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Jhansi News: पंचनामा भरने के बावजूद नहीं किए शवों के पोस्टमार्टम, परिजनों ने मुर्दाघर के बाहर बिताई रात
Jhansi News: मेडिकल कॉलेज में सभी के कागजात भरने के बावजूद शवों का पोस्टमार्टम नहीं किया। इस कारण मृतक के परिजनों को मुर्दाघर के बाहर ही रात गुजारनी पड़ी है।
Jhansi News Today: रविवार को मेडिकल कॉलेज (Jhansi Medical college) में 9 शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था। सभी के कागजात तैयार हो चुके थे मगर पोस्टमार्टम करने वाली टीम ने इंतिहा ही कर दी। 9 शवों में से 6 शवों का पोस्टमार्टम किया गया लेकिन 3 शवों को बिना पोस्टमार्टम के छोड़कर वहां से चले गए। इस कारण मृतक के परिजनों को मुर्दाघर के बाहर ही रात गुजारनी पड़ी है। तीसरे दिन शव को पोस्टमार्टम किया गया।
कागजात जमा करने के बाद नहीं हुआ पोस्टमार्टम
मालूम हो कि मध्य प्रदेश के निवाड़ी के ग्राम घुघसी निवासी संतोष कुमार साहू बताते हैं कि शनिवार को उसका छोटा भाई महेश साहू बाइक से बेटा सुमित के साथ कोचिंग छोड़ने पृथ्वीपुर गया था। वापस आते ही वह लोग दुर्घटनाग्रस्त हो गए। दोनों को उपचार के लिए मेडिकल कालेज लाया गया। यहां डॉक्टरों ने महेश को मृत घोषित कर दिया। शनिवार की शाम को शव को पोस्टमार्टम कक्ष में रखवा दिया था। रविवार को अंतिम संस्कार होना था। इसलिए रिश्तेदार, आसपास गांव के लोग घर पहुंच गए। पंचनाम भरकर शाम चार बजे सभी कागजात पोस्टमार्टम हाउस में जमा करा दिए। शाम छह बजे डॉक्टर बोला कि शव का पोस्टमार्टम नहीं होगा। सोमवार दोपहर बाद शव का पोस्टमार्टम हो पाया।
डॉक्टरों में नहीं है मानवीयता
समथर थाना क्षेत्र में रहने वाली चांदनी के शव को पोस्टमार्टम कक्ष में रखवाया गया था। रविवार को दोपहर के समय पोस्टमार्टम के सभी काजगात पूरे हो गए थे। शव के साथ महिला कांस्टेबल अपनी दो साल की बेटी को लिए थे। शाम को पोस्टमार्टम नहीं किया गया। महिला कांस्टेबल ने दो साल की बच्ची को लेकर पोस्टमार्टम कर रहे डॉक्टरों से पोस्टमार्टम करने को कहा मगर उनके अंदर मानवीयता ही नहीं थी, अगर मानवीयता होती तो दो साल की बच्ची का चेहरा देखकर कर सकते थे मगर यहां डॉक्टरों ने तो इंतिहा कर दी है। सोमवार को महिला आरक्षी और परिजन फिर आए और शव को पोस्टमार्टम किया गया।
एसटीएफ जवान की पत्नी मुर्दाघर के बाहर रही रोती
जालौन के अमासी निवासी रामकुमार बघेल को 12 अक्तूबर को मेडिकल कालेज में भर्ती करवाया गया था। रविवार की तड़के रामकुमार बघेल की मौत हो गई। रविवार को दो बजे पोस्टमार्टम कक्ष में सभी कागजात जमा करवा दिए थे मगर पोस्टमार्टम नहीं किया गया। मृतक के भाई संतोष ने बताया कि उसका भाई छत्तीसगढ़ में एसटीएफ जवान के पद पर तैनात था। उसके भाई की पत्नी व मां के पोस्टमार्टम करवाना के लिए मुर्दाघर के बाहर रात गुजारनी पड़ी है।
रात को क्यों नहीं होता शव का पोस्टमार्टम
आपने कई बार सुना होगा कि किसी की दुर्घटना या संदेहास्पद मौत हो जाती है तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि आखिर क्या हुआ था। कई बार पुलिस को भी बड़े बड़े केस सुलझाने में पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अहम रोल होता है। शव के परीक्षण करने का मतलब व्यक्ति की मौत के सही कारणों का पता लगाने के लिए किया जाता है। लेकिन हर किसी के मन में एक सवाल होता है कि आखिरकार रात को शव का पोस्टमार्टम क्यों नहीं किया जाता है। हर कोई यह जानना चाहता है कि रात को एेसा क्या होता है कि जिसके कारण पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है। इसके बारे में बहुत कल लोग ही जानते हैं।
मृतक के सगे संबंधियों की सहमति जरुरी
आपको बता दें कि पोस्टमार्टम एक विशिष्ट प्रकार की शल्य प्रक्रिया यानी ऑपरेशन होता है, जिसमें शव का परीक्षण किया जाता है। शव के परीक्षण करने का मतलब व्यक्ति की मौत के सही कारणों का पता चलता है। पोस्टमार्टम करने से पहले मृतक के सगे संबंधियों की सहमति प्राप्त करना जरुरी होता है। व्यक्ति की मौत के बाद 6 से 10 घंटे के अंदर ही पोस्टमार्टम किया जाता है।
ये है असली वजह
एक रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टरों के रात में पोस्टमार्टम न करने की असली वजह रोशनी होता है। राते के समय ट्यूबलाइट या एलईडी की कृतिम रोशनी में चोट का रंग लाल की बजाए बैगनी नजर आते है। इसलिए फोरेंसिक साइंस में बैगनी चोट होने का उल्लेख नहीं है। कृत्रिम रोशनी में चोट के रंग अलग दिखने से पोस्टमार्टम रिपोर्ट को अदालत में चुनौती दी जा सकती है। फोरेंसिंक साइंस में पढ़ाई में यह बात छात्रों को सिखाई जाती है।
धार्मिक मान्यता
रात में पोस्टमार्टम नहीं कराने के पीछे एक धार्मिक कारण भी बताया जाता है। चूंकि कई धर्मों में रात को अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है। इसलिए कई लोग मृतक का पोस्टमार्टम रात को नहीं करवाते हैं। यही कारण है कि शवों को पोस्टमार्टम करने का समय सूर्योदय से लेकर सूर्योस्त तक का ही होता है।