डिजिटलीकरण ने देश में भ्रष्टाचार को कम करने में की मददः प्रो. संजय द्विवेदी

डिजिटलीकरण से देश में भ्रष्टाचार रोकने में काफी हद तक सफलता हासिल हुई है।

Kapil Dev Maurya
Published on: 20 Jun 2021 4:03 PM GMT
Digital India
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डिजिटल मीडिया पर अपने विचार रखते वक्ता (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Jaunpur News: भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमएसी) नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि डिजिटलीकरण से देश में भ्रष्टाचार रोकने में काफी हद तक सफलता हासिल हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की चिंता थी कि ऊपर से लाभार्थियों के लिए भेजे गए पैसे का एक बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है, लेकिन आज सरकार की ओर से डिजिटल इंडिया पर जोर दिए जाने से एक क्लिक से सीधे लाभार्थियों के जनधन खातों में धनराशि पहुंच जाती है।

उक्त बातें वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के आन्तरिक गुणवत्ता सुनश्चयन प्रकोष्ठ एवं जनसंचार विभाग की ओर से संकाय संवर्धन कार्यक्रम के तहत ऑनलाइन आयोजित हुई सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला "डिजिटल दौर में मीडिया का बहुआयामी स्वरूप" के समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. द्विवेदी ने बतौर मुख्य अतिथि कही। आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि अगर डिजिटल मीडिया न होता तो कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण जनजीवन ठहर जाता। न तो हम सार्वजनिक संवाद कर पाते न शिक्षा व्यवस्था और व्यापार ही चल पाता। लेकिन डिजिटल मीडिया के कारण जीवन के जरूरी कार्यों को संचालन होता रहा। उन्होंने कहा कि जब भी कोई नई तकनीक आती है तो वह जीवन आसान करती है।

बतौर विशिष्ट अतिथि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय,ग्रेटर नोएडा के जनसंचार विभाग की अध्यक्ष प्रो.वन्दना पांडेय ने कहा कि डिजिटल मीडिया सूचना प्रसार का एक विधि है। आज की दुनिया डिजिटल उत्पादों से भरी हुई है। ऐसे में डिजिटल मीडिया की उपयोगिता बहुत बढ़ गई है। हमारा पूरा जीवन डिजिटल माध्यम पर आधारित हो गया है। सरकार भी अपनी योजनाओं के डिजिटलीकरण पर जोर दे रही है। अल्ट्रासाउंड आदि स्वास्थ्य सेवाएं भी डिजिटल हो चलीं हैं। तकनीक इस कदर विकसित हो चली है कि आज डिजिटल मीडिया से आगे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर काम होने लगा है। प्रो. वंदना पांडेय ने डिजिटल मीडिया के लिए सेल्फ रेगुलेशन की भी जरूरत बताई।

अध्यक्षता करते हुए वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि पत्रकारिता लाक्षणिक भाषा में बात करती है। पत्रकार मेहनती और कर्मठ होते हैं। पत्रकारिता मिशन भी है और प्रोफेशन भी। पत्रकारिता के व्यवसाय होने का मतलब व्यापार नहीं बल्कि रोजगार से है।

अतिथियों का स्वागत आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चित प्रकोष्ठ के समन्वयक प्रो. मानस पांडेय ने किया। कार्यशाला संयोजक और जनसंचार विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज मिश्र ने सात दिनों तक आयोजित कार्यशाला की रिपोर्ट पेश की और संचालन सह संयोजक डॉ. धर्मेंद्र सिंह ने किया। सात दिनों तक चली कार्यशाला में प्रो. एके श्रीवास्तव, प्रो. देवराज, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ. चंदन सिंह, प्रो. लता चौहान, डॉ. राखी तिवारी, डॉ. बुशरा जाफरी सहित 21 राज्यों के सात सौ से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

Raghvendra Prasad Mishra

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