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Jaunpur News: चार दिन बाद भी घायल के पैर में लगी गोली नहीं निकाली गई, सरकार की व्यवस्था पर उठ रहे सवाल
Jaunpur News: चार दिन बीत जाने के बाद आज तक घायल के पैर में लगी गोली को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल और बीएचयू तक उसके पैर से गोली नहीं निकाली है।
Jaunpur News: स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों को लेकर जन उपचार के बाबत सरकार और शासन चाहे जितने दावे करे लेकिन कुछ घटनाएं विभाग के सच का खुलासा करती है। जी हां जनपद के स्वास्थ्य विभाग ने योगी सरकार के जन सुरक्षा की ऐसी पोल खोली कि अब जन मानस विभाग के प्रति थू थू करने को मजबूर है।
बता दें विगत 14 नवंबर की रात 10.30 बजे जनपद के थाना शाहगंज क्षेत्र स्थित कस्बे में आजमगढ़ मार्ग स्थित पेट्रोल पंप के पास रात में अतुल यादव पुत्र वीरेंद्र कुमार यादव निवासी उसराबादी थाना शाहगंज और विनय कुमार उर्फ छोटू यादव पुत्र स्व0 उदयभान यादव के बीच लम्बे समय से चली आ रही रंजिश को लेकर विनय कुमार अपने भाई भावेश यादव,अभिषेक उर्फ मुन्ना यादव, अविनाश यादव एवं अभिनव खटीक के साथ मिलकर शाहगंज में अहरोला पड़ाव के पास मारपीट के साथ गोली चलाई, जो राहगीर रामअवध राजभर के पैर में लग गई। जिसके कारण वह घायल हो गया था। चार दिन बीत जाने के बाद आज तक घायल के पैर में लगी गोली को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल और बीएचयू तक उसके पैर से गोली नहीं निकाली है। इतना ही नहीं बीएचयू ट्राॅमा सेंटर से भी घायल गरीब रामअवध राजभर को रेफर कर फिर जिला अस्पताल जौनपुर भेज दिया गया है।
बस एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल घूम रहा घायल
अब घायल के परिजनों ने उसको शाहगंज के एक निजी चिकित्सालय में भर्ती करा दिया है। स्वास्थ्य विभाग की इस कारस्तानी ने सरकार की व्यवस्था और स्वास्थ्य विभाग को सवालो के कटघरे में खड़ा कर दिया है। यहां बता दें कि पुलिस ने उसे सीएचसी में भर्ती कराया, जहां चिकित्सकों ने जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया था। चार दिन तक जिला अस्पताल में भर्ती पीड़ित के पैर से गोली नहीं निकलने से उसे बीएचयू ट्राॅमा सेंटर रेफर किया गया। वहां चिकित्सकों ने मरीज को अनदेखा कर बगैर इलाज किए शाहगंज भेज दिया। सोमवार की देर रात परिवार उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। गोली से घायल राम अवध का कहना है कि चार दिन तक जिला अस्पताल में भर्ती रहने के बावजूद पैर में अटकी गोली नहीं निकाली गई। कोई प्रशासनिक अधिकारी मिलने भी नहीं आया। चार दिन बाद उसे जिला अस्पताल से वाराणसी ट्राॅमा सेंटर भेज दिया गया। वहां भी सिर्फ खानापूर्ति कर चिकित्सकों ने पैर में लगी गोली निकालने से मना कर अस्पताल से बाहर भगा दिया। सीओ अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि उसे वहां से बुलाकर निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है।