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Jhansi News: एक बाबू के कहने पर चलता है बुविवि का कुलपति कार्यालय?

Jhansi Latest News In Hindi: बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में कुलपति कार्यालय के एक कर्मचारी पर धन उगाही का आरोप लगा है।

Bishwajeet Kumar
Published By Bishwajeet KumarWritten By B.K Kushwaha
Published on: 8 Feb 2022 1:56 PM GMT
Jhansi News: एक बाबू के कहने पर चलता है बुविवि का कुलपति कार्यालय?
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बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय (फाइल तस्वीर)

Jhansi Latest News In Hindi: बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय (Bundelkhand University) के कुलपति कार्यालय में कार्यरत एक कर्मचारी ने उच्च अधिकारियों से सांठ-गांठ कर करोड़ों की सम्पत्ति एकत्रित कर ली है। यह कर्मचारी विद्यार्थियों के साथ गलत व्यवहार, उनका शोषण, भ्रष्टाचार एवं अन्य कई अनैतिक कार्यो में लिप्त है। यह वर्ष 2001 से विश्वविद्यालय में कार्यरत है। इसकी नियुक्ति सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के लाईब्रेरी विभाग में हुई थी। तत्कालीन विभाग प्रमुख के साथ मिलकर, छात्र-छात्राओं को विभाग में संचालित पाठ्यक्रमों एवं पीएचडी जैसे पाठ्यक्रमों में पास एवं प्रथम श्रेणी दिलाने के नाम पर इसने बड़ी मात्रा में धन की उगाही की थी।

उस समय इस कर्मचारी की एक शिकायत भी हुई थी। जो कि आज भी विश्वविद्यालय में कुलपति कार्यालय में पदस्थ उसके खास दोस्त के पास सुरक्षित है। जिन्होंने न सिर्फ इस कर्मचारी की शिकायत को दबाया, कार्यवाही को रोका बल्कि उक्त कर्मचारी को उच्चीकृत कराते हुए उक्त विभाग से ट्रांसफर कराके प्रति कुलपति कार्यालय में सम्बद्ध भी कराया। उधर, इस संबंध में बुविवि के कुलसचिव से वार्ता करने का प्रयास किया लेकिन, उन्होंने मोबाइल फोन उठाया ही नहीं है। साथ ही जवाब भी नहीं दिया है।

कइयों का नहीं किया गया जलपान व भोजन का भुगतान?

यह कर्मचारी प्रति कुलपति कार्यालय में वर्ष 2004 में तैनात हुआ था। उस समय प्रति कुलपति हुआ करते थे। इस कर्मचारी ने इनसे भी सांठ-गांठ कर ली । कुलपति के पास जो भी फाइलें जाती थीं वो पहले प्रतिकुलपति के यहां से पास होती थीं। विश्वविद्यालय में खरीद फरोख्त से संबंधित मुख्य फाइलों में इसने तत्कालीन प्रतिकुलपति के संरक्षण में बहुत कमाई की। फाइलों पर प्रतिकुलपति के साइन होने पर कुलपति उन पर भरोसा कर फाइलों को सही तरीके से न देखते हुये साइन कर दिया करते थे। जिससे सौदा की हुई फाइल आराम से पास हो जाया करती थी।

इसके उन्हीं के खास दोस्त के द्वारा विश्वविद्यालय में आयोजित बैठकों में जलपान एवं भोजन आदि की व्यवस्था का कार्य इसे दिलवाया गया था। जिसमें ये बड़ी संख्या में गडबड़ी करता चला आ रहा है। किसी भी सभा में 20 से 25 सदस्य होते थे लेकिन बिलों के भुगतान पर नजर डाली जाये तो पता चलेगा कि 20 के स्थान पर कितने गुने लोगो का भुगतान प्राप्त किया गया है।

कमरे में बुलाकर फेल छात्रों का करवाता हैं पास

बताते हैं कि वर्ष 2009 में डा0 पंकज अत्रि ने प्रतिकुलपति का पदभार ग्रहण किया जिसका कार्यकाल लगभग 06 वर्ष तक रहा। इस कर्मचारी की उनके रहते बिल्कुल नहीं चली क्योकिं डॉ. अत्रि एक बहुत ही ईमानदार और साफ छवि के व्यक्ति हैं जिन्होंने कभी किसी गलत काम से समझौता नहीं किया। जब इस कर्मचारी की दो नंबर की कमाई में अड़चन आई तो फिर उसके खास दोस्त द्वारा इसको छात्र-छात्राओं की शिकायतों का निस्तारण करवाने का कार्य दिलवा दिया गया। जिसमें कर्मचारी द्वारा छात्रों के नम्बर बढ़वाने का खेल किया गया। इसके लिये उक्त कर्मचारी, शिक्षकों को अपने कक्ष में बुलाते थे और अपने संबंध की ताकत से उनसे फेल छात्रों को पास करवाते थे। इस कार्य में छात्रों से मोटी रकम बसूली जाती थी।

