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जानिए अनुच्छेद 370 से आजाद हुये कश्मीर का क्या है कानपुर से कनेक्शन?
दरअसल जब कांग्रेस से इस्तीफा देकर डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की तो उसके पीछे उनका उदेश्य कश्मीर में धारा 370 हटाने को लेकर था।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: देश में 70 साल पुरानी धारा 370 जम्मू कश्मीर से हट तो गयी लेकिन इसके पीछे कानपुर की बड़ी भूमिका रही है।
यह जानकर आपको आश्चर्य तो हो सकता है कि भला जम्मू कश्मीर का कानपुर से क्या लेना देना और कानून का काम तो संसद से होता है तो आईए हम आपको बताते है कि धारा 370 हटाने में क्रान्तिकारियों की धरती कानपुर की क्या भूमिका रही।
दरअसल जब कांग्रेस से इस्तीफा देकर डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की तो उसके पीछे उनका उदेश्य कश्मीर में धारा 370 हटाने को लेकर था।
कानपुर के फूलबाग मैदान में जनसंघ का पहले सम्मेलन में इस बात की शपथ ली गयी थी कि कश्मीर से धारा 370 हटाकर ही दम लेंगे।
इस अधिवेशन में बलराज मधोक नानाजी देशमुख अटल विहारी वाजपेयी कुशाभाऊ ठाकरे, लालकृष्ण आडवाणी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय भी शामिल हुए थें।
इस अधिवेशन में कहा गया था कि इस देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान नहीं होने चाहिये।
तत्कालीन अध्यक्ष डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर को आजाद कराने का संकल्प किया था।
उन्होंने कश्मीर से प्रजा परिषद के अध्यक्ष पंडित प्रेमनाथ डोगरा को भी बुलाया था।
जिस बरगद के पेड के नीचे यह अधिवेशन हुआ था वह पेड अभी कुछ साल पहले ही बूढा होकर गिर चुका है।
कानपुर से काश्मीर के धारा 370 को हटाने का अंत यही नही हुआ।
जब मोदी सरकार ने 6 अगस्त को लोकसभा में भी ध्वनि मत से यह विधेयक पारित कर दिया तो इसके बाद विधेयक मंजूरी के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविद के पास गया जो कि कानपुर के ही रहने वाले हैं।
यहां जानें रामनाथ कोविंद के बारें में सब कुछ
रामनाथ कोविन्द का जन्म कानपुर की तहसील डेरापुर,एक छोटे से गाँव परौंख में हुआ था। कोविन्द का सम्बन्ध कोरी (कोली) जाति से है।
जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति, गुजरात में अनुसूचित जनजाति एवम् उड़ीसा में अनुसूचित जनजाति आती है। वकालत की उपाधि लेने के पश्चात उन्होने दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत प्रारम्भ की। वह 1977 से 1979 तक दिल्ली उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के वकील रहे।
8 अगस्त 2015को बिहार के राज्यपाल के पद पर उनकी नियुक्ति हुई। वर्ष 1991 में भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित हो गये। वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे।
सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन द्वारा 19 जून 2017 को भारत के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित किये गए।
25 जुलाई 2017 को 14 वे राष्ट्रपति बने कोविंद
कोविंद को 65.65 फीसदी वोट प्राप्त हुए।(8) भारत के 13 वे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पश्चात 25 जुलाई 2017 को भारत के 14 वे राष्ट्रपति के रूप में कोविंद ने शपथ ग्रहण की।
अपने दो साल के कार्यकाल के बाद आखिर वह ऐहासिक घड़ी आ गयी जब कानपुर से शुरू हुआ धारा 370 हटाने सियासी सफर को मंजिल कानपुर से जुडने के बाद ही मिली।
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा संबंधी अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के प्रस्ताव संबंधी संकल्प और जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने वाले विधेयक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार रात को मंजूरी दे दी।