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मल्हनी उपचुनाव आखिर तमाम प्रयासों के बाद राष्ट्रीय दल क्यों नहीं बचा सके अपनी जमानत

इस उप चुनाव में सबसे बड़ी बात यह हुई कि राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों की जमानत को जनता ने जप्त कराते हुए बता दिया है कि जनता अब किसी के धोखे में रहने वाली नहीं है।

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Published on: 11 Nov 2020 1:04 PM GMT
मल्हनी उपचुनाव आखिर तमाम प्रयासों के बाद राष्ट्रीय दल क्यों नहीं बचा सके अपनी जमानत
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मल्हनी उपचुनाव आखिर तमाम प्रयासों के बाद राष्ट्रीय दल क्यों नहीं बचा सके अपनी जमानत (Photo by social media)

जौनपुर: मल्हनी विधानसभा का उप चुनाव परिणाम कई संदेश देते हुए तमाम अनुत्तरित सवालों को भी खड़ा कर रहा है। चुनाव परिणाम को लेकर अब जनपद के चट्टी चौराहे से लेकर चाय पान की दुकानों पर सभी मुद्दों पर राजनैतिक विश्लेषकों द्वारा चर्चायें की जा रही है। हंलाकि कड़े संघर्ष के पश्चात सपा इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखते हुए एक बार फिर निर्दल प्रत्याशी एवं जिले के बाहुबली नेता एवं पूर्व सांसद को पटखनी देकर अपने अस्तित्व को स्थापित करने मे सफल रही है।

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राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों की जमानत को जनता ने जप्त कराते हुए बता दिया है

इस उप चुनाव में सबसे बड़ी बात यह हुई कि राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों की जमानत को जनता ने जप्त कराते हुए बता दिया है कि जनता अब किसी के धोखे में रहने वाली नहीं है। आयोग के नियमा नुसार पोलिंग मतों का छठवां भाग मत हांसिल न करने की दशा में जमानत जप्त कर लिया जाता है।

मल्हनी विधानसभा मे 2,07,080 वोट पोल हुए थे। इस नियम के तहत लगभग 36 हजार मत जमानत बचाने के लिए जरूरी था। लेकिन जनता ने भाजपा को 28,803 मतों पर समेट दिया। बसपा को 25164 मतो पर रोक दिया तो कांग्रेस को महज 2866 मत दिया जो उसके खत्म जनादेश का संकेत है। इस तरह भाजपा, बसपा, कांग्रेस तीनों की जमानत जप्त हो गयी। लडाई निर्दल और सपा के बीच हुई सपा विनर रही है।

मल्हनी की जनता ने सरकार की प्रतिष्ठा को चकनाचूर कर दिया

इस चुनाव को भाजपा ने अपनी प्रतिष्ठा बनाया था लेकिन मल्हनी की जनता ने सरकार की प्रतिष्ठा को चकनाचूर कर दिया । जो यह संकेत देता है कि भाजपा ने प्रतिष्ठा बनाया जरूर लेकिन प्रत्याशी को लेकर सपा और निर्दल को वाक ओवर देने का काम किया था। अगर किसी स्थानीय को प्रत्याशी बनाया होता तो सरकार की प्रतिष्ठा का कुछ अलग परिणाम होता कम से कम जमानत तो बच ही सकती थी।

malhani-matter malhani-matter (Photo by social media)

इस चुनाव में वोटों की खरीद फरोख्त का खेल खूब जबरदस्त चला

इसके अलावां जन मानस के बीच में चर्चा यह भी है कि इस चुनाव में वोटों की खरीद फरोख्त का खेल खूब जबरदस्त चला लेकिन आयोग के अधिकारी मूक दर्शक बने रहे। वोटों की खरीद का असर निर्दल प्रत्याशी के प्रति खास दिखा क्योंकि बसपा की जमानत पिछले किसी भी चुनाव में जप्त नहीं हुईं थी लेकिन उप चुनाव में जप्त होना और निर्दल प्रत्याशी के मतों में बेतहाशा बृद्धि होना इस चर्चा को बल देता है। इसके अलावां कई जगहों पर लाखों रूपये का पकड़ा जाना भी इसको प्रमाणित करता है।

हलांकि इस खेल में भाजपा भी पीछे नहीं रही लेकिन प्रत्याशी की जनता के बीच पकड़ न होना उसे कमजोर बना दिया था।

सपा के कुछ नेता गण अपने दल के प्रत्याशी के खिलाफ हराने की साजिश किये हुए थे

इस चुनाव में सपा को उसके मूल मतदाता संख्या बल के अनुसार गणना में मत का न होना यह संकेत करता है कि सपा के कुछ नेता गण अपने दल के प्रत्याशी के खिलाफ हराने की साजिश किये हुए थे लेकिन जनता ने स्व पारस नाथ जी को श्रद्धांजलि देने का मन बनाया था इसलिए लाख प्रयासो के बाद भी कड़ी टक्कर के पश्चात स्व पारस नाथ यादव के पुत्र लकी यादव को मल्हनी का विधायक बना ही दिया है। पार्टी में के अन्दर यह भी चर्चा होतीरही की इस बार लकी यादव हारे तो 2022 में मल्हनी से दावा कर चुनाव लड़ सकते है लेकिन जनता ने ऐसे सपा नेताओं की मंशा पर पानी फेर दिया है।

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आगे 2022के आम चुनाव में क्या होगा यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन इतना तो तय है कि इस चुनाव ने बता दिया कि जब तक यहाँ से धनन्जय सिंह चुनाव मैदान रहेंगे तब तक भाजपा का उदय यहाँ से होना कठिन ही नहीं असंभव नजर आ रहा है। अब तक के परिणाम बताते हैं कि जब से मल्हनी बनी है सपा नम्बर वन रही तो धनन्जय सिंह नम्बर दो पर रहे है और भाजपा चार अथवा तीसरे पायदान पर नजर आयी है ।

रिपोर्ट- कपिल देव मौर्य

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