×

Jaunpur News: श्रमजीवी बम विस्फोट काण्ड में 18 साल बाद आया फैसला, आतंकवादियों को फांसी की सजा

श्रमजीवी एक्सप्रेस में विस्फोट कांड के मामले में 18 साल बाद 03 जनवरी 2024 को आखिरकार न्यायाधीश का फैसला आया। इस बम काण्ड के शेष दो आतंकवादियों को भी फांसी की सजा हुई है।

Kapil Dev Maurya
Published on: 3 Jan 2024 5:56 PM IST
jaunpur news
X

श्रमजीवी बम विस्फोट काण्ड में आतंकवादियों को फांसी की सजा (न्यूजट्रैक)

Jaunpur News: श्रमजीवी एक्सप्रेस में विस्फोट कांड के मामले में 18 साल बाद 03 जनवरी 2024 को आखिरकार न्यायाधीश का फैसला आया। इस बम काण्ड के शेष दो आतंकवादियों को भी फांसी की सजा के साथ 10 लाख 25 हजार रुपए का जुर्माना दीवानी न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार राय की कोर्ट ने सुनाया है। इस काण्ड के दो आतंकवादियों को वर्ष 2016 में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है जिसकी अपील हाईकोर्ट में विचाराधीन चल रही है।

बता दें कि राजगीर से चल कर नयी दिल्ली को जाने वाली श्रमजीवी एक्सप्रेस में लगभग आधा दर्जन आतंकवादियों ने पूरी योजना के साथ ट्रेन को बम से उड़ाने के लिए 28 जुलाई 2005 को सायंकाल लगभग पांच बजे के आसपास जौनपुर स्थित हरपालगंज रेलवे स्टेशन के पास हरिहरपुर रेलवे क्रासिंग पर जनरल कोच नम्बर 98466/1 में बम विस्फोट किया। इस विस्फोट में कुल 14 यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई थी और लगभग 62 यात्री गम्भीर रूप से घायल हो गए थे जिनका उपचार जौनपुर और आस पास के अस्पतालो में कराया गया था। श्रमजीवी काण्ड होते ही पूरे प्रशासन सहित देश और प्रदेश की सरकारो में हड़कंप मच गया था। घटना के समय देश के रेल मंत्री घटनास्थल पर पहुँच कर आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश जारी किया था।

बांग्लादेश में रची गयी थी साजिश

इस बम विस्फोट की घटना को लश्कर के आतंकी यहिया खां के नेतृत्व में 02 जुलाई 2005 को बांग्लादेश में रची गई थी और घटना को अंजाम देने का काम जौनपुर को चुना गया था। 27 जुलाई 2005 को यहिया और ओबैदुर्रहमान यूसुफपुर स्टेशन पर मिले इसके बाद पटना स्टेशन पर हिलाल उर्फ हिलालुद्दीन और आलमगीर रोनी ने ट्रेन के कोच में बम रखा था। जिसे जौनपुर आने पर हरपालगंज स्टेशन के पास हरिहर पुर रेलवे क्रॉसिंग पर ब्लास्ट कराया गया था।

सात आतंकवादियों पर दर्ज हुआ था मुकदमा

घटना के बाद जीआरपी पुलिस ने इस बम विस्फोट काण्ड के लिए सात आतंकवादियों को अभियुक्त बनाते हुए मुकदमा दर्ज किया था। जिसमें आलमगीर उर्फ रोनी, ओबैदुर्रहमान, हिलालुद्दीन उर्फ हिलाल, नफीकुल विश्वास, गुलाम पचदानी यहिया, कंचन उर्फ शरीफ, डा. सईद का नाम शामिल रहा। इसमें आतंकवादियों की तलाश में जुटी पुलिस आज तक डॉ सईद का पता नही लगा सकी। सईद को लापता रहने की दशा में विवेचनाधिकारी ने छह आतंकवादी आलमगीर, ओबैदुर्रहमान,हिलालुद्दीन, नफीकुल विश्वास, गुलाम पचदानी और कंचन उर्फ शरीफ के खिलाफ अभियोग पत्र न्यायालय भेजा था।

खबर है कि गुलाम पचदानी और कंचन पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे। शेष चार आतंकवादी जिसमें ओबैदुर्रहमान आलमगीर नफीकुल विश्वास हिलालुद्दीन को गिरफ्तार कर जेल में डाला गया। इस काण्ड का अन्तिम फैसला आज 03 जनवरी 2024 को आया जिसमें फांसी की सजा सुनाई गई है। बता दे कि वर्ष 2016 में 30 जुलाई को आलमगीर और 31 जुलाई को ओबैदुर्रहमान को फांसी की सजा अपर सत्र न्यायाधीश बुद्धिराम यादव ने फांसी की सजा सुनाया था। हालांकि अपर सत्र न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में आज भी विचाराधीन है। इस फैसले के समय आतंकवादी अभियुक्त हिलाल उर्फ हिलालुद्दीन और नफीकुल विश्वास दोनो आन्ध्र प्रदेश के चेरापल्ली जेल में एक दूसरी घटना के बाबत बन्द थे। न्यायाधीश ने दोनो की फाइल अलग करने के पश्चात आलमगीर और ओबैदुर्रहमान को लेकर फैसला दे दिया फांसी पर लटकाने का निर्णय दिया।

इसके बाद 2016 के बाद नफीकुल विश्वास और हिलालुद्दीन आन्ध्र प्रदेश के चेरापल्ली जेल से जौनपुर लाकर मुकदमें की सुनवाई शुरू हुई 2016 से लगभग सात साल बाद आज 03 जनवरी को सबूत सहादत को देखने के पश्चात फांसी की सजा सुनाई गई है साथ ही 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। इस फैसले के लिए कुल 44 गवाहो से बयान लेने के बाद दोनो आतंकवादियों को न्यायाधीश ने दोषी माना और विगत 22 दिसम्बर 23 को दोष सिद्ध होने का आदेश जारी कर दिया था।

फैसले की तिथि पहले 2 जनवरी 24 लगी थी लेकिन न्यायिक परिस्थितियों के चलते 03 जनवरी 24 की तिथि मुकर्रर हुई और सायंकाल चार बजे न्यायाधीश ने मृत्युदंड की सजा सुना दिया। इस मुकदमें में सरकारी अधिवक्ता के रूप में वीरेंद्र प्रताप मौर्य बहस करते हुए दोष सिद्ध कर रहे थे तो आतंकवादियों की तरफ से अधिवक्ता ताजुल हसन मुकदमें बहस किए थे। आतंकवादियों को सजा आने के कारण आज दीवानी न्यायालय परिसर पुलिस सुरक्षा व्यस्था के चलते छावनी बन गयी थी। कोर्ट के अन्दर पुलिस का कड़ा पहरा लगा हुआ था। अदालत खचाखच भरी थी। सजा सुनने के बाद आतंकी पूरी तरह से खामोश नजर आए।

श्रमजीवी काण्ड में मृतक अमरनाथ के भाई से बात करने पर उन्होने कहा अब जाकर आत्मा को शान्ति मिली है। उन्होने एक शिकायत जरूर किया कि घटना के समय रेल मंत्री ने जो घोषणाएं किये थे वह आज तक पूरी नही हो सकी है। फैसला आने में विलंब होने पर न्यायिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा किया है।साथ ही कहा कि जल्द से जल्द इन सभी आरोपियों को फांसी पर लटका देना चाहिए।

Shishumanjali kharwar

Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

Next Story