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जुर्म स्वीकारा और जुर्माना देकर रिहा हो गए तब्लीगी जमात से जुड़े बांग्लादेशी
दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में जमातियों को संक्रमण फैलाने की शिक्षा देने वाले मोहम्मद शाद पर जब गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया।
जौनपुर: जनपद के अस्थायी जेल में कोरोना संक्रमण को फैलाने के ज़ुर्म में सजा काट रहे 14 तब्लीगी जमातियों को आज न्यायालय में अपना ज़ुर्म स्वीकारने पर न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जुर्माना लगा कर दन्डित किया। जुर्माना राशि जमा करने पर सभी को रिहा कर दिया गया है। मिली खबर के मुताबिक मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पेश किए गए 14 बांग्लादेशी जमातियों ने धारा 307 हटने के बाद शेष धाराओं में कोर्ट में जुर्म स्वीकार कर लिया।
कोर्ट ने आरोपियों को जेल में बिताई गई अवधि तक के कारावास एवं पांच-पांच सौ रूपये जुर्माने की सजा का आदेश दिया । जुर्माना अदा करके आरोपी रिहा हो गए।अब वे बांग्लादेश भेजे जाएंगे।
कई धाराओं में दर्ज था मुकदमा
इनके उपर आरोप था कि कोरोना संक्रमण के शुरुआत में तब्लीगी जमातियों ने संक्रमण फैलाने का काम किया है। दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में जमातियों को संक्रमण फैलाने की शिक्षा देने वाले मोहम्मद शाद पर जब गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। क्योंकि संक्रमण से कई लोगों की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद देश भर में जमातियो के खिलाफ,जो जमात से जुड़े थे उन पर धारा 307,महामारी अधिनियम तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम की धाराओं की बढ़ोतरी की गई। इसी के तहत यहाँ सराय ख्वाजा थाना क्षेत्र के लाल दरवाजा स्थित मुनीर अहमद के मकान से 31 मार्च 2020 को मोहम्मद फिरदौस समेत 14 बांग्लादेशी व चार अन्य आरोपी गिरफ्तार हुए।
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आरोपियों के खिलाफ प्रारंभ में पासपोर्ट एक्ट,फॉरेनर्स एक्ट व अन्य धाराओं के तहत एफ आई आर दर्ज हुई। बाद में पुलिस ने विवेचना में धारा 307 लगाया कि आरोपी छिपकर संक्रमण फैलाने का प्रयास कर रहे थे। जबकि उन्हें पता था कि संक्रमण से लोगों की जान जा सकती है। शासन के निर्देश पर आरोपियों के खिलाफ पहले तो धारा 307 लगाते हुए आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया गया। लेकिन बाद में पुलिस अधीक्षक से अग्रिम विवेचना की अनुमति लेकर जिस मकान से आरोपी बरामद हुए थे। उसके बेटे का बयान लेकर पुलिस ने धारा 307 हटाकर रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दी।
जुर्म स्वीकारने के बाद जुर्माना भरने पर मिली रिहाई
उसके बेटे ने बयान दिया कि आरोपियों ने कोरोनावायरस फैलाने का कोई प्रयास नहीं किया। उन्हें संक्रमण की जानकारी भी नहीं थी और न उनमें कोई लक्षण ही संक्रमण के थे। वे घर से बाहर भी नहीं निकले। अच्छी भावना होने के कारण हम लोगों ने घर किराए पर दिए थे।पत्रावली सेशन कोर्ट में सुपुर्द की गई। इसके बाद जिला जज की अदालत में आरोपियों की तरफ से प्रार्थना पत्र दिया गया कि आरोपियों के खिलाफ धारा 307 पहले ही हट गई है। फॉरेनर्स एक्ट व पासपोर्ट एक्ट की धाराएं भी आरोपियों पर लागू नहीं होती क्योंकि आरोपी तीर्थ स्थलों का दर्शन करने के लिए भारत आए थे।
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दरगाह व मस्जिद का दर्शन करना कोई अपराध नहीं है। आरोपियों के अधिवक्ता रमेश सोलंकी ने इन धाराओं में भी आरोपियों को उन्मोचित करने की मांग किया। कोर्ट ने धारा 307 मे उन्मोचित करते हुए पत्रावली सीजीएम कोर्ट में भेजा। आज आरोपियों ने सीजेएम कोर्ट में जुर्म स्वीकार किया। कोर्ट ने आरोपियों को जेल में बिताई गई अवधि तक कारावास व जुर्माने की सजा का आदेश पारित किया।आरोपियो ने जुर्माना अदा कर दिया जिसके बाद सभी को रिहा कर दिया गया।
रिपोर्ट- कपिल देव मौर्य