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Jaunpur News: ग्राफीन ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए वरदान: डॉ. संतोष

Jaunpur News: पूर्वांचल विवि परिसर स्थित रसायन विज्ञान विभाग, रज्जू भैया संस्थान के द्वारा आयोजित राष्ट्रीय ई-कार्यशाला का आज दूसरे दिन था।

Kapil Dev Maurya
Report Kapil Dev MauryaPublished By Chitra Singh
Published on: 26 Jun 2021 10:58 PM IST
Jaunpur News: ग्राफीन ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए वरदान: डॉ. संतोष
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Jaunpur News: वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय (Veer Bahadur Singh Purvanchal University) परिसर स्थित रसायन विज्ञान विभाग, रज्जू भैया संस्थान के द्वारा आयोजित राष्ट्रीय ई-कार्यशाला (National E-Workshop)'रसायन विज्ञान में उपकरणीय तकनीक' के दूसरे दिन डेरेलेक्स विश्वविद्यालय यूएसए के डॉ. संतोष कुमार यादव ने मटेरियल के पहचान में रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के उपयोग पर चर्चा की।

डॉ. यादव ने बताया कि रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी (Spectroscopy) के द्वारा कार्बन एंड मैटेरियल की पहचान करने में मदद मिलती है। उन्होंने ग्राफीन मटेरियल (Graphene Material) के ऊपर चर्चा की। ग्राफीन कार्बन का एक फॉर्म है जिस पर वर्तमान समय मे बहुत शोध हो रहे है।

डॉ. यादव ने कहा कि आने वाले समय में ऑटोमोबाइल कंपनियां (Automobile Companies) ग्रेफिन मटेरियल का भरपूर करेंगी। ग्रेफिन का उपयोग इलेक्ट्रिकल कारों को बनाने में तथा कारों की वजन को घटाने व मजबूत बनाने की दिशा में शोध व विकास की प्रकिया जारी है।

स्पेक्ट्रोस्कोपी

आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर रमेश गरदास ने पदार्थ के अध्ययनों में ऊष्मा के प्रभाव पर प्रकाश डाला। प्रो. गरदास ने बताया कि विभिन्न उष्मीय प्रयोग के द्वारा प्रयोग पदार्थों की विभिन्न गुणों का अध्ययन किया जा सकता है। उष्मा के प्रयोग से नए बनने वाले पदार्थ की पहचान करने में सहायता प्राप्त की जा सकती है।

तकनीकी सत्र का संचालन नैनो विज्ञान शोध केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. सुजीत कुमार चौरसिया ने किया। कार्यशाला के संयोजक डॉ. नितेश जायसवाल ने अतिथियों का परिचय व स्वागत किया। इस कार्यशाला का प्रसारण गूगल मीट के अलावा यूट्यूब के माध्यम से भी किया जा रहा है। कार्यशाला में भाग ले रहे देश के तमाम राज्यों के प्रतिभागियों ने विषय विशेषज्ञों से कई प्रश्न पूछे। इस मौके पर संस्थान के निदेशक प्रो. देवराज सिंह रसायन विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. प्रमोद यादव, डॉ. अजीत सिंह, डॉ. मिथिलेश कुमार, डॉ. दिनेश व विश्वविद्यालय के अन्य के शिक्षकों जुड़े रहे।



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Chitra Singh

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