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Jhansi: पश्चिम रेलवे में आवासों की हालात काफी जर्जर, रेलकर्मियों के परिजन दहशत में

Jhansi News In Hindi: पश्चिम रेलवे में आवासों का हालात जर्जर, आवासों में पुताई एवं पेंट का काम पूरा किये बगैर इंजीनियरिंग विभाग ने एमएनएलआर वर्कशॉप के कर्मियों को 35 आवास आवंटित कर दिए।

Bishwajeet Kumar
Published By Bishwajeet KumarWritten By B.K Kushwaha
Published on: 5 Feb 2022 1:07 PM GMT
Jhansi: पश्चिम रेलवे में आवासों की हालात काफी जर्जर, रेलकर्मियों के परिजन दहशत में
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पश्चिम रेलवे में आवासों की तस्वीर

Jhansi News In Hindi: निर्धारित किराया देने के बावजूद रेलवे अपने कर्मचारियों को बेहतर आवास देने में नाकाम साबित हो रही है। दो साल पहले बनाई गई पश्चिम रेलवे (Western Railway) आवासीय कॉलोनी जर्जर होती नजर आ रही है। कहीं आवासों के अंदर की दीवारें टूटी पड़ी है तो कहीं शौचालय में दरवाजे नहीं है तो कहीं बाथरुम में नल गायब है। मकानों में बारिश के दौरान ज्यादा सीलन और लीकेज आता है कि रेल कर्मियों को कमरे खाली पड़ना पड़ जाता है। आवासों के हालात इतने खराब है कि यहां मवेशी भी नहीं रह सकते है, लेकिन मजबूरी में रेलकर्मी नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।

दो या तीन साल पहले दीनदयाल रोड स्थित पश्चिम रेलवे आवासीय कॉलोनी बनाई गई थी। इनमें आवासों की संख्या 40 है। यह आवास रेलवे वर्कशाप (Railway Workshop) और एमएनएलआर वर्कशॉप के कर्मचारियों के लिए बनाए गए थे। यह आवास रेलवे के निर्माण विभाग द्वारा बनवाए गए थे। छह माह पहले 40 आवासों में से 35 आवास एमएनएलआर वर्कशॉप के कर्मियों को आवंटित कर दिए।

बिना निरीक्षण के एसएसई ने अपने हवाले कर ली आवासों की सूची?

बताते हैं कि निर्माण विभाग ने उक्त आवासों का काम किया था। आवास पूरी होने के बाद इसकी सूची इंजीनियरिंग विभाग को सौंपी जाती है। निर्माण विभाग ने 40 आवासों की सूची इंजीनियरिंग विभाग के एसएसई को सौंप दी थी। इस सूची को एसएसई ने अपने हवाले कर दी थी मगर एसएसई को समय नहीं मिला को सूची लेने के पहले आवासों को चेक किया जाए। यह आवास ठीक बने हैं या नहीं। एसएसई के पास इतना भी नहीं मिला कि वह कॉलोनी में जाकर अपनी टीम के साथ आवासों की हालात को देख सके। बाद में उसी सूची के आधार पर 40 में से 35 आवास आवंटित कर दिए गए।

बिना चाबियों के हवाले कर दिए आवास

बताते हैं कि निर्माण विभाग ने जब आवासों की सूची एसएसई के हवाले की तो एसएसई ने आवासों की चाबियां तक नहीं मांगी। जब आवास आवंटित किए गए तो रेल कर्मचारी आवास में गए तो चाबियां आवासों के अंदर ही मिल गई थी। इससे प्रतीत होता है कि घोर लापरवाही बरती गई है। एसएसई ने बिल्कुल ध्यान ही नहीं दिया। आवास के हालात क्या है?।

यह हालात है आवासों के

32 कर्मचारियों को दीनदयाल रोड स्थित पश्चिमक रेलवे आवासीय कॉलोनी में आर बी-2 एवं आर बी-3 रेल आवास आवंटित किए गए है जो कि प्रथम दृष्टया रहने योग्य नहीं है। इन आवासों के प्रवेश किया गया तो एक आवास में आवासों में की चाबियां पाई गई। जिनकी सहायता से आवासों को खोलकर देखा जा सका। कॉलोनी में स्थित कई आवासों के द्वारा को खुला पाया गया एवं कई के गेट टूट पाये गए। कॉलोनी के मार्गों के दोनों और अत्याधिक झाड़ियां लगी हुई है। मार्ग पर चलना ठीक नहीं है। आवासों के फेंसिंग गेट पर न तो पेंट किया गया। आवासों के अंदर दीवार टूटी हुई है। कई स्थानों पर सीमेंट पड़ी है। सभी आवासों में पुताई व पेंट तक नहीं किया गया। कालोनी में स्थित हैंडपंप में पानी की निकासी नहीं है। आवासों में कई स्थानों पर मीटर उखड़े पड़े हैं। कई स्थानों पर वायरिंग नहीं है। यही नहीं, कई आवासों में वायरिंग का काम पूरा नहीं किया गया है।

इन्हें मिलते हैं आवास

रेल अधिकारियों के अनुसार रेलवे कॉलोनियों में आरबी 1 से लेकर आरबी-2 रैंक के आवास होते हैं। इनमें 1800 ग्रेड वाले कर्मचारियों को आरबी-1, 1900-2800 पे पर आरबी-2 आवास मिलते हैं। खास बात यह है कि अफसरों के बंगलों में नियमित मरम्मत और साजो- सामान की सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं, ये बंगले चमचमाते रहते हैं, लेकिन छोटे कर्मचारियों के आवासों की हालात बहुत ज्यादा खराब है, यहां तबेले जैसा माहौल रहता है।

किराए में करोड़ों की कमाई

रेलवे स्क्वायर फीट के हिसाब से आरबी-1 में 150 रुपये एवं आरबी सेंकड पर 219 रुपये इस तरह किराया तो लेती हैं, लेकिन जर्जर आवासों में सुधार नहीं कराती है।

Bishwajeet Kumar

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