Jhansi: टूल हड़ताल पर रेलवे बोर्ड गंभीर, कई कर्मियों पर गिर सकती है गाज

Jhansi: रेलवे बोर्ड और प्रयागराज मुख्यालय टूल हड़ताल मामले में काफी गंभीर है। रेलवे वर्कशॉप में होने वाले कामों के बारे में रोजाना फीडबैक लिया जा रहा है। अब तक इस मामले में चार रेल कर्मचारियों को निलंबित किया जा चुका है।

B.K Kushwaha
Published on: 8 Jun 2022 5:56 PM GMT
Jhansi News
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टूल हड़ताल पर रेलवे बोर्ड गंभीर। (Social Media)

Jhansi: बिना अनुमति के टूल हड़ताल करना अब रेल कर्मचारियों को महंगा पड़ना शुरू हो गया, क्योंकि रेलवे बोर्ड (Railways Board) और प्रयागराज मुख्यालय (Prayagraj Headquarters) उक्त मामले में काफी गंभीर है। रेलवे वर्कशॉप (Railway Workshop) में होने वाले कामों के बारे में रोजाना फीडबैक लिया जा रहा है। अब तक इस मामले में चार रेल कर्मचारियों को निलंबित किया जा चुका है। शेष कर्मचारियों की गोपनीय स्तर से जांच की जा रही हैं। ऐसे कर्मियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।

एक जून को रेलवे वर्कशॉप (Railway Workshop) के कर्मचारियों ने अपनी मांगों पर कारखाना प्रशासन द्वारा ध्यान न दिए जाने के विरोध में टूल डाउन हड़ताल कर दी थी। इसी दिन एक सीनियर सेक्शन इंजीनियर को आंदोलित कर्मचारियों ने पिटाई कर दी थी। इतना ही नहीं कारखाना के आलाधिकारी की अर्थी निकालकर पुतला भी फूंका था।

इस दौरान वार्ता हुई लेकिन रेल अधिकारियों के अड़ियल रुख के चलते वार्ता बेनतीजा रही। इस मामले में शाखा एक के पदाधिकारी सीनियर टेक्नीशियन बीके साहू को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया गया। इस मामले को रेलवे बोर्ड ने काफी गंभीरता से लिया है। इसी तरह रेलवे के प्रयागराज मुख्यालय ने भी गंभीरता दिखाई थी। तत्काल दो सदस्यीय टीम रेलवे वर्कशॉप पहुंची और रेलवे को दोनों मान्यता प्राप्त संगठनों से वार्तालाप की। वार्तालाप में तमाम बिन्दुओं को लेकर चर्चा की गई थी। हालांकि 60 घंटे के बाद ही रेलवे वर्कशाप में काम शुरु हो गया था। इस हड़ताल से रेलवे को एक करोड़ से अधिक का राजस्व नुकसान हुआ है।

बायोमेटिक प्रथा लागू होने से दबंगई करने वाले कर्मी थे नाराज?

रेलवे, अन्य विभागों में बायोमेटिक प्रथा लागू हो गई है मगर वर्कशॉप में यह प्रथा लागू नहीं की गई थी। मई माह में रेलवे वर्कशॉप में बायोमेटिक प्रथा लागू की गई। यह प्रथा लागू होने से घर पर ऐश करने वाले रेलकर्मियों को गलत लग रही थी। इनमें चुनिंदा लोग ऐसे हैं जिनकी वर्कशॉप में दबंगई चलती हैं। दबंगई के चलते इन लोगों का रेलवे वर्कशाप (Railway Workshop) के एसएसई पर दवाब बनाकर नौकरी कर रहे हैं। बताते हैं कि मुख्य कारखाना प्रबंधक आर डी मौर्या (Chief Factory Manager RD Maurya) द्वारा लागू की गई बायोमेटिक प्रथा से दलाली करने वाले चुनिंदा कर्मचारी नाराज थे। इनमें संगठन के लोग शामिल नहीं है।

घर पर बैठकर करते थे नौकरी?

बताते हैं कि जब से बायोमेटिक प्रथा लागू (apply biometic practices) हुई तो उन कर्मचारियों की नींद हराम हो गई हैं। इसके पहले यह लोग घर से फोऱमैन को फोन करके अपनी उपस्थित दर्जा करवाते थे। फोरमैन पर दवाब भी बनाते थे, अगर उपस्थित दर्ज नहीं की तो गेट के बाहर देख लेंगे मगर इस समय रेलवे वर्कशॉप का प्रशासन एेसे लोगों पर नजर रखे हुए हैं।

इंसेटिव बोनस की मांग भी जरुरी थी?

टूल हड़ताल (tool strike) करने के पहले किसी प्रकार की मांग होती है तो उसके पहले प्रशासन को नोटिस दिया जाता है। नोटिस के बाद अगर प्रशासन अपनी मांग नहीं मानता है तो हड़ताल करने का नोटिस चस्पा किया जाता है। इसके बाद हड़ताल की जा सकती हैं। इसके पहले सन 1973 में रेलवे वर्कशॉप में हड़ताल की गई थी। इस हड़ताल में भी रेलवे के संगठन शामिल नहीं हुए थे। सूत्रों का कहना है कि रेलवे वर्कशॉप के अधिकांश कर्मचारियों को पहले इंसेटिव बोनस मिल जाता था। इससे उसके बच्चों की पढ़ाई भी अच्छी हो जाती थी मगर जब से इंसेटिव बोनस नहीं मिला है तो आर्थिक नुकसान तो ही रहा है। इसी बात को लेकर रेल कर्मचारियों के परिवार में आए दिन झगड़ा होता रहता है।

आखिर कौन थे नकाबपोश रेलकर्मी?

रेलवे वर्कशॉप (Railway Workshop) की टूल हड़ताल (tool strike) को रेलवे बोर्ड (railways board) ने गंभीरता से लिया है। इसी के मद्देनजर रेलवे वर्कशॉप (Railway Workshop) के प्रशासन ने सनी बागबाज, रजक मौर्या, बृजकिशोर साहू और मुकेश कुमार को अब तक निलंबित किया जा चुका हैं। इनमें बृजकिशोर साहू एक संगठन का नेता भी है। जबकि तीन रेल कर्मचारी ऐसे हैं जिनकी पूर्व से गोपनीय स्तर से जांच चल रही हैं। इन तीनों रेल कर्मचारियों के नाम मुख्यालय भेजे गए हैं। इसके अलावा नकाबपोश पहने कर्मियों की पहचान भी जा रही है। इन पर भी कार्रवाई होना तय हैं।

Deepak Kumar

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