Jhansi News: इमरजेंसी से पोस्टमार्टम तक शव ले जाने की लगती हैं फीस, 500 रुपए दो, तभी शव पहुंचेगा पोस्टमार्टम कक्ष

Jhansi News: मेडिकल कालेज के इमरजेंसी से पोस्टमार्टम तक शव को ले जाने में मृतक के लिए परिजनों से 500 रुपए मांगे। फीस न देने पर शव को इमरजेंसी में डालकर स्टॉफ के लोग रफू चक्कर हो जाते हैं।

B.K Kushwaha
Published on: 10 Jan 2023 3:33 PM GMT
Jhansi News In Hindi
X

 मौत: Photo- Social Media

Jhansi News: कहते हैं जिसका मरता, करता क्या नहीं। कुछ ऐसा ही योगी सरकार में इन दिनों मेडिकल कालेज में नजर आ रहा है। जहां आरोप है कि मेडिकल कालेज के इमरजेंसी से पोस्टमार्टम तक शव को ले जाने में मृतक के परिजनों ने 500 रुपए मांगे जाते हैं। यही नहीं, फीस न देने पर शव को इमरजेंसी में डालकर स्टॉफ के लोग रफू चक्कर हो जाते हैं। यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले दर्जनों मामले आ चुके हैं मगर मलबा और प्रशासनिक अफसरों ने पूरी तरह से चुप्पी साद रखी है।

मेडिकल कालेज में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इसकी जानकारी शव ले जाने वाले कर्मचारी को दी गई। नाम न छापने की शर्त पर लोगों ने बताया है कि घर के सदस्य की मेडिकल कालेज में मौत हो गई थी। मृतक की मौत होने के बाद जब उसका शव पोस्टमार्टम घर लाया गया तो उनसे यहां तक लाने के लिए पांच सौ रुपयों की मांग की। उन्होंने कहा कि यह तो सरकारी काम है, पैसा किस बात का। इसी बात को लेकर शव ले जाने वाले व्यक्ति ने उन लोगों से विवाद करना शुरु कर दिया।

पांच सौ रुपये न देने पर नहीं होगा पोस्टमार्टम

शव ले जाने वाले ने कहा है कि अगर पांच सौ रुपया नहीं देंगे तो शव का पोस्टमार्टम किसी भी हालात में नहीं होगा। उस व्यक्ति का कहना है कि यह धंधा कई सालों से चल रहा हैं। इस धंधे को कोई रोकने वाला नहीं है। उनको भी पैसा देना पड़ता है, तब कहीं जाकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं। लोगों का कहना है कि मजबूर होकर उन्होंने पांच रुपया दे दिया। इसके बाद शव को पोस्टमार्टम घर लाया गया। इसी तरह एबुलेंस से शव ले जाने वाले व्यक्ति के फिक्स हैं। मनमाफिक तरीके से शव ले जाने का पैसा मांगा जाता है। इसकी शिकायत लोगों ने कमिश्नर से लेकर डीएम से की है मगर किसी ने ध्यान नहीं दिया है। उनका कहना है कि इसके पहले भी पैसों को लेकर कइयों बार विवाद हो चुका हैं मगर गरीब की कौन सुनता है।

हम तो गुंडई करेंगे, कोविड लेव को तोड़ा, मूकदर्शक बने रहे स्टॉफ के लोग

मेडिकल कालेज में प्राईवेट एम्बुलेंस चालक की बड़ी लापरवाही देखने को मिली। एम्बलेंस चालक ने लापरवाही से चलाते हुए कोविड लेव में जोरदार टक्कर मार दी। जिससे लेव की शटर क्षतिग्रस्त हुई। गनीमत रही कि इस दौरान कोई राहगीर नहीं था। यदि होता तो बड़ा हादसा हो सकता था। चालक का कहना है कि हम तो गुंडई करते क्योंकि सुविधा शुल्क देना पड़ता है। अभी तो कोविड लेव को तोड़ा, जाने अब क्या तोंड़ेंगे।

