Jhansi News: झाँसी महोत्सव- झूले में लापरवाही का खेल, बिना फिटनेस के आईटीआई ने दे दी एनओसी?

Jhansi News: झूलों के संचालन के लिए आयोजक को शासन के एक और नियम का पालन करना होता है। जिसमें मेले व महोत्सव की अवधि में सभी झूलों में बैठने वाले प्रत्येक व्यक्ति की बीमा कराया जाता है।

B.K Kushwaha
Published on: 13 Jan 2023 4:00 PM GMT
Jhansi Festival Negligence game in swing
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Jhansi Festival Negligence game in swing

Jhansi News: झाँसी महोत्सव को देखने के लिए हर दिन हजारों लोग पहुंच रहे हैं। महोत्सव में लगे झूलों का आनंद लेने में लोग पीछे नहीं है, लेकिन महोत्सव में चल रहे झूलों में से एक भी झूले का फिटनेस सर्टिफिकेट ही नहीं है। ऐसे में हजारों लोगों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है। खास बात यह है कि इस लापरवाही का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

नियमानुसार किसी भी स्थान पर लगने वाले मेले व महोत्सव के लिए महत्वपूर्ण होता है, कि आयोजक महोत्सव व मेले में लगने वाले सभी झूलों का फिटनेस कराएं। नियमानुसार आयोजक को झूलों का फिटनेस कराने के लिए आईटीआई को आवेदन देती है। इसके बाद आईटीआई से इंजीनियर एक-एक झूले की जांच करके फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करता है, लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे महोत्सव में अब तक झूलों का फिटनेस नहीं कराया। खास बात यह है कि प्रशासन के जिम्मेदारों को यह तक भी पता नहीं है कि फिटनेस किससे कराया जाता है।

बीमा भी नहीं कराया

झूलों के संचालन के लिए आयोजक को शासन के एक और नियम का पालन करना होता है। जिसमें मेले व महोत्सव की अवधि में सभी झूलों में बैठने वाले प्रत्येक व्यक्ति की बीमा कराया जाता है। इस की प्रिमियम की राशि झूले के संचालक को जमा करना होती है, लेकिन महोत्सव में आज तक बीमा नहीं कराया गया है।

गिने चुने स्थानों पर लगे हैं झूले

महोत्सव में गिने चुने स्थानों पर छोटे-बड़े झूले के संचालकों से पता चला कि किसी के पास भी फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं था। संचालकों ने बताया अन्य स्थानों पर लगने वाले मेले में झूला लगाने के पहले फिटनेस सर्टिफिकेट और बीमा होता है, लेकिन यहां पर आज तक कभी न तो फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाया गया और न ही कभी बीमा कराया।

सुरक्षा का ध्यान नहीं रखती हैं झूला लगाने वाली कंपनियां

सूत्रों का कहना है कि झांसी महोत्सव या अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में कई कंपनियां झूले लगाती हैं लेकिन इनके लिए सुरक्षा के पूरे इंतजाम नहीं किए जाते हैं। प्रशासन से अनुमति नहीं ली जाती है। न ही सुरक्षा का पूरा इंतजाम किया जाता है जिस कारण कभी भी अनहोनी होने की आशंका बनी रहती है।

अक्सर नियमों में होता हैं बदलाव

मोहाली में 50 फुट की ऊंचाई का झूला 4 सितंबर को गिर गया था। इसमें एक दर्जन से लोग घायल हो गए थे। इस घटनाक्रम के बाद पूरे देश में झूला के नियमों में परिवर्तन किया गया था। बताते हैं कि झूला गिरने की घटना के बाद अब प्रशासन इस संबंधी पहले से तय शर्तों में कुछ बदलाव किया था। इसके मुताबिक अब अस्थाई झूले आदि को कोई मंजूरी नहीं जाएगा। मेले में लगने वाले झूलों आदि को पहले सारे नियम पूरे करने होंगे और सभी विभागों से एनसीओ लेनी होगी। इसके साथ ही जब तक मेला या महोत्सव चलेगा, तब तक उसकी जांच की प्रक्रिया होगी मगर आईटीआई ने झूला लगाने की एनओसी तो दे दी, लेकिन अभी तक किसी प्रकार की जांच नहीं की है।

Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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