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Jaunpur News: वेबिनार के माध्यम से किया वायरस के बारे में जागरुक, खानपान और जीवनशैली को करें दुरुस्त
Jaunpur News: वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय फार्मेसी संस्थान, जौनपुर द्वारा आयोजित पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ई सिंपोजियम का उद्घाटन सत्र शनिवार को हुआ।
Jaunpur News: वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय फार्मेसी संस्थान, जौनपुर द्वारा आयोजित पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ई सिंपोजियम का उद्घाटन सत्र शनिवार को हुआ। बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय विषाणु संस्थान पुणे के पूर्व निदेशक डॉक्टर डीटी मौर्य ने पर्यावरण में उपलब्ध लगभग तीन लाख विषाणु के बारे में बताया और कहा कि बीमारी फैलाने में व्यक्ति का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है। जूतों के माध्यम से बहुत सारे विषाणु घर में घुस जाते हैं।
डॉक्टर मौर्य ने कहा कि लगभग 20 से 30 वर्ष पूर्व जीका विषाणु बंदरों से शुरुआत होते हुए मच्छरों और उसके उपरांत इंसानों में आया जिससे एक भयानक महामारी फैली। उत्तर प्रदेश का जिक्र करते हुए बताया कि जापानी इंसेफेलाइटिस भी विषाणु द्वारा ही फैलता है और यह अधिकतर उन जगहों पर फैलता है जहां धान की खेती बहुतायत में होती है। कोविड-19 वायरस की बात करते हुए बताया कि यह RNA वायरस है इस वजह से इसमें म्यूटेशन बहुत ज्यादा होता है क्योंकि यह बहुत बड़े होते हैं मौजूदा कोरोना वायरस में लगभग 200 म्यूटेशन होने की संभावना है और यह कंजेक्टिवा आंख से भी इंसान में प्रवेश कर सकता है ।
इस वजह से इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि मास्क तो प्रॉपर पहने ही लेकिन साथ ही भीड़ भाड़ वाली जगह में जाने से जरूर बचें। जिससे किसी भी माध्यम से आपकी आंख के द्वारा कोरोना वायरस आपके शरीर के अंदर ना जा सके। इससे बचाव ही इसका इलाज है।इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने आयुर्वेदिक औषधियों के साथ साथ योग, प्राणायाम इत्यादि पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दैनिक जीवन में खानपान में एवं रहन-सहन में आवश्यक बदलाव करते हुए हम अपनी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर सकते हैं, जिसकी इस महामारी में जरूरत है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में नासा स्पेशलाइज्ड सेंटर फॉर रिसर्च यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के असिस्टेंट प्रोफेसर और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर विपिन परिहार ने कहा कि भारत में प्रत्येक 12वां व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित है और लगभग 1700000 लोग कैंसर से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि जब एचआईवी मरीज मरता है तो उसका दिमाग विषाणु से भरा होता है और जब दिमाग में जाता है तो दिमाग की न्यूरॉन सेल डैमेज हो जाती है । रेबीज वायरस को भी बताया कि यह ब्रेन के न्यू सेल्स को नष्ट करता है। उन्होंने कहा कि जब कैंसर सर्वाइवल कीमोथेरेपी के बाद आता है तो उसके दिमाग की जो नस हैं और जो कोशिकाएं हैं वह कीमोथेरेपी की वजह से काफी नष्ट हो चुकी होती हैं और दिमागी रूप से मरीज बीमार हो जाता है। कांटे को एस्टेरॉइड का एलिवेशन एड्रीनलिन बढ़ाता है जोकि काफी हानिकारक है। पुराने समय में आनंद की बात करते थे विदेशी देशों ने एक नया हार्मोन आनंदामाइड खोजा है।
नए वैज्ञानिकों के बारे में डॉक्टर परिहार ने सलाह दी कि अपने शोध में खास तौर से दवाओं के संबंधित शोध में जब भी किसी जीव का इस्तेमाल करें तो मेल और फीमेल दोनों में अलग-अलग चेक करें क्योंकि मेल और फीमेल का हार्मोन सिस्टम अलग होता है और इस वजह से जरूरी नहीं है कि जो दवा मेल के लिए ज्यादा प्रभावी है वही फीमेल के लिए भी प्रभावी हो । कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण के बारे में बताते हुए बताया कि हमको अपने शारीरिक कार्यों द्वारा कोलेस्ट्रॉल को सूर्य की रोशनी की उपस्थिति में विटामिन D3 में परिवर्तित करने हेतु व्यायाम योगा इत्यादि अवश्य करना चाहिए और मल्टीग्रेन खाना खाना चाहिए ।
संस्थान के निदेशक प्रो. बीबी तिवारी ने कहा कि चिकित्सा के संबंध में ज्ञान का आदान प्रदान अवश्य होना चाहिए और किसी भी प्रकार के भ्रामक जानकारी के बहकावे में आते हुए अपने से दवाओं का प्रयोग ना करें। कार्यक्रम की संयोजक झांसी मिश्रा ने संचालन और तकनीकी सहयोग डॉक्टर आलोक दास ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ धर्मेंद्र सिंह ने किया। कार्यक्रम में प्रोफ़ेसर मानस पांडेय, प्रोफेसर वंदना राय, डॉ प्रदीप कुमार डॉ विनय कुमार वर्मा, विजय बहादुर मौर्य, रितेश जायसवाल अनु त्यागी आशीष गुप्ता राशिकेस मुस्कान कौशिकी समृद्धि वर्मा हर्ष कटिहार समेत 250लोगों ने प्रतिभाग किया।