मेडिकल कालेज परिसर में इन दिनों प्राइवेट एम्बुलेंसों को बोल-बोला

मालूम हो कि मेडिकल कालेज परिसर में इन दिनों प्राइवेट एम्बुलेंसों को बोल-बोला है। इसका उदाहरण उस समय नजर आया जब विगत रात्रि में एक प्राईवेट एम्बुलेंस चालक ने लापरवाही से चलाते हुए मेडिकल कालेज परिसर में बनी कोविड-19 की टेस्टिंग लेव में जोरदार टक्कर मार दी। जिससे वहां हड़कम्प मच गया। टक्कर इतनी जोरदार थी कि लेव की शटर और गेट क्षतिगस्त हो गया। गनीमत रहीं कि हादसे के दौरान वहां कोई भी मौजूद नहीं था। चर्चा है कि समझौता हो जाने के कारण लापरवाह एम्बुलेंस चालक और संचालक की दंबगई के कारण कोई कार्यवाही नहीं कराई गई। स्टॉफ का कहना है कि शराब के नशे में चालक गाड़ी को अनियंत्रित होकर चलाते हैं। चालक ने कोविड लेव ही तोड़ी है। इसके पहले मरीज व राहगीरों को टक्कर मार चुके हैं। इसकी सूचना पुलिस को दी जाती हैं मगर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।

आंखों में आंसू लिए पिता पहुंचा डीएम कार्यालय, बोला-बेटे की बचा लो जान

आंखों में आंसू लेकर एक पिता जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा। जहां उसने आपबीती सुनाते हुए बेटे की जान बचाने की गुहार लगाई है। निवाड़ी के ढिमरपुरा निवासी मनोहर लाल रायक्वार ने डीएम कार्यालय में लिखित शिकायत करते हुए उसने बताया कि उसके बेटे को ब्रेन टयूमर हो गया है। जिसका इलाज मेदांता दिल्ली में चल रहा था। 19 अक्टूबर को जब वह झांसी आया था तो डॉ. नीरज खेड़ा ने उसके लड़के के इलाज के लिए वार्ता की और झांसी में ही बेहतर इलाज कराने वादा किया था। वह अपने बेटे की मेदांता से छुट्टी कराकर झांसी ले आए। जहां उन्हें सुशीला अस्पताल में भर्ती करा दिया। यहां उसके बेटे का इलाज नहीं किया जा रहा है। बल्कि उसे अतिरिक्त रुपयों की मांग की जा रही है। बेटे की जान बचाने के लिए पिता ने झांसी जिलाधिकारी से आपबीती सुनाते हुए मदद की गुहार लगाई।

शौच के लिए गए रेलकर्मी की शौचालय में मौत

प्रेमनगर थाना क्षेत्र में शौच के लिए गए रेलकर्मी की शौचालय में अचानक मौत हो गई। पुलिस ने शव का कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम को भेज दिया। प्रेमनगर थाना क्षेत्र के कृष्णा नगर कालौनी में रहने वाला शेखर मिश्रा रेलवे के इले. विभाग में हेल्पर के पर कार्यरत था। पिता प्रदीप मिश्र के अनुसर लगभग दो माह पहले शेखर मिश्रा को पीलिया हो गया था। उसे उपचार के लिए रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां जनवरी के प्रथम सप्ताह में हालत में सुधार होने पर उसकी छुट्टी कर दी गइ थी। घर आने के बाद वह ड्यूटी पर भी गया।

लेकिन विगत सुबह उसके पेट में अचानक दर्द होने लगा। उसकी पत्नी ने उससे डॉक्टर के पास जाने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं आया। शाम को वह शौच के लिए शौचालय गया हुआ था जहां से लौटकर नहीं आया। शक होने पर पत्नी जब शौचालय के कमरे के पास पहुंची और आवाज लगाई लेकिन कोई जवाब नहीं आया। जब दरवाजा खोला वह बेहोशी हालत में पड़ा था। आनन-फानन में उसे डॉक्टर के पास लाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव को कब्जे में लिया और पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

ऊंचाई से गिरा राजमिस्त्री, हुई मौत

कोतवाली थाना क्षेत्र के भांडेरी गेट निवासी कैलाश कुशवाहा राजमिस्त्री था। परिजनों के मुताबिक वह ठेकेदार गंगाराम के साथ काम करता था। वर्तमान में वह कमल साहू के मकान में काम करने गए थे। जहां वह ऊंचाई पर प्लास्टर कर रहे थे। इसी दौरान अचानक वह गिर गए। जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई। आनन-फानन में उसे उपचार के लिए मेडिकल कालेज लाया गया। जहां मकान मालिक और ठेकेदार भर्ती कराकर भाग गए। यहां उपचार के दौरान कैलाश की मौत हो गई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम को भेज दिया।

Deepak Kumar

Deepak Kumar

Next Story