गोपनीय जांच के बाद हकीकत आएगी सामने

इस कर्मचारी द्वारा जितने भी छात्रों को पास करवाया गया उन सभी छात्रों की कापियों की जांच यदि उच्च अधिकारियों से करवा दी जाए तो सब कुछ सामने आ जायेगा और यदि उन शिक्षकों पर दबाव बनाकर गोपनीय तरीके से या पुलिस द्वारा पूंछताछ की जाये तो वह भी हकीकत से अवगत करा सकते है कि उनको इन छात्रों के नम्बर बढाने के लिये किसके द्वारा कहा जाता था। यह सारा खेल इसके खास दोस्त की देखरेख में फल फूल रहा था क्योकिं वो श्री खरे पर आंख बन्द करके विश्वास करता है।

गलत तरीके से भाई की लगवाई है नौकरी?

यह कर्मचारी प्रभारी महिला शिक्षिका को भी गुमराह करने में सफल रहा क्योंकि यह महिला भी इस कर्मचारी पर पूरा विश्वास करती रहीं जबकि इस पूरे खेल में विश्वविद्यालय के दो कर्मचारियों को उच्च अधिकारियों द्वारा बर्खास्त किया जा चुका है। इस कर्मचारी ने अपने भाई की नौकरी भी अपने खास दोस्त की सहायता से विश्वविद्यालय में गलत तरीके से लगवायी है। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय में अतिथि प्रवक्ताओं को बड़ी मात्रा में धन उगाही करके तमाम लोगों को नियुक्त कराया गया। इस व्यक्ति को इसके खास दोस्त की सहायता से सितम्बर 2019 से कुलपति कार्यालय में तैनात करा दिया गया। यहां भी यह किसी को भी चूना लगाने से यह बाज नहीं आ रहा है।

कुलपति के नाम पर हो रही हैं धन उगाही?

विश्वविद्यालय की गाडियों में डीजल भरवाना हो या कोई अन्य कार्य,सभी में इसका कमीशन तय रहता है। इनकी अपनी गाड़ियों में पेट्रोल विश्वविद्यालय के बिलों में समायोजित कराया जाता है। इसके अलावा विश्वविद्यालय की अनेकों फाइलों पर बड़ी मात्रा में कुलपति के नाम पर धन की उगाही करना, महाविद्यालयों की फाइलों पर अपने चहेते शिक्षकों को पैनल में लगवाना, महाविद्यालयों के प्रबन्धको से धन प्राप्त करना, महाविद्यालयों में पर्यवेक्षक नियुक्त कराने के एवज में धन बसूली करना आदि इसके काले कारनामों की सूची में शामिल हैं।

गलत तरीके से पाई है पीएचडी की डिग्री?

इस कर्मचारी ने विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारियों एवं अन्य बाहरी शिक्षकों को गुमराह करते हुये विश्वविद्यालय के सबसे भ्रष्ट शिक्षक प्रो. के निर्देशन में गलत तरीके से पीएचडी. की डिग्री प्राप्त की। जबकि यूजीसी के मानक के अनुसार विश्वविद्यालय में तैनात शिक्षक/कर्मचारी को पीएचडी करने के लिये अवकाश लेना अनिवार्य है। (जैसा गुरु वैसा शिष्य) अगर इस कर्मचारी की पीएचडी. की जांच हो जाये तो यह कर्मचारी उसका एबीसी भी नहीं बता पाएगा।

तमाम आरोपों के बाद भी कुलपति कार्यालय में बैठक कर रहा है नौकरी

अब यह आदमी इतनी धांधलियों और भ्रष्ट्राचार में लिप्त होने के बावजूद, तमाम शिकायतों के बावजूद यहां तक कि राजभवन से जांच के आदेश के बावजूद, अपने मित्र की सहायता से कुलपति कार्यालय में बैठकर सुरक्षित नौकरी कर रहा है। किसी में उसके खिलाफ कार्यवाही तो दूर जांच निष्पक्ष हो सके इसके लिए उसका स्थानांतरण तक करने की हिम्मत नहीं है।

क्योंकि उसका संरक्षण कुलपति कार्यालय में बैठा उसका परमभक्त अंधा मित्र और उसके भ्रष्ट गुरु कर रहे हैं जो कुलपति तक कोई बात पहुंचने ही नहीं देते और धोखे से पहुंच जाए तो या तो शिकायतकर्ता को झूठा बताकर या जांच समिति बनाकर बेगुनाह साबित कर बचा ले जाते हैं। इससे कुलपति की नजर में उनके नंबर भी बढ़ते है और मित्र पर आंच भी नहीं आती। कोई भी व्यक्ति ऐसा मित्र और गुरु पाकर धन्य हो जाए।

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