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Jhansi news: मां-बाप जेल गए, बच्चों को सुनने पड़ते हैं ताने, नसीब वालों को मिलते हैं रिश्तेदार
Jhansi: जेल में बंद मां बाप के साये से दूर कुछ बच्चे जिंदगी गुजार रहे हैं और ताने सुनने को मजबूर हैं।
Jhansi News: जिन लोगों ने अभिताभ बच्चन की ब्लाक बस्टर फिल्म दीवार देखी होगी तो उसका एक सीन लोगों को हिला कर रख देता है। जब बचपन में अभिताभ बच्चन के हाथ में लिख दिया जाता है मेरा बाप चोर है। अब यह सीन व फिल्मों में और न ही हकीकत में दिखता है। अब इस सीन का अंदाज बदल गया है। अब मासूम बच्चों के माथे पर कलंक की तरह लिखा जा रहा है कि मेरे मां बाप कातिल है। जी हां, कत्ल के कई मामलों में मां-बाप को जेल जाना पड़ा या किसी मामले में मां कातिल बनकर जेल चली गई और बच्चों को इस निर्दयी दुनिया में ताने सुनने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इन बच्चों को अपने साथियों और समाज से तानों के रुप में सुनना पड़ रहा है कि तेरी मां अपराधी है।
जेल में बंद 40 से अधिक महिलाओं के बच्चे ताने भरी जिंदगी से हो रहे दो-चार
जेल की महिला बैरक में बंद 40 से अधिक महिलाओं में से अधिकांश महिलाओं के बच्चे इसी ताने भरी जिंदगी से दो चार हो रहे हैं। झाँसी के जिला कारागार में इस वक्त 40 से अधिक महिलायें विभिन्न अपराधों में बंद है जिन महिलाओं के बच्चे पांच साल से छोटे हैं उनको तो बच्चों को जेल में रखने का अधिकार है लेकिन जिनके बच्चे बड़े हैं वो बाहर रहकर अपने मां बाप के कर्मों का फल भुगत रहे हैं।
अगर दहेज उत्पीड़न का मामला छोड़ दिया जाए, जिसमें अधिकांश नामजदगी फर्जी होती है। इसके अलावा कत्ल, चोरी, अपहरण आदि मामलों में बंद मां बाप अपने पीछे बच्चों के भविष्य को बर्बाद करके जेल जा रहे हैं। गरौठा थाना क्षेत्र में रहने वाले रविन्द्र की पत्नी प्रियंका ने अपने चचिया ससुर का कत्ल कर दिया है। प्रियंका का एक साल का बेटा यश साथ में जेल में है।
इसी तरह बरुआसागर थाना क्षेत्र में रहने वाले करन सिंह की पत्नी रामश्री भी दहेज हत्या के मामले में निरुद्ध है। रामश्री पर देवरानी को मार डालने का आरोप लगाया गया था। इस महिला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस समय जेल में निरुद्ध है। इस महिला की तीन साल के बेटा अभिमान है। वह अपनी मां के साथ जेल में हैं।
वहीं, मकान मालिक के घर से चोरी करने के आरोप में सीपरी बाजार निवासी दीपा भी जेल में निरुद्ध है। वह भी एक बच्चे की मां है। बच्चे दिशा की उम्र दो साल हैं। वह बच्चा अपनी मां के साथ जेल में रहता हैं। उसने अभी घर की दुनिया ही नहीं देखी है। इसके अलावा अन्य महिलाओं के बच्चे घर पर है लेकिन घर के लोग उनसे चिढ़ते रहते हैं।
कुछ बच्चे मां बाप के साये से दूर ताने सुनने को मजबूर
ऐसे में बच्चों की परवरिश की बात आई। कुछ बच्चे मां बाप के साये से दूर जिंदगी गुजार रहे हैं और ताने सुनने को मजबूर हैं। सभ्य समाज से कटी, चहारदीवारी में अपराधियों को कैद रखने के लिए बने जेल में रहने वाले मासूम बच्चे ना जाने कौन सी किस्मत लेकर आए। किसी के बाप का कत्ल हो गया। इल्जाम मां पर आ गया। मां अपनी करनी की सजा भुगतने के लिए सलाखों के पीछे धकेल दी गई। जी नहीं, कत्ल एक फैमली का हुआ है। कत्ल इन मासूमों के बचपन का हुआ है. इनकी आजादी का हुआ। इनके कल का हुआ है। इसका जबाव कौन देगा, वक्त बताएगा।