आसन,ध्यान और प्राणायामों के साथ घर-घर गुंजायमान हुआ सप्तम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

ओमकार की ध्वनियां आज सप्तम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर घर-घर में गुंजायमान रही।

Kapil Dev Maurya
Published on: 21 Jun 2021 2:17 PM GMT
International Yoga Day
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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर योगाभ्यास करते लोग (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Jaunpur News: गांव से लेकर शहरों तक बहुत ही हर्षोल्लास के साथ आसन, ध्यान और प्राणायामों के साथ ओमकार की ध्वनियां आज सप्तम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर घर-घर में गुंजायमान रही। वर्ष 2015 से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। पिछले 5 वर्षों तक सामूहिक रूप से निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत योगाभ्यास कराया जाता रहा है, जिसमें शासन और प्रशासन के स्तर के साथ सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से जगह-जगह हजारों लोगों को प्रोटोकॉल का अभ्यास कराया जाता रहा है। लेकिन कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के कारण गत वर्ष से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को मनाने का तरीका बिल्कुल बदल गया, जिसमें अधिकांश लोग अपने घरों में रहकर ही आज के दिन विशेष रूप से निर्धारित योगाभ्यास को किया और वहीं कुछ जगहों पर सीमित लोगों को इकट्ठा होकर सोशल डिस्टेन्सिंग का अनुपालन करते हुए योगाभ्यास करते दिखे।

पतंजलि योग समिति के एक हजार से अधिक योग प्रशिक्षकों के द्वारा आनलाइन व आफलाइन के माध्यम से हजारों घरों में योगाभ्यास को कराया गया। पतंजलि योग परिवार के पदाधिकारियों नें पचहटिया स्थित पतंजलि हरीमूर्ति वाटिका में प्रोटोकॉल के तहत योगाभ्यास किया और साथ ही साथ हवन-यज्ञ का भी आयोजन किया गया।

पतंजलि योग समिति के प्रान्तीय सह प्रभारी अचल हरीमूर्ति के द्वारा बताया गया कि वैश्विक स्तर पर आयोजित होने वाले योगाभ्यास के प्रोटोकॉल को इस ढंग से निर्धारित किया गया है कि दुनिया के अलग-अलग भौगोलिक वातावरण में रहने वाले व्यक्ति चाहे वह किसी भी अवस्था के ही क्यों न हों बहुत ही सहज और सरल ढंग से सभी आसनों के साथ सूक्ष्म व्यायाम और प्राणायामों सहित ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं।

अभ्यासों के क्रम में सबसे पहले गर्दन, कंधे और कमर से सम्बन्धित सूक्ष्म व्यायामों को कराया जाता है जो कि सर्वाइकल और स्पोन्डलाईटिस से सम्बन्धित समस्याओं के समाधान में बेहद लाभदायक होता है। खड़े होकर किये जाने वाले आसनों में ताड़ासन, वृक्षासन, अर्ध चक्रासन, पादहस्तासन और त्रिकोणासन है। इसी तरह से बैठकर, पेट और पीठ के बल लेटकर मुख्यत: 21 आसनों का अभ्यास कराया जाता है। कपालभाति, नाड़ी शोधन, शीतली और भ्रामरी प्राणायामों के साथ मेडिटेशन का अभ्यास कराकर वैश्विक शांति हेतु शांति पाठ को कराया जाता है।

हरीमूर्ति के अनुसार ग्राम समितियों से लेकर जिले स्तर की समितियों के द्वारा अलग-अलग जगहों पर भी सोशल डिस्टेन्सिंग का अनुपालन करते हुए पदाधिकारियों के द्वारा प्रोटोकॉल के तहत योगाभ्यास कराया गया। इन सभी जगहों पर भारत स्वाभिमान के प्रभारी शशिभूषण, पतंजलि योग समिति के प्रभारी शम्भुनाथ, कुलदीप, डॉ. हेमंत, संतोष, डॉ. धर्मशीला, डॉ. चन्द्रसेन, डॉ. ध्रुवराज, सुरेन्द्र, प्रेमचंद, नन्दलाल, शिवकुमार, विरेन्द्र, श्रीप्रकाश, रविन्द्र कुमार, स्वदेश, भोलानाथ, विकास, विपिन, संतोष, राहुल, गुरुनाथ, कार्तिकेय सहित अन्य लोगों की बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।

Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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