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स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज के पावन सान्निध्य में अरैल घाट संगम पर प्रतिदिन दिव्य आरती होती है। आरती के पश्चात युवाओं को राष्ट्रभक्ति का संदेश देने हेतु राष्ट्रगान किया जाता है। वहां से देवभक्ति के साथ देशभक्ति का संदेश प्रसारित किया जाता है। स्वामी महाराज ने कहा कि अपनी-अपनी देव भक्ति करे परन्तु देशभक्ति पहले हो।
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आज की दिव्य आरती और भजन संध्या में आस्ट्रेलिया, पेरू, कोलम्बिया, अमेरिका, साइबेरिया, कनाडा, मलेशिया, नेपाल, नार्वे, स्पेन, इन्डोनेशिया, तिब्बत, कम्बोडिया, श्रीलंका, थाइलैंड, ब्राजील, जमर्नी, जापान, सिंगापुर, अर्जेन्टीना, मेक्सिको, हाॅलैैण्ड और विश्व के अन्य देशों के साधकों ने किया सहभाग। सभी ने भक्तिभाव में मग्न होकर मधुर भजनों का आनन्द लिया। भजन सुनकर ऐसा लग रहा था मानों संगम में डुबकी लगाने से शरीर का स्नान हुआ और भजनों को श्रवण कर आत्मा का स्नान हो गया। भजनों का श्रवण कर दुनिया के अनेक देशों के लोग भाव विभोर हो उठे।