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Jaunpur News: जेल में बन्दियों ने जमकर काटा बवाल, जेल प्रशासन पर लगाये आरोप
लगातार हो रहे बवाल से सवालों के कटघरे में जेल प्रशासन
जौनपुर। जिला कारागार प्रशासन की अव्यवस्थाओं एवं लापरवाहियों के चलते जेल में अक्सर बन्दियों द्वारा बवाल व तोड़ फोड़ की घटनायें देखीं जा रही हैं। जिसके चलते जेल की सम्पत्तियों का बड़ा नुकसान होता है। ताजा मामला है कि जिला कारागार प्रशासन की लापरवाहीयों के कारण बीते 04 जून 21 को सायं 04 बजे से रात्रि लगभग 10 बजे तक जिला जेल बन्दियों के कब्जे में रहा। लगभग 06 घन्टे तक प्रशासनिक अमले के हांफने के बाद जेल की स्थित सामान्य तो हो गयी लेकिन दूसरे दिन भी तनाव पूर्ण स्थित बनी रही।
जेल में आगजनी
बता दें कि जिला कारागार में निरूद्ध हत्या काण्ड का साज याफ्ता कैदी बागीश मिश्रा उर्फ सरपंच एक दिन पहले अचानक बीमार हो गया। 04 जून 21 को जिला जेल से जिला अस्पताल ले जाते समय उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। यहां बतादे कि बागीश मिश्रा मुन्ना बजरंगी गिरोह का सदस्य रहा है। अपराध के दौरान हत्या के केस में 06 जनवरी 21 को आजीवन सजा हुई थी। बागीश मिश्रा की मौत की खबर पर उसके भाई अनिल मिश्रा ने सीधे जिला कारागार प्रशासन आरोप लगाया। भाई ने कहा कि समय से इलाज न होने के कारण बागीश मिश्रा की मौत हो गई है। खबर वायरल होते ही जेल के अंदर बन्द 1300 बन्दी आक्रोशित हो गये और शाम 04 बजे जेल प्रशासन और चिकित्सक के खिलाफ बगावती तेवर अपनाते हुए जेल के अस्पताल बैरिक में सिलेंडर से आगजनी की घटना को अंजाम दे डाला। और जेल को अपने कब्जे में ले लिया। प्रशासन के विरोध में जेल के अन्दर नारे बाजी करते हुए पथराव भी शूरू कर दिया। साथ ही सर्किल गेट बन्द कर दिया ताकि फोर्स बन्दियों के करीब न पहुंच सके। लगभग 06 घन्टे तक बगावती ड्रामा चलता रहा।
जेल में आगजनी की घटना की खबर सुनते ही प्रशासन के हाथ पांव फूल गये। आनन फानन में डीएम एसपी सहित जिले के सभी प्रशासनिक अधिकारी एवं पुलिस के आला अधिकारी लगभग एक दर्जन थाने की फोर्स एवं पीएसी बल के साथ जेल पहुंच गये। लेकिन सर्किल गेट बन्द होने के कारण बन्दियों पर नियंत्रण नहीं पा सके बवाल चलता रहा। रात में लगभग 08 बजे के आसपास कमीश्नर दीपक अग्रवाल एवं आईजी एस के भगत पूरे लाव लश्कर के साथ जेल पर पहुंचे और लगभग दो घन्टे तक बन्दियों को समझाने का प्रयास किया। जब यह विश्वास दिलाया कि उनकी समस्या सुनी जायेगी और उनकी मांगो की जांच कराके दोषी जनों पर कार्यवाही होगी तब जाकर बन्दी शान्त हुए। और सर्किल गेट खोल कर अपने बैरेको में चले गये। तब प्रशासन ने राहत की सांस ली।
पहले भी घट चुकी हैं घटनाएं
आईजी और कमीश्नर ने मीडिया से रूबरू होकर बताया कि बन्दियों से बात हो गयी है जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई हो सकती है। यहां बता दें कि जेल प्रशासन की लापरवाहीयों एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे पहले सन् 2002 में जेल के अन्दर बन्दियों ने बवाल किया था। लगभग 16 घन्टे तक बवाल चला था। उस समय आक्रोशित बन्दियों ने एक बन्दी रक्षक संजय सेट्टी को इतना बुरी तरह से मार पीट दिया था कि उपचार के दौरान उसकी मौत हो गयी थी। किसी जेल के अन्दर की यह घटना उत्तर प्रदेश की पहली घटना रही है। इसके बाद सन् 2015 में जेल के अंदर जेल प्रशासन की अनदेखी एवं लापरवाही के कारण श्याम यादव नामक बन्दी की मौत के बाद बन्दी आक्रोशित हुए और उत्पात मचाते हुए जम कर बवाल किया। पूरी रात जेल पर कब्जा किये रहे। इस घटना में एक दर्जन पुलिस कर्मी बुरी तरह से जख्मी हुए थे। तीसरी घटना फिर जेल प्रशासन की लापरवाही के चलते हो गयी है।
बन्दियों ने लगाये आरोप
जेल प्रशासन के भ्रष्टाचार की पोल खोलती बन्दियों ने बताया कि जेल मैनुअल के हिसाब से 40 रुपये बन्दी बजट मिलता है। और जो मानक तय है उस हिसाब से हमें खाना नहीं मिलता है। यहां पर दो किग्रा दाल से 13 सौ से अधिक कैदियों के लिए दाल बनायी जाती है। दाल में पानी ही रहता है। सब्जियों से आलू गायब रहता है, उबली हुई सब्जियां परोसी जाती हैं। इतना ही नहीं रोटी दो सौ ग्राम की जगह डेढ़ सौ ग्राम ही दी जाती हैं। जो भ्रष्टाचार की कहानी स्पष्ट संकेत कर रही थीं।