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वैज्ञानिक खोज को जनसामान्य तक पहुंचाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रो मौर्य ने कहा कि आग व पहिये की खोज ने मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण निभाई। उन्होंने हिंदी में विज्ञान के प्रचार-प्रसार पर बल दिया।
जौनपुर वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के प्रो० राजेन्द्र सिंह (रज्जू भइया) भौतिकीय विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान, द्वारा शनिवार को हिंदी में विज्ञान संचार आवश्यकता एवं चुनौतियां विषयक वेबिनार का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता कुलपति प्रो निर्मला एस मौर्य ने किया। साथ ही कहा कि वैज्ञानिक खोज को जनसामान्य तक पहुंचाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रो मौर्य ने कहा कि आग व पहिये की खोज ने मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण निभाई। उन्होंने हिंदी में विज्ञान के प्रचार-प्रसार पर बल दिया।
विज्ञान के क्षेत्र में पहचान
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति प्रो डॉ राजाराम यादव ने कहा कि जर्मनी, चीन, जापान जैसे कई देशों ने अपने राष्ट्रभाषा में विज्ञान व तकनीकी का प्रचार प्रसार किया, जिससे इन देशों ने विश्व में अपनी विज्ञान के क्षेत्र में पहचान बनाई। हिंदी में प्रकाशित होने वाली पत्रिकायेन जैसे विज्ञान, विज्ञान प्रगति आदि ने हिंदी में विज्ञान के प्रसार में महत्वपूर्ण निभाई। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, सलाहकार व प्रमुख, राष्ट्रीय विज्ञान और प्रोद्योगिकी संचार परिषद, भारत सरकार के डॉ मनोज पटेरिया ने कहा कि वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के प्रथम अध्यक्ष डॉ. डी. एस. कोठारी के नेतृत्व में आयोग हिंदी भाषा में विज्ञान तथा शब्दावली के प्रसार में महत्वपूर्ण निभाई। वर्तमान में इस दिशा में काफी काम करने की जरूरत है।
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विज्ञान को जन साधारण के मध्य लोकप्रिय बनाना
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के विज्ञान प्रसार संस्थान द्वारा विज्ञान को जन साधारण के मध्य लोकप्रिय बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण प्रयास कर रहे है। विज्ञान के प्रसार कोरोना व कोविड के बारे में जागरूकता फैलाने की दिशा में किया गया है। नेशनल सेंटर फॉर इनोवेशन इन डिस्टेंस एजुकेशन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के निदेशक डॉ० ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति में हिंदी भाषा मे विज्ञान शिक्षा व शोध की दिशा में बहुत प्रभावी काम करने की जरूरत है।
सोशल मीडिया
आधुनिकतम माध्यम से विज्ञान का संचार
ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले विद्यार्थियों के लिए विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ाने के लिए शोध सन्दर्भ को हिंदी भाषा में विकसित करने की जरूरत है। प्राचीन समय में लोग लोकोक्तियों के माध्यम से विज्ञान और उसकी मान्यताओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाते थे।
वर्तमान में संचार के आधुनिकतम माध्यम से विज्ञान को मातृभाषा में जन सामान्य तक पहुंच रहा है। डॉ. मेहरवान ने कहा विज्ञान के सकारात्मक प्रचार प्रसार ने कोविड को समझने और बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वेबिनार में प्रो देवराज सिंह ,डॉ धीरेंद्र कुमार चौधरी, डॉ नितेश जायसवाल शामिल हुए।
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कपिल देव मौर्य जौनपुर